मंगलवार, 10 दिसंबर 2019

बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाने को सख्त कानून की मांग



राज्यसभा में उठा बाल श्रमिकों की बढ़ती संख्या का मुद्दा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन सत्र में जहां कांग्रेस ने देश में बाल श्रमिकों के कल्याण और पुनर्वास के लिए व्यापक कार्य योजना बनाने की मांग की, तो वहीं भाजपा ने संगठित क्षेत्र की तर्ज पर असंगठित श्रमिकों को भी सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाकर उन्हें भी सरकारी योजनाओं का लाभ देने की वकालत की।
राज्यसभा में शुक्रवार को शून्यकाल के दौरान कांग्रेस सांसद पी.एल. पुनिया ने बाल श्रमिकों और खासकर घरेलू बाल श्रमिकों में बालिकाओं की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में 15.20 करोड़ बाल श्रमिक हैं, जिनमें भारत में यि संख्या एक करोड़ से ज्यादा है। पुनिया ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि इसके अलावा हर साल बाल तस्करी के जरिए नेपाल और बांग्लादेश से भी श्रम के लिए बालकों को लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि घरेलू नौकरों में लगातार बालिकाओं की संख्या बढ़ती जा रही है और कारखानों में बच्चों से जोखिम भरे काम कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाल श्रम उन्मूलन और उनके पुनर्वास के लिए कानून भी बना हुआ है, लेकिन बाल श्रम पर प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है। वहीं जिन बच्चों के हाथों में कलम और किताब होनी चाहए उस उम्र में ये मजदूरी करके अपना और परिवार का पेट पालने को मजबूर हैं। इसलिए सरकार से मांग है कि बाल श्रमिकों के उत्थान के लिए एक ऐसी व्यापक कार्य योजना बनाई जाए, जिसमें बाल मजदूरी से मुक्ति दिलाकर उनके पुनर्वास, शिक्षा और मुख्य धारा में लाने के मकसद से बनी योजनाओं को लागू किया किया जा सके। इस मुद्दे पर विभिन्न दलों के सदस्यों ने भी अपने आपको संबद्ध किया।
असंगठित श्रमिकों को मिले सुविधाएं
शून्यकाल के दौरान भाजपा सांसद डा. सत्यनारायण जटिया ने केंद्र सरकार से मांग की है कि ऐसे असंगठित क्षेत्रों के कामगारों को भी सामाजिक दायरे में लाकर सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाए, जो सीवर की सफाई या कुओं के अंदर और ऊंचाई पर या अन्य जोखिम भरे काम करते हैं को भी पूर्ण सुरक्षा दी जानी चाहिए। जटिया ने असंगठित क्षेत्र के ऐसे कामकारों को सम्मानजनक जीवन जीने के मौके देने हेतु उन्हें मुआवजा देने का प्रावधान लागू करने की मांग की, क्योंकि कुओं के अंदर काम करने वाले ऐसे मजदूर गैस के कारण मर जाते हैं। सदन में इस मुद्दे पर उन्होंने कहा कि देश में  मजदूरों, श्रमिकों, वंचितो, महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा देने के लिए बाबा भीमराव अंबेडकर ने भारतीय संविधान में बहुत से प्रावधान किये हैं और वह आज छह दिसंबर में डा. अंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर सरकार से असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों को दूसरे क्षेत्र यानि संगठित क्षेत्र में काम करने वालों की तर्ज पर सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की जा रही है।  
आत्महत्या का केंद्र बनी मेट्रो उच्च सदन में शुक्रवार को शून्यकाल के दौरा भाजपा सांसद विजय गोयल ने दिल्ली मेट्रो के स्टेशनों पर आत्महत्या की घटनाओं को लेकर चिंता जाहिर की और कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन को रेलवे ट्रेक के किनारे प्लेटफार्मो पर समुचित अवरोधक लगाने की जरुरत है। उन्होंने आत्महत्या का केंद्र बनते जा रहे मेट्रो रेल स्टेशनों पर पिछले तीन साल में हुई आत्महत्या की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2015 से 2018 तक दिल्ली में मेट्रो के स्टेशनों पर आत्महत्या के करीब 46 मामले सामने आए हैं।
07Dec-2019

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