शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2017

नमामि गंगे: नई तकनीक से होगी कार्यो की निगरानी


काम में तेजी लाने पर 30 अक्टूबर को राज्यों के साथ होगी बैठक
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना नमामि गंगे के कार्यो में तेजी लाने और उसकी निगरानी के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया गया है। नमामि गंगे मिशन में तेजी लाने की दिशा में गंगा के प्रवाह वाले सभी छह राज्यों की 30 अक्टूबर को बैठक लेकर चर्चा की जाएगी।
केन्‍द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री का कार्यभार ग्रहण करने के बाद नमामि गंगे परियोजना को गति देने की दिशा में बुधवार को नितिन गडकरी ने बैठक का आयोजन किया। इस दौरान नमामि गंगे परियोजना में तेजी लाने की दिशा में सीवरेज क्षेत्र में पहले हाइब्रिड वार्षिकी पीपीपी अनुबंधों के लिए यूपी व उत्तराखंड की एजेंसियों के त्रिपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर भी हुए। उन्होंने इस कार्यक्रम के दौरान संवादाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रमों में आ रही बाधाओं को जल्द दूर किया जाएगा, जिसके लिए 30 अक्टूबर को गंगा वाले सभी छह राज्यों के संबन्धित मंत्रियों और अधिकारियों की बैठक बुलाई गई है। आवश्यकता पड़ी तो इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ भी चर्चा की जाएगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में शुरू हुई इस परियोजना के तहत अभी तक 184 परियोजनाओं में से 46 परियोजनाओं को पूरा किया जा चुका है और बाकी परियोजनाएं पूरा होने के विभिन्न चरणों में हैं। गडकरी ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम में अगले वर्ष दिसंबर तक महत्‍वपूर्ण प्रगति नजर आएगी और और परियोजना का बड़ा हिस्‍सा मार्च 2019 तक समाप्त होकर नतीजा सामने आएगा। गडकरी ने निजी क्षेत्र का आह्वान किया कि वे सीएसआर ग‍तिविधियों के अंतर्गत नमामि गंगे की विभिन्न परियोजनाओं को हाथ में लेकर अपने संसाधनों, पहुंच और अनुभव के साथ गंगा संरक्षण के विशाल कार्य में भागीदारी करें।
उद्योगों का पानी नहीं आएगा बाहर
जल संसाधन मंत्री गडकरी ने कहा कि सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल निर्मल गंगा नदी में प्रमुख रूप से चार उद्योगों चीनी मिलों, पेपर मिलों, डिस्ट्रली और टैक्सटाइल उद्योगों का गंदा व कैमिकलयुक्त पानी गिरता है। इन समेत ऐसी कारपोरेट कंपनियों को सीवेज शोधन संयंत्र लगाने के निर्देश पहले ही जारी किये जा चुके है। इसके लिए यह भी निर्णय लिया गया है कि इन उद्योगों के पानी की एक बूंद भी नदी में नहीं पड़ने दी जाएगी। इसके लिए जल बाजार विकसित करने की योजना बनाई जा रही है, जिसके जरिए ऐस शोधित पानी को बेचा जा सकेगा।
शहरों के कचरे पर भी कसेगा शिकंजा
उन्होंने बताया कि गंगा नदी तट पर बसे 97 शहरों का 1750 एमएलडी सीवेज कचरा गंगा नदी में चला जाता है। इन सभी शहरों में राज्य सरकारों, नगर निगम और कॉर्पोरेट कंपनियों की मदद से सीवेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) स्‍थापित करने पर बल दिया गया है। इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी 14 अक्‍तूबर को पटना में 140 एमएलडी के चार एसटीपी स्‍थापित करने की आधारशिला रखेंगे। उन्‍होंने कहा कि जल संसाधन मंत्रालय ऐसे नवप्रवर्तनशील तरीके अपना रहा है जिससे नदी में सीवेज का पानी बिलकुल न गिरे। वहीं गंगा के तट पर एनटीपीसी की 23 विद्युत परियोजनाओं में से 12 चालू हैं, जिन विद्युत परियोजनाओं को एसटीपी का दोबारा प्रयोग में आने लायक पानी बेचने की योजना बना रहे हैं। इस पानी का इस्‍तेमाल ट्रेनों की धुलाई के लिए किया जा सकता है और किसान सिंचाई के लिए भी इसे इस्‍तेमाल कर सकते हैं। इस तरीके से हम गंगा में सीवेज का पानी बिल्‍कुल नहीं गिरने देने की अवस्‍था तक पहुंच सकते हैं। 
12Oct-2017

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें