मंगलवार, 31 अक्तूबर 2017

आज से लागू होगी रेलवे की नई समय सारिणी



पटरी पर दौड़ेगी तेज गतिवाली छह नई ट्रेनें
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारतीय रेलवे के सुधार की दिशा में बनाई जा रही योजनाओं के साथ ही रेलवे ने देश में कम से कम 500 ट्रेनों की समय सारिणी में बदलाव किया है और रेल पटरी पर छह नई ट्रेनों को दौड़ाने का फैसला किया। इसके अलावा कल बुधवार से लागू हो रही नई समय सारिणी के तहत हरेक जोन में कुछ महत्वपूर्ण ट्रेनों की गति को भी तेज किया जा रहा है।
रेल मंत्रालय के अनुसार भारतीय रेल की नई समय सारिणी एक नवंबर से लागू हो जाएगी। इस नई समय सारिणी में करीब 500 रेल गाड़ियों के समय में बदलाव किया गया है और रेलवे परिचालन में सुधार की दिशा में सफर के समय की बचत की दिशा में हरेक जोन में महत्वपूर्ण एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों की रफ्तार और फ्रिक्वेंसी को भी बढ़ाया गया है। हर जोन में ट्रेनों की गति बढ़ाने के फैसले में भारतीय रेल ने कुछ ट्रेनों को सुपरफास्ट में अपग्रेड करने के अलावा 17 अन्य ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाना भी शामिल है। रेलवे के सूत्रों ने बताया कि उत्तर रेलवे जोन की 36 ट्रेनों के प्रस्थान समय में फेरबदल किया गया है, जबकि 65 रेलगाड़ियों की रफ्तार बढ़ाई गई है। इसी प्रकार दक्षिण रेलेवे के तहत चलने वाली 51 एक्सप्रेस ट्रेनों और 36 पैसेंजर ट्रेनों की गति में इजाफा किया गया है। जबकि ईस्ट रेलवे की 37 एक्सप्रेस रेलगाड़ियां और 19 लोकल पैसेंजर गाड़ियां पहले के मुकाबले तेज गति से चलाई जाएगी। इसका मकसद यात्रियों को कम समय में उनके गंतव्य तक पहुंचाना है।
ये चलेगी छह जोड़ी नई ट्रेनें
भारतीय रेल बुधवार से छह नई ट्रेनों की शुरुआत करने जा रहा है, जिसमें तेजस, हमसफर और अंत्योदय एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें शामिल हैं, जो पटरी पर दौड़ना शुरू करेंगी। रेलवे की नई समय सारिणी के मुताबिक तेजस ट्रेन सप्ताह में छह दिन नई दिल्ली से चंडीगढ़ के बीच चलेगी, जबकि सप्ताह में एक हमसफर एक्सप्रेस भी होगी, जो सियालदाह से जम्मूतवी का सफर तय करेगी। वहीं हमसफर एक्सप्रेस तीन हफ्तों में एक बार इलाहाबाद से आनंद विहार जाएगी। जबकि एक साप्ताहिक अंत्योदय एक्सप्रेस बिलासपुर-फिरोजपुर और दरभंगा-जालंधर के बीच दौड़ेगी।
क्या है नई ट्रेनों की विशेषताएं
तेजस एक्सप्रेसः यह रेलगाडी देश की पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन का रूप होगी, जिसके तमाम कोच वातानुकूलित हैं और यह हफ्ते में छह दिन नई दिल्ली-चंड़ीगढ़ तक चलाई जाएगी। जबकि तेजस की दूसरी रेलगाड़ी लखनऊ-आनंद विहार के बीच चलेगी।
हमसफर एक्सप्रेसः सप्ताह में एक दिन हमसफर एक्सप्रेस के रूप में एक ट्रेन सियालदाह से जम्मूतवी तथा तीन सप्ताह में एक बार यह ट्रेन आनंद विहार से इलाहाबाद के लिए रवाना होगी। यह ट्रेन पूरी तरह से थ्री टियर एसी स्लीपर ट्रेन है।
अंत्योदय एक्सप्रेसः नई ट्रेनों में गरीब और मध्यम वर्ग के यात्रियों की सुविधा देने की दिशा में अंत्योदय एक्सप्रेस रेलगाड़ी में सभी बोगियां अनारक्षित और सामान्य श्रेणी के होंगे। यह रेलगाड़ी सप्ताह में एक बार दरभंगा-जालंधर का सफर तय करेगी। जबकि इसकी दूसरी रेलगाड़ी बिलासपुर-फिरोजपुर के बीच चलेगी।
