मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

प्रदूषण फैलाने पर तीन साल में वसूला गया 380 करोड़ का जुर्माना


केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का नियमों का उल्लंघन करने वालों पर चाबुक                              
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में प्रदूषण को लेकर जिस प्रकार से राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल सख्ती के साथ केंद्र और राज्य सरकारों को दिशानिर्देश जारी करता आ रहा है, उसी का नतीजा है कि प्रदूषण के बढ़ते प्रभाव में नियमों का उल्लंघन करने पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार चाबुक चला रहा है, जिसके तहत पिछले तीन साल में 380 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला जा चुका है।
राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल यानि एनजीटी देश में जल, वायु और ध्वनि जैसे प्रदूषण को लेकर सख्त निर्देश देकर केंद्र और राज्यों की सरकारों के साथ ही प्रदूषण बोर्ड को सचेत करके इस पर नियंत्रण करने के लिए ठोस कार्यवाही करने का बाध्य करता आ रहा है। इसके बावजूद समय समय पर प्रदूषण को लेकर मचने वाली हायतौबा में प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार संस्थाओं और फैक्ट्रियों या अन्य संस्थानों के खिलाफ कार्यवाही भी हो रही है। प्रदूषण जैसी समस्या से निपटने के लिए संसद में भी जोरदार चर्चा कराई गई, जिसके लिए ठोस कार्ययोजना बनाने पर बल दिया गया। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने समाजसेवी राजन तोमर की आरटीआई के जवाब में जो आंकड़े दिये हैं उनके अनुसार बोर्ड ने प्रदूषण फैलाने वालों को नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना वसूलने की कार्यवाही की है, जिसमें पिछले तीन साल में 380 करोड़ रुपये जुर्माने के तौर पर वसूल किये गये। बोर्ड द्वारा दिये गये आंकड़ो के मुताबिक वर्ष 2017-18 में जहां 31.76 करोड़ रुपए का जुर्माना वसूला गया था, वहीं वर्ष 2018-19 में सर्वाधिक 227.94 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूल किया गया। जब कि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2019-20 में अक्टूबर तक प्रदूषण फैलाने वालों से बोर्ड ने सख्त कार्यवाही करते हुए 122.27 करोड़ का जुर्माना वसूल किया है।
एनएचएआई भी जुर्माने से अछूता नहीं
इसी साल अक्टूबर में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राष्ट्रीय भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण यानि एनएचएआई पर गाजियाबाद जिले में वायु प्रदूषण के मामले में नियमों का उल्लंघन करने पर 90.23 लाख 437 रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसमें बोर्ड ने तर्क दिया था कि जांच के दौरान तथ्य सामने आए हैं कि एनएच-9 के चौड़ीकरण कार्य में एनएचएआई की तरफ धूल को उड़ने से रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। जिस पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यह जुर्माना लगाने की कार्यवाही की थी। गौरतलब है कि पिछले साल भी एनएचएआई पर प्रदूषण बोर्ड और गाजियाबाद जिलाधिकारी 2.50 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए एनएचएआई के अधिकारियों को निर्माणाधीन साइट पर धूल उड़ने से रोकने के लिए कदम उठाने के निर्देश जारी कर चुके हैं।
नगर निगमों पर जुर्माना
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसी साल की शुरूआत जनवरी में गैर-अनुरूपता वाले आवासीय क्षेत्रों में खुले में कूड़ा जलाने, अपशिष्ट फेंकने और अवैध तरीके से प्लास्टिक उद्योग चलाने के मामले में तीन नगर निगमों पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दक्षिण दिल्ली नगर निगम और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को जारी किये गये तीन अलग-अलग नोटिस में बोर्ड ने माना था कि दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण में खुले में कचरा फेंकने से लगभग 13.1 प्रतिशत और खुले में कचरा जलाने से करीब 11.1 प्रतिशत का योगदान इन तीनों नगर निगमों का भी योगदान है।
बोर्ड को विशेष शक्तियां 
गौरतलब है के जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम-1974 के अधीन केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पास वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम-1981 के अधीन भी शक्तियां और कार्यो की जिम्मेदारी है। बोर्ड का कार्य जल प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण तथा न्यूनीकरण द्वारा राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में नदियों और कुओं की स्वच्छता को बढ़ावा देना और और देश की वायु गुणवत्ता में सुधार करना तथा वायु प्रदूषण का निवारण, नियंत्रण और न्यूनीकरण करना भी है। वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मंत्रालय को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम-1986 के उपबंधों के बारे में तकनीकी सेवाएं भी मुहैया कराता है।
16Dec-2019


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