शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

संसदीय समितियों की बैठकों में माननीयों की नहीं दिलचस्पी!



नई गठित आठ समितियों की 41 बैठकों में आधे से ज्यादा सांसद रहे नदारद

समितयों के अध्यक्षों की बैठक में राज्यसभा के सभापति नायडू ने जताई नाराजगी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने विभाग संबन्धी संसदीय स्थायी समितियों की बैठकों में सदस्यों की गैर हाजिरी पर गहरी चिंता जताते हुए सभी राजनीतिक दलों और सदस्यों से इनके कामकाज में सुधार लाने पर बल दिया। मसलन इसी साल सितंबर में पुनर्गठित आठ समितयों की 41 बैठकों में सदस्यों की उपस्थिति 48.54 फीसदी ही रही है। 
राज्यसभा में गुरुवार को सभापति नायडू ने नायडू ने सदन के समक्ष विशेष रूप से विभाग संबंधी स्थायी समितियों की बैठकों में सदस्यों की अनुपस्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन समितयों में चर्चा के दौरान एक सदस्य सदन के 25 सांसदों का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए 25 सांसदों की आवाज को बुलंद करने के लिए समिति के प्रत्येक सदस्यों को अपनी मौजूदगी दर्ज कराकर चर्चा को गुणवत्तापूर्ण बनाने की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने कहा कि विभाग संबंधी आठ स्थायी समितियों में अध्यक्ष सहित राज्यसभा के 10 सदस्य और लोकसभा के 21 सदस्य होते हैं। इन समितियों का इस साल सितंबर में पुनर्गठन किया गया था, जिसके बाद इन समितियों की अब तक 41 बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन राज्यसभा के एक समिति में शामिल 10 में से पांच सदस्यों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है, जो बेहद चिंताजनक है। उन्होंने इस संबन्ध में इन आठ समितियों के अध्यक्ष से भी चर्चा की है। मसलन इन 41 बैठकों में राज्यसभा के 80 में से मात्र 18 सदस्यों और लोकसभा के 168 में से 18 सदस्यों ने ही हिस्सा लिया है। लोकसभा सदस्यों की समितियों की बैठक में उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए नायडू ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के साथ भी चर्चा की है।
राज्यसभा के इन सदस्यों ने लिया हिस्सा
इस दौरान नायडू ने इन बैठकों में राज्यसभा के समितियों की बैठकों में शामिल हुए 18 सदस्यों के नामों को भी उजागर किया, जिनमें सत्यनारायण जटिया, समित पात्रा, रामगोपाल यादव, आनंद शर्मा, राकेश सिन्हा, विश्वंभर प्रसाद निषाद, टीजी वेंकटेश, प्रसन्न आचार्य, वी डी तेंदुलकर, अखिलेश प्रसाद सिंह, रामगोपाल यादव, एल.हनुमंतैया, के. सोमप्रसाद, जयराम रमेश, रविप्रकाश वर्मा, डा. के केशव राव, डा. अमी याज्ञनिक, वी विजयसाई रेड्डी और पी विल्सन शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इन समितियों में दोनों सदनों के शामिल कुल 248 सदस्यों में 100 सदस्य ऐसे रहे जिन्होंने दो या उससे ज्यादा लगातार गैर हाजिर रहे। जबकि 36 सांसद ऐसे रहे जिन्होंने सभी बैठकों में हिस्सा लिया। 41 में से 23 बैठकों में आधे यानि 16 से भी कम सदस्य उपस्थित हुए। वहीं 28 यानि 11 फीसदी सदस्य ऐसे रहे जिन्होंने एक भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया है।
गृह मामलों की समिति में सर्वाधिक उपस्थिति
राज्यसभा सचिवालय के मुताबिक विभाग संबन्धी संसद की स्थायी समितियों की 41 बैठकों में सदस्यों की उपस्थिति आधे से भी कम 48.54 फीसदी रही है। जबकि गृह मामलों की समिति की बैठक में सर्वाधिक 65 फीसदी और उसके बाद मानव संसाधन विकास संबंधी समिति की एक बैठक में 39 फीसदी सदस्यों की उपस्थिति दर्ज की गई। नायडू ने इस संबन्ध में राज्यसभा की 20 समितियों के अध्यक्षों की बैठक बुलाई जिसमें 15 अध्यक्षों ने बैठक में भाग लिया और पहली बार समिति के कामकाज को बेहतर बनाने की दिशा में नायडू द्वारा बैठक में विचार विमर्श किया गया है।
नायडू ने दिये नौ सुझाव
सभापति नायडू ने राज्य सभा की स्थायी समितियों की बैठकों, अधीनस्थ विधान, समितियों और पत्रों की सूची जैसे पत्रों की बैठक में खराब उपस्थिति पर भी चिंता व्यक्त व्यक्त करते हए संसदीय समितियों के कामकाज को बेहतर बनाने के लिए 9 सुझाव दिए, जिसमें प्रत्येक समिति की बैठकों के लिए सप्ताह के विशिष्ट दिन तय करके बैठकों की अनुसूची को पहले से तय करना शामिल है, ताकि सदस्य बैठकों में शामिल हो सकें, उनकी उपस्थिति को लक्षित किया जा सके। समितियों के सदस्यों के 2/3, अंतर-सत्र अवधि के दौरान समितियों की बैठकों की पर्याप्त अवधि, सदस्यों के अभाव के प्राधिकरण के रिकॉर्ड रखने वाले समितियों के अध्यक्षों को बताते हुए कारण बताया जाना चाहिए।
06Dec-2019

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