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यात्रियों को परेशानी से बचाने के प्रयास
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी नीरज शर्मा ने नई समय सारिणी के बारे में बताया कि एक नवंबर से प्रभावी हो रहे समय के बदलाव में यात्रियों को सलाह दी जा रही है कि पहले से टिकट की बुकिंग कराने वाले यात्रियों को नई समय सारिणी के समय की जानकारी करने के बाद सफर करना चाहिए। उनके अनुसार उत्तर रेलवे में 23 रेलगाडियों का प्रस्‍थान करने समय पहले किया गया, जबकि 13 रेलगाडियों का प्रस्‍थान समय बाद में किया गया। इसी प्रकार 18 रेलगाडियों के आगमन का समय आगे किया गया तथा 5 रेलगाडियों का आगमन का समय पीछे किया गया है। शर्मा के अनुसार अक्‍टूबर 2016 समय-सारणी जारी होने के बाद ही 17 रेलगाडियों की गति पहले ही बढ़ाई जा चुकी है, जबकि 28 रेलगाडियां शुरू की जा चुकी हैं और 6 जोड़ी रेलगाडियों को यात्रा विस्‍तार किया गया है। उत्तर रेलवे में 5 जोड़ी रेलगाडियों के चलने के दिन भी बढ़ाए गए हैं, जकि 9 जोड़ी रेलगाडियां सुपर फास्ट ट्रेन के रूप में परिवर्तित किया गया है और 13 जोड़ी रेलगाडियों को अतिरिक्त ठहराव प्रदान किए गए हैं। रेलवे के अनुसार यात्रियों की सुविधा के लिए टर्मिनल में परिवर्तन, आगमन और प्रस्‍थान समय में परिवर्तन तथा मार्ग परिवर्तन इत्‍यादि अन्य परिवर्तन का विवरण का प्रचार प्रसार करने के अलावा रेलवे स्टेशनों पर भी प्रदर्शित कर दिया गया है।
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विश्‍वेश चौबे बने उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
कोलकाता मेट्रो रेलवे के महाप्रबंधक विश्वेश चौबे ने मंगलवार को यहां उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक के रुपे में अपने पद पर  कार्यभार ग्रहण कर लिया है।
उत्तर रेलवे के सीपीआरओ ने यह जानकारी देते हुए बताया कि उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक नियुक्त किये गये विश्वेश चौबे ने मंगलवार को यहां उत्तर रेलवे मुख्यालय बडौदा हाउस में अपने पदभार को ग्रहण कर लिया है। चौबे ने आरके कुलश्रेष्ठ का स्थान लिया है, जिन्हें दक्षिण रेलवे चेन्नई का महाप्रबंधक बनाया गया है। विश्वेश चौबे इससे पहले मेट्रो रेल, कोलकाता के महाप्रबंधक पर कार्यरत थे। इससे पहले चौबे ने  प्रिंसिपल चीफ इंजीनियर दक्षिण पूर्व रेलवे, भारतीय रेल सिविल इंजीनियरिंग  संस्थान (आईआरआईसीईएन) पुणे में मुख्य ट्रैक इंजीनियर, उत्तर रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक, फिरोजपुर में कार्यकारी निदेशक/सिविल इंजीनियरिंग (योजना), पश्चिम रेलवे में मुख्य अभियंता/निर्मा के अलावा रेल विकास निगम लिमिटेड के संस्थापक निदेशक और संयुक्त निदेशक पर रेलवे में सेवाएं दे चुके हैं। वे भारतीय रेलवे में ट्रैक प्रौद्योगिकी के अन्‍य कई प्रमुख विशेषज्ञों के साथ ‘हैंडबुक फॉर ट्रैक मेंटेनेन्‍स’ तथा ‘इंट्रोड्यूसिंग सेकेंड फेज ऑफ मॉडर्नाइजेशन ऑफ ट्रैक’ पर रिपोर्ट के सह-लेखक भी हैं। 
01Oct-2017

