मंगलवार, 10 दिसंबर 2019

संसद में गूंजा दिल्ली अग्निकांड में मौतों का मामला


राज्यसभा में उठाए गये उठाए गये जनहित के कई मुद्दे
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रविवार को एक फैक्टरी में हुए भीषण अग्निकांड में करीब चार दर्जन श्रमिकों की हुई मौत की गूंज संसद के दोनों सदनों में सुनाई दी। राज्यसभा में तो इस मुद्दे पर चर्चा कराकर भविष्य में ऐसी घटनाएं हों, ऐसे सुझाव सांसदों ने दिये हैं।
राज्यसभा में सोमवार को शुरू हुई कार्यवाही के दौरान सभापति एम वेंकैया नायडू ने सबसे पहले आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। उसके बाद शून्यकाल के दौरान दिल्ली में एक फैक्टरी में रविवार को हुए अग्निकांड में 43 श्रमिकों की मौत का मुद्दा उठाया गया तो सभापति ने इस घटना में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए सदन में दो मिनट का मौन रखा गया। इस मुद्दे पर सभापति की अनुमति से चर्चा की गई, जिसकी शुरूआत करते हुए भाजपा सांसद ने इसे उपहार कांड की संज्ञा देते हुए कहा कि यदि सूचना पर पुलिस और अग्निशमन विभाग सक्रीय न होता तो इस अग्निकांड में मरने वालों की संख्या 100 से ज्यादा होती, क्योंकि मौके पर पहुंचकर अग्निशमन और पुलिस के जवानों से कम से कम 60 लोगों को बचाया है। उन्होंने सघन बाजारों और बस्तियों में चल रही इस प्रकार की अवैध फैक्ट्रियों को बंद करने के लिए सख्त कार्यवाही करने की मांग की है। वहीं गोयल ने इस घटना की मजिस्ट्रेट जांच कराकर मृतक के आश्रितों को जयादा मुआवजा देने की मांग की है। इस चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इस घटना को राजनीतिक मुद्दा न बनाने की नसीहत देते हुए हा कि इस प्रकार की घटनाएं भविष्य में न हो इसके लिए दिल्ली सरकार और एमसीडी तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों को एक साथ बैठककर कोई कार्ययोजना बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है कि जहां ये श्रमिक सो रहे थे वहां बने कमरों के बाहर से ताले लगे हुए थे, जिसके कारण उनकी मौत हुई है। उन्होंने कहा कि इस मामले में एमसीडी, दिल्ली सरकार या फिर डीडीए यानि सबकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।
उधर सोमवार को लोकसभा में भी दिल्ली के इस अग्निकांड का मुद्दा उठाते हुए भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि सरकार मृतकों के शवों को उनके घर पहुंचाने का इंतजाम करे और उनके परिवार के लिए मुआवजे की घोषित 10-10 लाख रुपये की राशि को कम से कम 25-25 लाख रुपये तक बढ़ाई जाए। रुडी ने सरकार से श्रमिकों के शवों को विभिन्न राज्यों में उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था करने की भी मांग की है।
शून्यकाल में ये मुद्दे भी उठे
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) हेतु केंद्रीय वित्तीय मदद में कटौती का मुद्दा उठाते हुए बीजद के प्रशांत नंदा ने जहां केंद्र व राज्य अनुपात को पूर्व की भांति 90:10 के अनुपात में रखने की मांग की। जबकि कांग्रेस सांसद डा. टी सुब्बारामी रेड्डी ने उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की रिक्तियों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि लंबित मामलों के निपटारे के लिए अदालतों में रिक्त पदों को शीघ्र भरने के लिए सरकार गंभीरता से कार्य करे। जबकि कांग्रेस के ही सांसद मोहम्मद अली खान ने देश में हवाईअड्डों पर यात्रियों की सुविधाओं को बेहतर बनाने की मांग की। राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद रेवतीरमण सिंह ने उत्तर प्रदेश में प्रयागराज के मेजा स्थित 630 मेगावाट क्षमता वाले ताप बिजली संयंत्र बंद होने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि बिजली की समस्या को देखते हुए इस शीघ्र चालू किया जाए। इसी प्रकार टीएमसी सांसद शांता क्षेत्री ने दार्जिलिंग के चाय बागानों में कई बागान बंद होने पर चिंता जताई, जिन्हें रोजगार के मुद्दे से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इसी प्रकार अन्य सांसदों ने भी अपने अपने क्षेत्रों के जनहित से जुड़े हुए मुद्दे उठाए।
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सभापति नायडू ने दी मंत्रियों व सांसदों को नसीहत
सोमवार को राज्यसभा की बैठक शुरू होने पर सभापति एम. वेंकैया नायडू ने उस समय केंद्र सरकार के मंत्रियों और सदन के सदस्यों को नसीहत दी जब वे आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवा रहे थे। ऐसे समय नाम पुकारने पर केंद्रीय मंत्रियों की सदन में गैर हाजिरी को लेकर नायडू खासे नाराज दिखाई दिये। इसलिए उन्होंने पिछले दिनों का उदाहरण देते हुए कहा कि सदन में केंद्रीय मंत्रियों के साथ सदन के सदस्य भी नदारद रहे, जो स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि विषय सूचीबद्ध होने के बावजूद मंत्रियों या सदस्यों को सदन से गैर हाजिर रहना दुर्भाग्य पूर्ण है। दरअसल राज्यसभा में सामेवार की कार्यसूची में विभिन्न विभागों के मंत्रियों के नाम से एक दर्जन विषय सूचीबद्ध थे, लेकिन कई नामित मंत्री सदन में नहीं थे या विलंब से सदन में आए।
10Dec-2019

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