
फिक्की-केपीएमजी
की रिपोर्ट में किया गया खुलासा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारत की
ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के देशों की अर्थव्यवस्था को चौपट करने में तस्करी और
नकली माल उत्पादन जैसी गतिविधियां बड़ा कारण मानी गई है और और अवैध व्यापार,
आतंकवाद और संगठित अपराधों के वित्तपोषण को भी इन्हीं गतिविधियों से बढ़ावा मिलता
है।
यह खुलासा
इलिसिट ट्रेडः फ्यूलिंग टेरर फाइनेंसिंग ऐंड आर्गनाइज्ड क्राइम नामक शीर्षक से
जारी फिक्की-केपीएमजी की एक रिपोर्ट में किया गया है। यह रिपोर्ट आज गुरुवार को फिक्की
के सम्मेलन में जारी किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक आतंकवाद को वित्त पोषण, संगठित अपराध
और अवैध व्यापार के बीच के गठजोड़ का भी जिक्र किया गया, जिसमें आतंकवाद एक वैश्विक
समस्या करार दिया गया। रिपोर्ट में दुनिया के प्रभावित लगभग सभी देश झेल रहे दुष्परिणामों
के तहत बताया गया है कि वर्ष 2016 में 55 फीसदी से ज्यादा आतंकी हमले इराक, अफगानिस्तान,
पाकिस्तान, भारत और नाइजीरिया में हुए इन हमलों के लिए फंड जुटाने और इन्हें कार्यरूप
देने के लिए आतंकवादी संगठनों ने वित्त पोषण के लिए विभिन्न तरीके के वित्तीय उपायों
का सहारा लिया है। इसके लिए राज्य प्रायोजित आतंकवाद, खैरात और चंदा, अपहरण, फिरौती
के अलावा तस्करी, नकली सामान और पाइरेसी को प्रमुख जरिया बनाया जा रहा है। किसी भी
देश की अर्थव्यवस्था कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण भी यही सामने आया है। इस
रिपोर्ट में हालिया उदाहरण शार्ली ऐब्डो हमलों का हवाला देते हुए खुलासा किया गया
है कि कई प्रमुख आतंकी संगठनों जैसे हिजबुल्ला, लश्कर-ए-तैयबा, अलकायदा, आयरिश रिपब्लिकन
आर्मी आदि अपने करीब 20 फीसदी आतंकी अभियानों को अंजाम देने के लिए अवैध व्यापार का
सहारा लेते रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार अवैध व्यापार एक ऐसी समस्या है, जिसका काफी
ऊंचा आर्थिक असर होता है और समय के साथ यह तेजी से बढ़ रहा है।
अवैध व्यापार बड़ी समस्या
सम्मेलन
में इस रिपोर्ट के हवाले से फिक्की के महासचिव डॉ. संजय बारू ने कहा कि तस्करी, नकली
माल उत्पादन और पाइरेसी वाली वस्तुओं के अवैध व्यापार ने अर्थव्यवस्था को कई तरीके
से प्रभावित करने के साथ इससे वैध उद्योग को अस्थिर किया गया है। मसलन इनोवेशन एवं
निवेश पर अंकुश लगने से सरकारी राजस्व को घाटा होता है और वहीं उपभोक्ताओं की सेहत
एवं सुरक्षा को भी नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियां कानून के शासन
और वैध बाजार अर्थव्यवस्था को भी खोखला कर रहा है, जिससे दुनिया भर में ज्यादा असुरक्षा
और अस्थिरता पैदा हो रही है। रिपोर्ट में आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन और यूरोपीय
संघ बौद्धिक संपदा कार्यालय द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट ‘नकली और पाइरेटेड वस्तुओं
का व्यापारः आर्थिक असर का आकलन’ में भी ऐसे अनुमान लगाए जा चुके हैं।
अवैध व्यापार पर अंकुश के सुझाव
रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के
महत्वपूर्ण सुझाव भी दिये गये हैं, जिनमें सरकारी प्रयासों के द्वारा नकली और तस्करी
वाले उत्पादों के बारे में बेहतर जागरूकता पैदा करने पर बल दिया गया। वहीं नकली और
पाइरेटेड वस्तुओं के बाजार को घटाने के लिए सरकार और उद्योग जगत मिलकर अभियान चलाए
जा सकते हैं। अवैध व्यापार तथा आतंकवाद, संगठित
अपराध और अवैध व्यापार के बीच रिश्तों पर अंकुश लगाने के लिए कार्य बलों का गठन करने
का सुझाव भी दिया गया है, हालांकि भारत में सरकारें ऐसे प्रयास करती आ रही है।
13Oct-2017
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