नमामि गंगे: जल्द शुरू होंगी लंबित सीवेज परियोजनाएं


गडकरी ने समीक्षा के बाद दिए परियोजनाओं में तेजी लाने के निर्देश
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने महत्वकांक्षी ‘नमामि गंगे मिशन’ में तेजी लाने की दिशा में दिल्ली समेत गंगा नदी से जुड़े सभी छह राज्यों में खासकर सीवेज अवसंरचना संबन्धी लंबित परियोजनाओं को अगले साल से पहले शुरू करने के निर्देश दिये हैं।
केन्‍द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने यहां नई दिल्‍ली में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत हुई  बैठक में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और दिल्‍ली में चल रही सीवेज अवसंरचना से संबंधित परियोजनाओं की समीक्षा की। इस  दौरान कुछ परियोजनाओं की धीमी प्रगति पर असंतोष जाहिर करते हुए गडकरी ने कहा कि  फाइल संबंधित कार्यों और निविदा प्रक्रिया में देरी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्‍होंने कहा कि उस सामान्य धारणा को भूलने की जरूरत है कि नमामि गंगे के तहत कोई कार्य नहीं हो रहा है। उन्होंने संबन्धित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वह इस धारणा को पारदर्शिता, भ्रष्‍टाचारमुक्त, समयबद्ध और गुणवत्तापूर्वक कार्यों के जरिए बदलते हुए सभी लंबित सीवेज संबन्धी परियोजनओं को दिसंबर 2018 से पहले पूरी करना सुनिश्चित करें। बैठक में जल संसाधन राज्य मंत्री डॉ. सत्‍यपाल सिंह, मंत्रालय के सचिव डॉ. अमरजीत सिंह, राष्‍ट्रीय गंगा स्‍वच्‍छता मिशन के अधिकारी तथा सभी छह राज्‍यों के संबन्धित अधिकारी भी परियोजनाओं के विवरण के साथ  मौजूद थे।
विलंब के कारणों पर चर्चा
गडकरी ने कहा कि वह परियोजनाओं के निष्‍पादन के लिए अधिकारियों को पूर्ण स्‍वतंत्रता प्रदान करने में विश्‍वास रखते है,लेकिन वहीं उनसे नियत समय पर परिणाम की अपेक्षा करते हैं। इस बैठक में डीपीआर तैयार करने की पूरी प्रक्रिया में हो रहे विलंब से ठेकेदारों को भुगतान में हो रही देरी और निविदाओं को अंतिम रूप देने संबंधित कई महत्‍वपूर्ण कारणों पर भी चर्चा हुई और सुझाव भी दिए गए। गडकरी का मानना था कि नवीनतम विधियों और आधुनिक तकनीक का प्रयोग न केवल गंगा की सफाई के लिए होना चाहिए, बल्कि इसका प्रयोग गंगा की सहायक नदियों जैसे अलकनंदा, भागीरथी, रामगंगा, काली, हिंडन की सफाई के लिए भी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक इन नदियों को साफ नहीं किया जाता है तब तक हम ‘निर्मल और अविरल गंगा’ के सपने को पूरा नहीं कर सकते हैं।
राज्यों में सीवेज योजनाओं का हाल
बैठक के दौरान मंत्रालय के अधिकारियों ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को जानकारी दी कि गंगा नदी की के किनारे चार श्रेणियों में कुल 97 कस्‍बे स्थित हैं। इनमें से 55 कस्‍बों में आवश्यक सीवेज प्रबंधन का कार्य पूरा किया जा चुका है, जिनमें 10 कस्‍बे 1622 एमएलडी गंगा में प्रवाहित करते हैं, जो 97 कस्‍बों के कुल सीवेज (2593 एमएलडी) का लगभग 63 फीसदी है। समीक्षा बैठक में जानकारी दी गई कि अभी तक की सभी परियोनाओं के साथ उत्तराखंड और झारखंड ने अपने सभी शहरों से सीवेज के संदर्भ में कवर किया है। यूपी के मुगल सराय, बिहार के छपरा व दानापुर के तीन कस्‍बों में अभी सीवेज का कार्य बाकी है, जहां वर्तमान सीवेज उत्‍पादन क्रमश: 15, 21 और 27 एमएलडी है। पश्चिम बंगाल के बहरामपुर और नवद्वीप नामक दो शहरों की परियोजनाएं पाइप लाइन में है और जल्द ही इनकी मंजूरी मिलने की उम्‍मीद की जा रही है। इन कस्‍बों के लिए प्रस्‍तावित एसटीपी क्षमता क्रमश: 15 और 13 एमएलडी है। जबकि 11 कस्बे कम प्राथमिकता वाले हैं, जिनमें एक उत्तराखंड, तीन-तीन यूपी व बिहार तथा चार पश्चिम बंगाल के कस्बे शामिल हैं। 
01Nov-2017

