शनिवार, 14 दिसंबर 2019

हरियाणा की अरावली पहाड़ियों को बचाने की मांग

राज्यसभा में उठा मुद्दा, टास्क फोर्स गठन करने पर जोर
छत्तीसगढ़ में मनरेगा की लंबित राशि देने की मांग
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
कांग्रेस की सांसद कुमारी सैलजा ने केंद्र सरकार से हरियाणा शिवालिक और अरावली पहाड़ियों को हो रहे नुकसान की भरपाई करने और उन्हें बचाने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन करने की मांग की है।
राज्यसभा में बुधवार को शून्यकाल के दौरान कांग्रेस सदस्य कुमारी सैलजा ने हाल ही में केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 1999 से 2019 यानि दो दशक के बीच हरियाणा के एनसीआर जिलों में वन और अरावली पहाड़ियों समेत प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्रों में 47 फीसदी नुकसान हुआ है यिन यह राज्य में वन क्षेत्र तेजी के साथ घट रहा है। उन्होंने इस घटते वन क्षेत्र पर चिता जाहिर करते हुए कहा कि हरियाणा देश का सबसे कम वन क्षेत्र वाला राज्य है, जहां केवल 3.5 फीसदी ही वन क्षेत्र कवर किया गया है। उन्होंने कहा कि इस वन क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा उत्तर में शिवालिक पहाड़ियों और दक्षिण में अरावली पहाड़ियों में स्थित है। उनका कहना था कि इन पहाड़ियों का बहुत ही कम हिस्सा ऐसा है जिसे हम जंग का क्षेत्र मानते हैं इसका मतलब इस हिस्से को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के आधार पर कुमारी सैलजा ने कहा कि स्पष्ट है कि वन क्षेत्र घटा है जिसके आधार पर माना जा सकता है कि यह 57,728 हेक्टेयर जमीन का राज्य का नुकसान हुआ है। इसके बावजूद हरियाणा ने 27 फरवरी 2019 को पंजाब लैंड प्रेजर्वेशन एक्ट(पीएएलपीए) में संशोधन करके 1900 के                     एक्ट को एकदम कमजोर कर दिया गया है। इस कानून के संशोधन के तहत 130 गांवों के पहाड़ी क्षेत्रों में 74 हजार एकड़ भूमि को वन क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है। कुमारी सैलजा ने कहा कि उच्चतम न्यायाल ने भी सभी राज्यों को आदेश दिया है कि वन क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सैलजा ने कहा कि उसमें अरावली पहाड़ियों और वन क्षेत्र को बचाने पर भी जोर दिया लेकिन दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के लिए गुरुग्राम और फरीदा की अरावली पहाड़ियों को बचाने के लिए काई कार्यवाही नहीं की गई। इसलिए उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि हरियाणा के वन क्षेत्र की भरपाई करने और इन पहाड़ियों को बचाने के लिए टास्कफोर्स का गठन किया जाएगा,जो वन क्षेत्र को कवर करके 2024 तक पांच फीसदी और 2030 तक 10 फीसदी बढ़ाया जा सके।
छत्तीसगढ़ में मनरेगा की लंबित राशि देने की मांग
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान ही छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सांसद छाया वर्मा ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानि मनरेगा के तहत छत्तीसगढ़ रज्य के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 की 1982.15 करोड़ रुपये की प्रस्तावित राशि के लंबित होने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कहा कि केंद्र सरकार के समक्ष इस राशि का भुगतान पिछले आठ माह से लंबित है, जिसके कारण मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को भुगतान करने में विलंब हो रहा है और मजदूर अपने परिवार का पालन पोषण करने में परेशानी का सामना कर रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरका से इस लंबित मनरेगा भुगतान वाली राशि को जारी करने की मांग करते हुए कहा कि इस वित्तीय वर्ष के दौरान केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा भुगतान के लिए छत्तीसगढ़ को 2525.36 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की थी, लेकिन अभी तक 543.21 करोड़ रुपये की राज्य को इस मद में जारी किये गये हैं। उन्होंने मनरेगा के मजदूरों के हित में केंद्र सरकार से बकाया धनराशि को जल्द से जल्द जारी करने की मांग की है, ताकि मनरेगा के मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान किया जा सके।
11Dec-2019

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