स्कीमों में नामांकन हेतु आज से शुरू हुए पेंशन स्प्ताह
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की पेंशन स्कीम पीएम-एसवाईएम की तर्ज पर
व्यापारियों और स्वनियोजितों के लिए भी राष्ट्रीय पेंशन स्कीम (एनपीएस-ट्रेडर्स)
में ज्यादा से ज्यादा नामांकन हेतु शनिवार से राष्ट्रव्यापी पेंशन सप्ताह
शुरू किया गया है।
नई दिल्ली में शनिवार को राष्ट्रीय स्तर के पेंशन सप्ताह
शुरू करने के लिए आयोजित समारोह का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय श्रम एवं
रोजगार मंत्री संतोष गंगवार ने अपने संबोधन में कहा कि उनके केंद्र सरकार
ने असंगठित श्रमिकों के लिए प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन (पीएम-एसवाईएम)
और व्यापारियों एवं स्वनियोजित व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन
स्कीम (एनपीएस-ट्रेडर्स) को अधिसूचित किया है। इन स्कीमों
के लिए
ज्यादा से ज्यादा नामांकन कराने के मकसद से उनके मंत्रालय ने 30 नवंबर से 6 दिसंबर के बीच पेंशन
सप्ताह मनाने का निर्णय लिया है। पेंशन सप्ताह के तहत इस अभियान में मंत्रालय ने पीएम-एसवाईएम के तहत एक करोड़ तथा एनपीएस-ट्रेडर्स
के तहत 50 लाख पंजीकरण का लक्ष्य तय किया हे
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार
ने इन दोनों पेंशन स्कीमों को
अधिसूचित करके ज्यादा से ज्यादा लोगों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने की पहल
की है। सरकार की पीएम-एसवाईएम स्कीम 15 हजार रुपये तक की मासिक आय वाले असंगठित कामगारों के
लिए
है जिसके लिए 15 फरवरी 2019 से नामांकन शुरू किए गए, जिसमें एक करोड़ पंजीकरण का लक्ष्य तय किया गया है। इसी तर्ज पर केंद्र सरकार
ने व्यापारियों एवं स्वनियोजित व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन
स्कीम (एनपीएस-ट्रेडर्स) को लागू किया, जिसका लाभ ऐसे व्यापारियों, दुकानदारों तथा स्व-नियोजित व्यक्तियों को मिलेगा, जिनकी वार्षिक आय 1.5 करोड़ रुपये तक
है। इस स्कीम का उद्देश्य 18-40 वर्ष के आयु समूह
के लगभग 3 करोड़ व्यापारियों, दुकानदारों तथा स्व-नियोजित व्यक्तियों को सामाजिक सुरक्षा लाभ
उपलब्ध कराना है।
कॉमन सर्विस सेंटरों को प्रोत्साहन
समारोह में केंद्रीय मंत्री गंगवार ने इस बात
पर जोर दिया कि जो कॉमन सर्विस सेंटर पेंशन सप्ताह के दौरान 100 से अधिक व्यक्तियों का नामांकन
करेंगे, उन्हें केंद्र सरकार से अतिरिक्त प्रोत्साहन मिलेगा। इस प्रोत्साहन
में से सीएससी-एसपीवी अपना हिस्सा नहीं लेंगे और पूरी राशि संबंधित वीएलई/सीएससी
को दे दी जाएगी। इस पूरे कार्यक्रम का प्रसारण देश भर में फैले सभी 3.50 लाख कॉमन सर्विस सेंटरों में
किया गया। केंद्रीय श्रम
एवं रोजगार सचिव ने इन स्कीमों की जानकारी देते हुए कहा
कि राज्य सरकारों के साथ-साथ उनके जिला स्तर के अधिकारियों को सप्ताह
के दौरान अधिक से अधिक संख्या में लाभार्थियों का नामांकन करने
का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने पेंशन सप्ताह के दौरान राज्य स्तर पर समारोह आयोजित करने और व्यापक
अभियान चलाने के लिए राज्य और संघ राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों और प्रधान
सचिवों के प्रयासों की सराहना की।
पेंशन स्कीमों का सरलीकरण
केंद्रीय श्रम मंत्री गंगवार ने कहा कि मंत्रालय ने कहा कि दोनों
पेंशन स्कीमें सरल और आसान हैं। नामांकन कराने के लिए केवल
आधार और बचत बैंक और जनधन खाते की जरूरत होती है। इन स्कीमों में अपना नामांकन कराने में केवल दो-तीन
मिनट लगते हैं। इस स्कीम में मासिक अंशदान
काफी कम रखा गया है, जो अभिदाता
की प्रवेश आयु के आधार पर 55 रुपये से 200 रुपये के बीच होगा। यदि किसी व्यक्ति की
आयु 30 वर्ष है
तो उसका मासिक अंशदान लगभग 100 रुपये प्रतिमाह होगा।
इस तरह उसे हर वर्ष केवल 1200
रुपये और पूरी अंशदान अवधि में
36 हजार रुपये का अंशदान करना होगा। लेकिन 60 वर्ष की
आयु पूरी कर लेने के बाद उसे पेंशन के रूप में हर वर्ष 36 हजार रुपये मिलेंगे।
जीवन तालिका में यह स्पष्ट रूप से दिखाया
गया है कि यदि कोई
व्यक्ति 60 वर्ष का हो जाता है तो उसके 80 वर्ष की
आयु तक जीवित रहने
की संभावना होती है। इस तरह से उसे हर वर्ष 36,000/-
रुपये की पेंशन मिलेगी।
उसकी मृत्यु के बाद उसकी पत्नी या
पति को पेंशन का 50 प्रतिशत अर्थात
1500/- रुपये हर महीने मिलेंगे।
यदि पति और पत्नी
दोनों पात्र हैं तो वे स्कीम में अलग-अलग शामिल हो
सकते हैं और 60 वर्ष की आयु के बाद उन्हें पेंशन के रूप में हर महीने
6000/- रुपये मिलेंगे
जो वृद्धावस्था में उनकी दैनिक जरूरतों
को पूरा करने में पर्याप्त होंगे। यदि पेंशन
अवधि में उनमें से किसी एक
की मृत्यु हो जाती है तो पति या पत्नी
को पेंशन के रूप में 4500/-
रुपये हर महीने मिलेंगे
(3,000/- रुपये अपने और 1500/-
रुपये अपनी पत्नी या पति के)।
माननीय मंत्री महोदय ने यह भी उल्लेख किया कि पेंशन
सप्ताह के दौरान राज्य सरकारों के साथ-साथ जिला स्तर
के अधिकारियों को
लोगों को इस बारे में संवेदनशील करने का प्रयास करना और उन्हें इन पेंशन स्कीमों में
कवर करना चाहिए। इस समय लगभग 10 करोड़
आयुष्मान लाभार्थी,
11 करोड़ मनरेगा कामगार, 4-5 करोड़
बीओसी कामगार, 2.5 करोड़ स्वयं सहायता समूह सदस्य, 40 लाख आंगनबाड़ी
कामगार और 10 लाख आशा कामगार हैं। इनमें से पात्र व्यक्ति इन
स्कीमों में आसानी से शामिल हो सकते हैं। इस कार्यक्रम का लाइव वेबकास्ट देश भर
में फैले सभी कॉमन सर्विस सेंटरों में किया गया।
इसके अलावा राज्य सरकारों के समन्वय से राष्ट्रव्यापी स्तर पर व्यापक जन जागरूकता अभियान भी
चलाए जा रहे हैं। 01Dec-2019
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