मेक इन इंडिया के तहत होगा हथियारों का निर्माण



विनिर्माण नीति के तहत हथियारों के नियमों में उदारता
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने हथियारों और गोला बारूद के उत्पादन को ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में रोज़गार बढ़ाने वाले  तमाम नियमों को उदार बनाया है, ताकि रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सेना और पुलिस बलों की हथियार संबन्धी जरूरतों को समय से पूरा करने और इस क्षेत्र में निवेश को भी प्रोत्साहन मिल सके।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए हुए बताया कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बढ़ावा देने की दिशा में मंत्रालय ने  हथियार और गोला-बारूद के उत्पादन की नियमों को सरल बनाया है। इसके लिए गृह मंत्रालय ने हथियार (संशोधन) नियम-2017 की अधिसूचना जारी कर दी है, जिसमें इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजन की संभावनाओं को भी केंद्रित किया गया है। मंत्रालय के अनुसार विनिर्माण नीति के तहत हथियारों के उत्पादन के उदार किये गये नियमों से इस क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। वहीं मोदी सरकार के अभियान में तेजी लाई जा सकेगी ,जिसके तहत हथियार प्रणालियों और गोला-बारूद के देश में निर्मित उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। सरलीकरण वाले इन नियमों के कारण वैश्विक स्तर के देश में ही निर्मित हथियारों के ज़रिए सेना और पुलिस बल की हथियार संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा। नए नियम गृह मंत्रालय द्वारा छोटे हथियारों के निर्माण को प्रदान किए जाने वाले लाइसेंस पर लागू होंगे। जबकि यह नियम औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग के तहत लाइसेंस प्राप्त करने वाले टैंक, हथियारों से लैस लड़ाकू वाहन, रक्षक विमान, स्पेस क्राफ्ट, युद्ध सामग्री और अन्य हथियारों के पुर्जे तैयार करने वाली इकाईयों पर भी लागू होंगे।
क्या है नए नियम
गृह मंत्रालय द्वारा विनिर्माण नीति के नियमों में किये गये बदलाव के तहत अब हथियार उत्पादन के लिए मिलने वाला लाइसेंस लाइफ-टाइम के लिए वैध होगा, जिसमें प्रत्येक 5 वर्ष के बाद लाइसेंस के नवीकरण की शर्त को हटा लिया गया है। इसी प्रकार हथियार उत्पादकों द्वारा निर्मित छोटे और हल्के हथियारों को केंद्र और राज्य सरकारों को बेचने के लिए गृह मंत्रालय की पूर्व अनुमति की अब ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इन नए नियमों में जितने हथियारों के उत्पादन की अनुमति है और यदि उससे 15 फीसदी अधिक तक का उत्पादन किया जाता है तो भी इसके लिए अब सरकार से स्वीकृति की जरूरत नहीं होगी, बल्कि केवल उत्पादक इकाई को लाइसेंस देने वाले प्राधिकरण को इसकी जानकारी देना होगा। मंत्रालय की अधिसूचना के तहत लाइसेंस शुल्क में काफी कमी की गई है, वहीं विनिर्माण लाइसेंस प्राप्त करने के लिए लाइसेंस शुल्क को 50 हजार के बजाए पांच हजार रूपये कर दिया गया है। इन नियमों के तहत देश के भीतर एक ही राज्य में या विभिन्न राज्यों के भीतर बहु-इकाई सुविधा के लिए एकल विनिर्माण लाइसेंस की अनुमति होगी।
31Oct-2017

