संसद
में लगी अनियमित कालोनियों को अधिकृत करने वाले विधेयक पर मुहर
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 1731 अनियमित कॉलोनियों को नियमित करने
वाले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अप्राधिकृत कॉलोनी निवासी संपत्ति
अधिकार मान्यता) विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई है। लोकसभा के बाद बुधवार
को राज्यसभा ने इस विधेयक को ध्वनिमत के साथ पारित कर दिया है।
राज्यसभा
में बुधवार को केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी द्वारा पेश किये गये राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (अप्राधिकृत कॉलोनी निवासी संपत्ति अधिकार
मान्यता) विधेयक पर तीन घंटे से ज्यादा समय तक बहस हुई। चर्चा के बाद
केंद्रीय मंत्री पुरी के जवाब के बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई,
जिसे लोकसभा पिछले सप्ताह पारित कर चुकी है। इस विधेयक के पारित होने से दिल्ली की
करीब 1731 अवैध कालोनियों में रह रहे 40 लाख लोगों को अपने घरो का मालिकाना हक मिल
सकेगा। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र
में 1731 अनधिकृत कॉलोनियों
की डिजिटल मैपिंग का काम इस साल 31 दिसंबर तक पूरा
कर लिया जाएगा। पुरी ने कहा कि 2008 में दिल्ली की
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एक अधिसूचना जारी की थी और 760 कॉलोनियों को चिह्नित किया गया, लेकिन इसके
बाद प्रयास धीमे हो गए। उन्होंने कहा कि पिछले 11 साल में इस दिशा में अपेक्षित प्रयास नहीं
हुए। उन्होंने कहा कि मौजूदा दिल्ली सरकार ने केंद्र को बताया कि जिन एजेंसियों को
कॉलोनियों की मैपिंग का काम दिया गया है,
वे
इसे पूरा नहीं कर पा रही हैं। तब केंद्र सरकार ने राजधानी की 1731 अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 40 से 50 लाख लोगों को उनके
मकानों का मालिकाना हक देने का फैसला किया।
केंद्र का चुनावी स्टंट: सैलजा
इससे पहले इस विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस
सांसद कुमारी सैलजा ने केंद्र सरकार के राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के लिए लाए गए
विधेयक को राजनीति स्टंट करार देते हुए दावा किया कि पांच साल में केंद्र सरकार ने
इसकी सुध नहीं ली और दिल्ली विधानसभा के चुनाव करीब आते ही जल्दबाजी में यह विधेयक
लाया गया, जबकि विधेयक से
पहले केंद्र सरकार रेगुलेशन लेकर आई थी। सैलजा ने कहा कि दिल्ली की कांग्रेस सरकार ने इन अवैध
कालोनियों के लोगों को मूलभूत सुविधाएं और विकास के लिए करोड़ों रुपये खर्च किये
हैं। सैलजा ने कहा इन कालोनियों में गरीब लोग रहते हैं, लेकिन दिल्ली में स्लम
माफियों के बिना इन्हें एक इंच जमीन तो क्या एक कील ठोकने की भी इजाजत नहीं है।
उन्होंने केंद्र सरकार से कहा कि इन स्लम माफियों की गतिविधियों को समाप्त करने के
लिए सरकार को काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब केंद्र में कांग्रेसनीत सरकार थी
तो जेएनआरयूएम के तहत इन कालोनियों में बहुत काम किये गये हैं, लेकिन यह दुर्भाग्य
है कि दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी तो एमसीडी में भाजपा का कब्जा था। केंद्र
सरकार ने इन 1731 3.70 करोड़ की योजना को लागू करने का प्रयास किया, लेकिन एमसीडी
ने उसमें रोडे अटकाने का काम किया है।
05Dec-2019
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें