सीमा सुरक्षा बल के 55वां स्थापना दिवस पर बोले गृह
राज्यमंत्री राय
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सीमा
सुरक्षा बल यानि बीएसफ को देश की सीमाओं का सबसे बड़ा प्रहरी करार देते हुए कहा कि
भारतीय सीमाओं खासकर भारत-पाक सीमा पर बीएसएफ के जवानों के सामने घुसपैठ करने से
पहले कई बार दुश्मन को सोचना पड़ता है, जहां बीएसएफ के जवान दुश्मनों को मुहंतोड़
जवाब दे रहे हैं।
नई दिल्ली स्थित छावला के सीमा
सुरक्षा बल कैंप परिसर में रविवार को बीएसएफ के 55वें
स्थापना दिवस पर आयोजित परेड के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय गृह
राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि बीएसएफ के जवानों के प्रयासों के
चलते दुश्मनों को घुसपैठ या किसी अपराध को अंजाम देने से पहले कई बार सोचना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि डेरा बाबा नानक का करतारपुर साहिब कॉरिडोर सीमा सुरक्षा
बल के अधीन पूरी तरह से सुरक्षित है। गृह राज्यमंत्री कहा कि सरकार इस बात को लेकर
प्रतिबद्ध है कि देश के जवानों की सुरक्षा के लिए आधुनिक टेक्नॉलोजी मुहैया कराई जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार ने जवानों के रिटायरमेंट की आयु बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी है। वहीं जो जवान कश्मीर में तैनात हैं उन्हें जम्मू
से दिल्ली की मुफ्त यात्रा की सुविधा दी जाएगी। नित्यानंद राय ने कहा कि सरकार जवानों को सालभर में सौ
दिन उनको अपने परिवार से साथ बिताने के हरसंभव प्रयास कर रही
है। वहीं सरकार की तरफ से
वो सारे प्रयास किए जा रहे हैं ताकि देश केन्द्रीय सशस्त्र बलों के जवानों को सभी सुविधाएं
दी जा सके।
देश की सीमाओं को सुरक्षित रखना ध्येय
इस मौके पर बीएसएफ के महानिदेशक विवेक कुमार जौहरी ने कहा कि सीमा
के जरिए घुसपैठ की लगातार कोशिशों को बीएसएफ ने सीमा क्षेत्र
में ड्रोन के जरिए घुसपैठ की घटनाओं से निपटने और उन्हें हैंडल करने के उपाय किए हैं।
महानिदेशक जौहरी ने सीमा सुरक्षा बल के ऐतिहासिक पहलुओं की जानकारी देते
हुए कहा कि किस तरह 25 बटालियनों का यह
दल आज 192 बटालियनों वाले विशाल सीमा
प्रबंधन तंत्र के रूप में विकसित हो चुका है और किस प्रकार विभिन्न दायित्वों का कुशलता
पूर्वक निर्वाह करते हुए इस बल ने स्वयं को बहुआयामी बल के रूप में स्थापित किया है।
महानिदेशक सीमा सुरक्षा बल ने अपने संबोधन के दौरान बल की उपलब्धियों और नई पहलों
और भविष्य की चुनौतियों से निपटने की तैयारियों का जिक्र करते हुए राष्ट्र की सीमाओं
को सुरक्षित व अभेद्य बनाए रखने का भरोसा दिलाया।
विश्व का सबसे बड़ा बल
देश की 6386.36 किलोमीटर लंबी
अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा करने वाले विश्व के सबसे बड़े सीमा रक्षक बल सीमा सुरक्षा
बल की
स्थापना भारत-पाक और भारत-बांग्लादेश सीमाओं की सुरक्षा हेतु 01 दिसंबर 1965 को हुई थी, जो आज विश्व का सबसे बड़ा सीमा रक्षक बल है और वर्तमान समय में ढ़ाई लाख से अधिक सदस्यों
की विशाल और समर्थ जनशक्ति से लैस है। यह बल ना सिर्फ सीमाओं की सुरक्षा में प्रवीण
हैए अपितु आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों के निष्पादन में भी इसे महारत हासिल है।
शहीद
स्मारक पर श्रद्धांजलि
सीमा सुरक्षा बल सहित देश के विभिन्न केंद्रीय
सशस्त्र पुलिस बल सदस्यों व उनके परिजनों की भारी उपस्थिति वाली इस परेड में पधारने
से पूर्व मुख्य अतिथि महोदय सर्वप्रथम छावला स्थित सीमा सुरक्षा बल के ‘शहीद स्मारक’ पर गये और अमर बलिदानी वीरों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं
समारोह में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने सीमा सुरक्षा बल को 04 वीरता के के लिए पुलिस पदक, 11 सराहनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक, 03 सेवानिवृत्त कार्मिकों सहित व सीमा सुरक्षा
बल में उत्कृष्ट कार्यक्षमता के लिए दी जाने वाली बहुप्रतिक्षित जनरल चौधरी ट्राफी
से 74 बटालियन के कमांडेंट कमल
कुमार को विभूषित किया। जबकि प्रशिक्षण व खेलों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन
के लिए दी जाने वाली अश्वनी कुमार ट्राफी गुजरात फ्रंटियर को मिली जिसे फ्रंटियर के
महानिरीक्षकए जीएस मलिक ने ग्रहण किया। इस मौके पर माननीय मुख्य अतिथि महोदय ने बल
की वार्षिक पत्रिका ‘बोर्डरमैन’ का भी विमोचन किया।
02Dec-2019
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