शनिवार, 14 दिसंबर 2019

राज्यसभा के 250वें सत्र को बनाया ऐतिहासिक

सदन में अल्पमत के बावजूद विपक्ष पर भारी पड़ी सरकार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र में उच्च सदन यानि राज्यसभा का 250वां सत्र था, जिसे विशेष सत्र बनाने के लिए सभापति एम. वेंकैया नायडू और राज्यसभा सचिवालय ने कई नई परंपराओं के साथ सदन के सदस्यों को संसदीय गरिमाओं के दायरे में लाने के लिए भी लाइन खींचने का प्रयास हुआ। शायद इसीलिए वेंकैया नायडू ने इस सत्र के दौरान लोकसभा से ज्यादा विधेयक पारित होने और कामकाज पर संतोष जताते हुए ऐतिहासकि सत्र करार दिया है।
राज्यसभा के 250वें सत्र को विशेष सत्र के रूप में ऐतिहासिक बनाने की कवायद करते हुए सभापति वेंकैया नायडू ने पहले ही दिन विशेष कार्यवाही के रूप में ‘भारतीय शासन-व्यवस्था में राज्यसभा की भूमिका और सुधारों की आवश्यकता’ विषय पर विशेष चर्चा कराई। इस चर्चा में राज्यसभा के 67 साल के ऐतिहासिक सफर को और ज्यादा बेहतर बनाने की दिशा में सभी दलों के सदस्यों को सुझाव देने के लिए मौका दिया गया। खास बात यह थी कि इस विशेष चर्चा भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुरू की और राज्यसभा में 'चेक ऐंड बैलेंस का सिद्धांत लागू करने की सीख दी। यहीं नहीं राज्यसभा के 250वें सत्र को ऐतिहासिक रूप देने के लिए ‘राज्यसभा:1952 के बाद की यात्रा’ नामक पुस्तक जारी की, जिसमें राज्यसभा का इतिहास और सदन में हुए कामकाज तथा विशेष टिप्पणियां के साथ विभिन्न खास मौको की झलक का उल्लेख है। इसके अलावा सदन के वर्तमान और पूर्व सदस्यों और सदन के कामकाज से जुड़े लोगों के हिन्दी और अंग्रेजी के 44 लेखों के जरिए मौजूदा सांसदों को संसदीय गरिमा के दायरे में रहने का संदेश भी इस पुस्तक के जरिए देने का प्रयास किया। इसके अलावा इस सत्र के उपलक्ष्य में 250 रुपये का एक चांदी का सिक्का और पांच रुपये का डाक टिकट जारी किया गया। सभापति नायडू ने संविधान दिवस यानि भारतीय संविधान की 70वीं वर्षगांठ को संसद के केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को राज्यसभा के 250वें सत्र से जोड़ते हुए चांदी का सिक्का और डाक टिकट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से जारी कराया। राज्यसभा के 250वें सत्र के स्थगित होने से पहले सभापति एम. वेंकैया नायडू ने अपने संबोधन में इन गतिविधियों का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले सत्र की तरह इस बार भी राज्यसभा ने कामकाज के मामले में ऐतिहासिक काम किया है, जिसमें सभी दलों के सदस्यों में काम के प्रति बढ़ती दिलचस्पी की सराहना करते हुए उनके सहयोग की सराहना भी की। इसी बदौलत राज्यसभा के 250वें सत्र को ऐतिहिसक बनाया जा सका है।
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सदन में अल्पमत के बावजूद विपक्ष पर भारी पड़ी सरकार
राज्यसभा में लोकसभा में पारित 14 की तुलना में एक ज्यादा 15 विधेयक पारित कराने के साथ कामकाज की उत्पादकता को भी शतप्रतिशत कराने के लिए सभापति नायडू द्वारा सदन की कार्यवाही के संचालन कराने की नीति का परिणाम माना जा रहा है। दरअसल उन्होंने कई मौको पर कुछ मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामा करने के प्रयास को भी अपनी सीख और नसीहत से संभालते हुए कामकाज को आगे बढ़ाया है। उच्च सदन में सरकार के अल्पमत में होने के बावजूद कई ऐसे विधेयकों को उच्च सदन की मंजूरी मिली है, जिनका विपक्ष ने एकजुटता से विरोध किया, लेकिन सरकार की रणनीति के सामने मत विभाजन के बाद भी विपक्ष विधेयकों को पारित होने से नहीं रोक पाया। उच्च सदन को ऐतिहासिक बनाने के प्रयास में इस बार सरकार ने विपक्ष के मुद्दों को तरजीह दी है ताकि सदन की कार्यवाही में विपक्ष बाधा न बने। मोदी-2 सरकार के बाद लगातार दो सत्रों में यह देखा गया है कि जिन विधेयकों पर विपक्ष लामबंद हुआ उन्हें भी राज्यसभा से मंजूरी मिली है, जिसमें नागरकिता संशोधन विधेयक में भी विपक्ष की एकता तार-तार होती नजर आई और सरकार अपने मिशन में कामयाब हो गई।
14Dec-2019

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