शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019

नरगोटा की महिलाओं ने तैयार किये खादी के रूमाल


केंद्रीय मंत्री गडकरी ने की दिल्ली में इनकी बिक्री की शुरूआत
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद रोजगार मुहैया कराने की योजना के तहत जम्मू के नगरोटा शहर की महिलाओं द्वारा केवीआईसी की योजना के तहत महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे सिलाई केंद्रों को बढ़ावा दिया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इन केंद्रों में महिलाओं द्वारा तैयार खादी के रुमालों की बिक्री का शुभारंभ किया है।
केन्‍द्रीय सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम मंत्रालय ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा देश में आदिवासी उत्पादों में खादी को प्रोत्साहन देने के लिए जिस प्रकार के कदम बढ़ा रहा है, उसी के तहत जम्मू-कश्मीर जैसे आतंकित प्रभावित क्षेत्रों के कुछ परिवार जम्मू के पास नगरोटा शहर में स्थांतरित हो गये थे, जहां खादी ग्रामोद्योग आयोग ने ऐसे परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए रोजगार से जोड़ा और इन परिवारों की महिलाओं द्वारा बनाए गये खादी के रुमालो की यहां नई दिल्ली में मंगलवार को बिक्री की शुरूआत की गई। इस मौके पर खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष वीके सक्सेना भी मौजूद थे। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि कुछ साल पहले अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते हुए कश्मीर के उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के परिवार जम्मू के पास एक छोटे से शहर नगरोटा में स्थानांतरित हो गए। 2016 में केवीआईसी ने आजीविका के अवसरों की कमी और बेरोजगारी से प्रभावित महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उनके परिवारों को बनाए रखने में मदद करने के लिए नगरोटा में एक नैपकिन सिलाई केंद्र शुरू किया। नितिन गडकरी ने कहा कि केवीआईसी की यह पहल बापू की समाज के सबसे कमजोर लोगों को सशक्त बनाने के दृष्टिकोण का सही प्रतिबिंब है। इस अनूठी पहल का समर्थन करने की अपील के साथ केवीआईसी जरूरतमंदों के लिए रोजगार पैदा कर रही है। इस मौके पर केवीआईसी के अध्यक्ष वीके सक्सेना ने कहा कि यह 'खादी रुमाल' केवल कपड़े का टुकड़ा नहीं है, बल्कि इस बात का प्रतीक है कि नगरोटा में रहने वाले उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में महिलाओं को भारत के लोगों पर सक्षम बनाना है और उन्हें सशक्त बनाना है। उन्हें सम्मान और सम्मान की जिंदगी जीने के लिए। इस 'खादी रुमाल' की बिक्री आत्मविश्वास को बढ़ाएगी और पूरे कश्मीर की महिलाओं को बाहर निकलने और खुद के लिए खड़े होने, एक सम्मानजनक आजीविका कमाने और अपने परिवारों की देखभाल करने में सक्षम बनाएगी। भारत के लिए इसका कारण एकजुट होने और कारण की मदद करना है।
पांच करोड़ रुमाल बेचने का लक्ष्य
केवीआईसी अध्यक्ष सक्सेना ने कहा कि हमने शुरू में खादी रुमाल के 5 करोड़ टुकड़े बेचने का लक्ष्य रखा है। खादी रुमाल के 5 करोड़ टुकड़े बनाने के लिए लगभग 15 लाख किलोग्राम कपास की खपत होगी और इसमें 25 लाख मानव-दिन कताई 12.5 लाख बुनाई के दिन और लगभग 7.5 लाख मानव-दिन काटने, सिलाई की आवश्यकता होगी। 
18Dec-2019

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