जल की गुणवत्ता के सुधार के साथ पांच साल में दस से दो हजार
हुई डाल्फिन
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार ने दावा किया है कि पिछले पांच साल में स्वच्छ गंगा के लिए चलाए जा रहे
नमामि गंगे मिशन में तेजी के साथ सुधार हुआ है। गंगा नदी के जल की गुणवत्ता में
सुधार के कारण जलीय जीवजंतु का जीवन बेहतर होने का इस बात से संकेत है कि पांच साल
पहले जहां दस डाल्फिन रह गई थी, अब उनकी संख्या करीब दो हजार तक पहुंच गई है।
यह
दावा करते हुए शुक्रवार को यहां नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित चौथे भारत जल
प्रभाव सम्मेलन में बोलते हुए केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा
कि पिछले पांच वर्षों के दौरान स्वच्छ गंगा मिशन में व्यापक सुधार हुआ है। उन्होंने
कहा कि हाल में 10 अक्तूबर 2019 को देव प्रयाग से विशाल नदी राफ्टिंग अभियान
‘गंगा अमांतरण अभियान’ लॉच किया गया। यह अभियान 34 दिन तक चले इस अभियान के दौरान गंगा
में पश्चिम बंगाल में गंगा सागर तक 2500 किलोमीटर की लम्बाई कवर की गई। इस अभियान के सामने जो
तथ्य सामने आए हैं उनसे कहा जा सकता है कि गंगा जल की गुणवत्ता में
पिछले पांच वर्षों में काफी सुधार हुआ है, जिसमें सबसे अच्छा
मानक में जलीय जीवजंतु का जीवन को बेहतर देखा गया
यानि गंगा में पांच साल पहले केवल दस गांगेय डॉल्फिन देखे गए थे, लेकिन इस बार 2000 से अधिक डाल्फिन दिखाई दिए। वहीं गंगा में बहते हुए कचरों में भी बेहद कमी आई है। शेखावत ने कहा कि गंगा की अविरल धारा सुनिश्चित करने के लिए
नमामि गंगे का दृष्टिकोण व्यापक है। इसमें पर्यावरण प्रवाह का मूल्यांकन और उसकी
अधिसूचना, बांध क्षेत्र, वनरोपण, संरक्षण तथा दलदली जमीन का कायाकल्प और जल उपयोग सक्षमता में
सुधार विशेषकर कृषि क्षेत्र सुधार शामिल हैं। कृषि में जल की खपत सबसे अधिक होती है।
विश्व में हमारे जल को कम उत्पादक जल माना जाता है।
बेसिन आधारित दृष्टकोण पर काम
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने कहा कि सरकार ने
नमामि गंगे मिशन को गंगा और उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के लिए एकीकृत मिशन के रूप
में लॉंच किया, जिसमें व्यापक बेसिन आधारित दृष्टिकोण को अपनाया
जा रहा है। शेखावत ने सी-गंगा (गंगा नदी बेसिन प्रबंधन तथा अध्ययन
केन्द्र) के साथ टेक्नालॉजी सहयोग समझौते के लिए आईआईटी, एनआईटी, एनईईआरआई,
यूरोपीयन
यूनियन, जर्मनी, डेनमॉर्क, इस्रायल,
जापान
तथा कनाडा की भूमिका की सराहना की। शेखावत ने कहा कि केंद्र सरकार ने 9 अक्तूबर 2018 को गंगा नदी में उत्तर प्रदेश के उन्नाव
से न्यूनतम पर्यावरण प्रवाह को बनाए रखने की अधिसूचना जारी की थी, जिसके आधार पर शहरी नदी प्रबंधन परियोजना विकसित करने के लिए एनआईयूए के साथ पायलट परियोजना
शुरू की गई है। इस मौके पर जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण विभाग के सचिव यू
पी सिंह ने कहा कि जल जीवन मिशन (जेजेएम) स्वच्छ भारत मिशन की तरह पांच वर्ष की अवधि
में 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। वहीं सम्मेलन में
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव
रंजन मिश्र, सी-गंगा के प्रमुख
प्रोफेसर विनोद तारे, एनएमसीजी के उपमहानिदेशक
शिशिर कुमार राठो और भाग लेने वाले देशों के राजदूत तथा उच्चायुक्त भी शामिल हुए।
07Dec-2019
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