अर्द्धसैनिकों के साथ सहमति के बाद गृह मंत्रालय
ने जारी किये दिशानिर्देश
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में
अब सभी अर्द्धसैनिक बलों को खादी से बनी वर्दी का इस्तेमाल करना होगा, जिसके लिए खादी
ग्रामोद्योग खादी से बनी वर्दियां तैयार करा रहा है। इसके लिए अर्द्धसैनिकों और खादी ग्रामोद्योग आयोग के बीच बनी सहमति के बाद खादी से बनी वर्दी के इस्तेमाल हेतु गृह मंत्रालय ने सभी अर्द्धसैनिक बलों के महानिदेशकों को दिशानिर्देश जारी किये हैं।
गृहमंत्रालय के सूत्रों
के अनुसार केन्द्रीय गृहमंत्री अमित
शाह ने सभी अर्द्धसैनिक बलों के महानिदेशकों को वर्दी में खादी का इस्तेमाल करने के
लिए दिशानिर्देश जारी किये हैं। मंत्रालय के अनुसार खादी की बनी वर्दी का इस्तेमाल
करने के अलावा इन निर्देशों में यह भी कहा गया है कि वे अपने अपने यहां स्थापित खान-पान गृह
या कैंटीन में अचार, पापड़, शहद,
सरसों
का तेल,चाय, साबुन, शैंपू और फिनाइल जैसे खादी ग्रामोद्योग के उत्पादों का इस्तेमाल
करना सुनिश्चित करें। मंत्रालय के अनुसार अर्द्धसैनिकों के लिए खादी के इस्तेमाल को
सुनिश्चित करने के लिए अर्द्धसैनिक बलों और खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के बीच
कई दौर की बैठकों के बाद लिया गया है। यह निर्णय स्वदेशी यानि खादी के उत्पादों के
इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए किया गया है। यह भी कहा कि है कि पिछले दिनों इस दिशा
में निर्णय लेने के लिए कई दौर की बैठकों के बाद इसे अर्द्धसैनिकों के लिए खादी के
इस्तेमाल करने के फैसले को अंतिम रूप दिया गया है, जिसके बाद गृहमंत्रालय की ओर
से निर्देश जारी किये गये हैं। इसके लिए हुई बैठकों में खादी के उत्पादों के कई नमूने
पेश किए गए।
दूसरी ओर केवीआईसी के अध्यक्ष वीके सक्सेना का कहना है
कि अर्द्धसैनिक बलों की ओर से इस्तेमाल किए जाने वाले ऊनी और सूती कपड़ों, कंबलों
और वातावरण-अनुकूल विशेष पोशाक के जो नमूने दिए गए थे उन्हें खादी ग्रामोद्योग ने
खादी का इस्तेमाल कर नए तरीके से बनाया है। इन्हें अर्द्धसैनिक बलों की अंतिम मंजूरी
के लिए भेजा गया है। उल्लेखनीय है कि इनमें से जवानों के लिए बनाया गया वातावरण अनुकूल
विशेष पोशाक पहले बने कपड़ो से ज्यादा बेहतर बना है। गृहमंत्री द्वारा अर्द्धसैनिक
बलों को खादी का इस्तेमाल करने का निर्देश जारी करने की पुष्टि करते हुए सक्सेना
ने कहा कि इस कदम से खादी ग्रामोद्योग का मौजूदा कारोबार जो अभी करीब 75 हजार करोड़
रूपए का है, जो भविष्य
में बढ़कर दोगुना हो जाएगा और इसके साथ ही खादी के कारीगरों को काम के अतिरिक्त घंटे
मिलेंगे।
10Dec-2019
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