नोटबंदी: ‘बदल रहा है देश’ बनाम ‘भुगत रहा है देश’

कांग्रेस के ‘काला दिवस’ होगा देश व्यापी विरोध
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
मोदी सरकार के नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के विरोध में आठ नवंबर को कांग्रेस द्वारा ‘काला दिवस’ को दो स्तरीय विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है ,जसमें इन दोनों मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस ने इस आंदोलन का शीर्षक ‘भुगत रहा है देश’ का नारा दिया है।
सोमवार को कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पार्टी के महासचिवों और प्रदेश प्रभारियों की बैठक में आठ नवंबर को देशभर में नोटबंदी की बरसी मनाने के तौर तरीकों की रणनीति तैयार की और विपक्ष के ‘काला दिवस’ मनाने के लिए नोटबंदी के साथ जीएसटी को भी शामिल किया है, जिसमें कांग्रेस ने मोदी सरकार के इन निर्णयों का विरोध करने के लिए इस आंदोलन को राज्य मुख्यालय, जिला और ब्लाक स्तर पर दो स्तरीय विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। इस बैठक की जानकारी देते हुए कांग्रेस के मीडिया प्रभारी एवं प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि नोटबंदी के एक साल पूरा होने पर काला दिवस मनाएंगी, जिसके तहत मार्च व रैली निकालने के अलावा विरोध प्रदर्शन होगा और आठ नवंबर को रात्रि आठ बजे मोदी सरकार को रोशनी दिखाने के मकसद से ब्लाक स्तर पर कांग्रेस कार्यकर्ता कैंडल मार्च निकालेंगे। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि उनकी पार्टी मोदी जी से पूछना चाहती है कि आज काला धन कहां है? कितने फर्जी नोट पकड़े गए और ये रुक क्यों नहीं रहे? नोटबंदी के कारण हुई 150 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है? उन्होंने कहा कि इसके विपरीत छोटे कारोबारियों और दिहाड़ी मजदूरों की कमाई पर हुई इस लूट खसोट का जिम्मेदार कौन है? जबकि आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि 50 दिन बाद अगर देशवासियों को कोई तकलीफ हुई तो वह हर सजा के लिए तैयार है, तो अब देश मोदी जी की सजा तय करेगा। संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने कहा कि 8 नवंबर को देश भर में इन दो तरह से विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। कांग्रेस मुख्यालय में हुई इस बैठक में गुलाम नबी आजाद, मोतीलाल वोरा समेत कई बड़े कांग्रेस नेता शामिल हुए, जहां नोटबंदी के एक साल पूरे होने के मौके पर मोदी सरकार को घेरने की रणनीति पर चर्चा हुई।

