राष्ट्रपति
ने दी पोत पुनर्चक्रण विधेयक को
मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद
द्वारा पारित ‘पोत पुनर्चक्रण विधेयक पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुहर लगा
दी है, जिसके बाद इसे कानूनी अमलीजामा पहनाने का रास्ता साफ हो गया है। मसलन अब
देश में पोतों की रिसाइक्लिंग यानि पुनर्चक्रण की
दुनिया में हिस्सेदारी बढ़ेगी, जिसमें उद्योगों के बढ़ने के साथ रोजगार सृजन भी
होगा।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय ने मंगलवार को इस विधेयक पर
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा लगाई गई मुहर की जानकारी देते हुए बताया कि सरकार
ने इस विधेयक को हांगकांग संधि का अनुमोदन करने और अंतरराष्ट्रीय समुद्री
संगठन (आईएमओ) के मानकों के आधार पर कानून बनाने का निर्णय लिया, जिसके लिए
विधेयक को पहले संसद की मंजूरी ली गई। इस विधेयक के प्रावधानों को देश में लागू
करने से जहां उद्योगों को बहुत लाभ होगा, वहीं इस संधि को लागू करने की दिशा
में इस कानूनी प्रक्रिया देश में रिसाइक्लिंग करने वाले उद्योगों की दुनिया में 30
फीसदी हिस्सेदारी को बढ़ाया जा सकेगा। गौरतलब है कि गुजरात में ऐसे 131 प्लांट हैं
जिनमें से 72 प्लांट हांगकांग संधि के तहत स्थापित हैं।
मंत्रालय के अनुसार इस विधेयक के प्रावधानों को श्रमिक केंद्रित,
पर्यावरण
केंद्रित बनाया गया है, जिसमें रोजगार एवं उद्योग में बढ़ोतरी
होगी। जहाजों की रिसाइक्लिंग के लिए नार्वे और जापान जैसे देश भी अपने जहाज भारत
भेजने के इच्छुक हैं, जहां जहाज तोड़ने का उद्योग कचरा पैदा करने वाला
नहीं बल्कि आर्थिक स्थिति मजबूत करने वाला उद्योग है। ऐसे
जहाजों की रिस्काइलिंग से इस्पात के अलावा मोटर, इंजन,
फर्नीचर
आदि कई
महत्वपूर्ण सामग्री मिलेगी।
मंत्रालय के अनुसार इस विधेयक के कानून लागू होने के लिए
जारी अधिसूचना के साथ ही नए जहाजों के लिए खतरनाक
सामग्री के उपयोग पर प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है, जिसके लिए
पोतों को इस नियम को लागू करने के लिए 5 वर्ष का समय दिया जाएगा। सरकार द्वारा संचालित
सैन्य पोतों और गैर-व्यावसायिक पोतों पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा।
18Dec-2019
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