शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

संसद में छह विधेयकों में संशोधन लाएगी सरकार!

केंद्रीय कैबिनेट ने कानूनों में संशोधन के लिए दी मंजूरी 
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार संसद के मौजूदा सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयकों में संशोधन करने की तैयारी में है। इसके लिए केंद्रीय कैबिनेट ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक और निजी डेटा संरक्षण विधेयक, एससी-एसटी आरक्षण संबन्धी विधेयक समेत करीब आधा दर्जन विधेयकों में संशोधन करे मंजूरी दी है, जिसमें सरकार के सामने नागरिकता (संशोधन) विधेयक सर्वोच्च प्राथमिकता में होगा।  
यहां नई दिलली में बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में नागरिकता (संशोधन) विधेयक और निजी डेटा संरक्षण विधेयक, संसद और विधानसभाओं में एससी/एसटी आरक्षण को 2030 तक बढ़ाने संबन्धी विधेयक, जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण एवं भरणपोषण (संशोधन) विधेयक तथा तीन संस्कृत विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालयों का दर्जा देने के संबन्ध में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक भी संसद में पेश किया जाएगा। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिए गये फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि सरकार की इसी मौजूदा शीतकालीन सत्र में इन विधेयकों को पेश किया जाएगा, जिसमें इसी सप्ताह सबसे पहले नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पेश करना सरकार की प्राथमिकता है।             
नागरकिता विधेयक पर आमने सामने सरकार व विपक्ष
केंद्र सरकार के नागरिकता (संशोधन) विधेयक में संशोधित किये गये प्रावधानों को लेकर सरकार और विपक्षी दलों में तकरार है। जबकि केंद्र सरकार इसे देश की एकता और अखंडता की दिशा में इस विधेयक में संशोधन को ऐतिहासिक कदम बता रही है। सूत्रों की माने तो भाजपा के इस कदम पर राजग घटक के जदयू जैसे दल के भी विरोधी स्वर सामने आ रहे हैँ। जबकि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आरजेडी और और वामदल पहले से ही इस विधेयक में संशोधन को संविधान की मूल भावना के विपरीत करार देते हुए विरोध करने का ऐलान करते आ रहे हैं।
क्या है नागरिकता संशोधन बिल?
केंद्र सरकार नागरिकता अधिनियम-1955 में संशोधन करने के लिए इसे संसद में लाने का फैसला कर चुकी है। सरकार ने यह विधेयक जुलाई 2016 में भी केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किया गया था, जिसे संसदीय कमेटी को सौंप दिया गया था। संसदीय समिति की रिपोर्ट के बाद अब सरकार इसे फिर से संसद में लेकर आ रही है। इस विधेयक में भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों यानि की हिंदु, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइ धर्म के मानने वाले लोग भारत में हैं उन्हें बिना समुचित दस्तावेज के नागरिकता देने का प्रस्ताव है। मसलन इस विधेयक में पड़ोसी देश से आए गैर-मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। इस विधेयक में उनके निवास के समय को 11 वर्ष के बजाय छह वर्ष करने का प्रावधान है। जबकि इस विधेयक में संशोधन के बाद ऐसे शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
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निजी डेटा संरक्षण विधयेक का मकसद
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा बहुप्रतीक्षित निजी डेटा संरक्षण विधेयक को मंजूरी देकर संसद मंजूरी लेने का मकसद डेटा संरक्षण कानून को सुदृढ़ करना है। इस प्रस्तावित कानून का भारत में संचालित एमएनसी पर काफी प्रभाव पड़ सकता है। वहीं बिना व्यक्तिगत उपस्थिति के इसके डेटा स्थानीयकरण आवश्यकताओं और सीमा पार से डेटा ट्रांसफर प्रतिबंधों के चलते इस पर प्रभाव पड़ सकता है।
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संसद व विधानसभा में एससी/एसटी आरक्षण का विस्तार      
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एससी/एसटी आरक्षण 25 जनवरी 2020 को खत्म हो रहा है, इसलिए केंद्र सरकार ने इस आरक्षण को दस साल की अवधि यानि 2030 तक बढ़ाने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रस्ताव रखा, जिसे मंजूरी दे दी गई। इसके लिए सरकार अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण संवैधानिक संशोधनों संबन्धी विधेयक संसद में पेश करेगी।
05Dec-2019

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