रविवार, 29 अक्तूबर 2017

जलमार्ग के जरिए बांग्लादेश भेजी ट्रकों की खेप

डिजीटल के जरिए गडकरी ने दिखाई हरी झंडी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन करने की दिशा में जल परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में निर्यात के लिए भारत में चेन्नई बंदरगाह से 182 ट्रकों की खेप बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह के लिए रवाना की गई है, जिसे डिजीटल के जरिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हरी झंडी दिखाई।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को भारतीय वाहन विनिर्माता कंपनी अशोक लैलेंड के ट्रकों को जलमार्ग के जरिए बांग्लादेश के लिए निर्यात करने की शुरुआत की। रो-रो सेवा के तहत भेजी गई इस खेप में 185 ट्रकों को चेन्नई बंदरगाह से बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह के लिए रवाना किया गया। मंत्रालय के अनुसार सड़क मार्ग के बजाए जल मार्ग से वाहनों की यह खेप 15 से 20 दिन के समय की बचत करेगी, जिसमें सड़क मार्ग से सफर के दौरान भारत-बांग्लादेश सीमा पर भीड़भाड़-पेटीपोल-बेनपोल चेक पॉइंट पर लगने वाले समय की बचत के साथ ही जल परिवहन की लागत में भी भारी कमी आएगी और पर्यावरण सरंक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। मंत्रालय के अनुसार इस मौके पर गडकरी ने कहा कि आने वाले समय में जल मार्ग के जरिए बांग्लादेश और श्रीलंका में निर्यात होने वाले वाहनों की संख्या में 80 प्रतिशत का इजाफा होने की संभावना है। उन्होंने अनुमान लगाया कि अब प्रति माह 500 से ज्यादा ट्रकों जलीय या समुद्र मार्ग से निर्यात की उम्मीद है जो देश की सड़कों से परिवहन के ज्यादातर बढ़ते बोझ को कम करेगी। जलमार्ग के जरिए व्यापार को बढ़ावा देने का मकसद अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारतीय सामानों को प्रतिस्पर्धी बनाने के साथ परिवहन की लागत और परिवहन के समय की बचत करने का लक्ष्य है।
समझौते के तहत निर्यात
मंत्रालय के अनुसार भारत और बांग्लादेश के बीच जून 2015 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश की यात्रा के दौरान तटीय जहाजरानी समझौता किया गया था। इसी समझौते के आधार पर भारतीय बंदरगाहों से बांग्लादेश बंदरगाहों तक समुद्री परिवहन को तटीय आंदोलन माना जाता है, जिससे इसे 40 प्रतिशत पोत संबंधित और कार्गो संबंधित शुल्क लागू होगा। रो-रो जहाजों के माध्यम से तटीय परिवहन के अलावा भारतीय बंदरगाहों पर जहाज संबंधी संबंधित और कार्गो संबंधित शुल्क पर 80 प्रतिशत छूट लागू मिलेगी। गौरतलब है कि चेन्नई बंदरगाह ने 5 अगस्त 2016 को जल परिवहन के तहत रो-रो सेवा की शुरूआत की गई थी, जिसके दौरान 800 हुंडई कारों को स्थानीय वितरण के लिए चेन्नई से पिपवव पर रोरो जहाजों पर भेज दिया गया था।
तटीय जलमार्गो के इस्तेमाल पर बल
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए वाहन विनिर्माता कंपनियों से आव्हान किया है कि वे अपने वाहनों की खेप को दूसरी जगहों तक भेजने के लिए तटीय जलमार्गों का इस्तेमाल करें। क्योंकि सड़क परिवहन की महंगाई से छुटकारा मिलेगा और जोखिम की संभावनाएं भी नगण्य होंगी। उन्होंने कहा कि जलमार्गों तटीय परिवहन का इस्तेमाल करने से लागत और समय दोनों में बड़े पैमाने पर बचत होगी।
29Oct-2017