सोमवार, 2 अक्तूबर 2017

सीमा प्रहरी के साथ एसएसबी बना सामाजिक चेहरा



सशस्त्र सीमा बल की महानिदेशक ने ली विदाई परेड की सलामी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
पडोसी देशों से लगी सीमाओं की सुरक्षा के प्रहरी बने सशस्त्र सीमा बल ने सामाजिक और रचनात्मक गतिविधियों के जरिए नकसल प्रभावित जैसे संवेदनशील इलाकों में भटके लोगों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने की पहल की है। इसका मकसद सीमाओं और नक्सलवाद प्रभावित इलाकों में आपराधिक गतिविधयों पर लगाम कसना रहा।
यह बात शुक्रवार को यहां भारत के केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की पहली महिला प्रमुख अर्चना रामासुंदरम ने एसएसबी के महानिदेशक पद से सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले सशस्त्र सीमा बल की वाहिनी की विदाई परेड के बाद एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कही। एसएसबी में डेढ़ साल से ज्यादा महानिदेशक के पद के कार्यकाल में अर्चना रामासुंदरम ने अनेक ऐसे सकारात्मक बदलाव किये जिनके प्रस्तावों को केंद्र सरकार ने भी स्वीकार किया है। उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह ही भारत की नेपाल और भूटान की खुली सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था और तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए गृहमंत्रालय ने एसएसबी की खुफिया ईकाई का गठन किया, जिससे सीमाओं पर आपराधिक गतिविधियों को काबू करने में बेहद मदद मिलेगी। महानिदेशक ने बताया कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान भारत-नेपाल, भारत-भूटान और नक्सल प्रभावित खासकर छत्तीसगढ़ के इलाकों में हर बल की हर सुदुर चौकी का दौरा किया और ऐसे इलाकों में सामाजिक चेतना जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक व रचनात्मक और कौशल विकास प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रम आयोजित करने की भी परंपरा को शुरू किया गया। अर्चना ने अपने कार्यकाल के दौरान एसएसबी में विभिन्न रैंकों में करीब छह हजार अधिकारियों व कर्मचारियों की लंबित पदोन्नति को भी अंजाम तक पहुंचाया है। एसएसबी में बेहतर प्रशिक्षण और उपकरणों के साथ आपरा में राहत और बचाव की टीमों की संख्या बढ़ाकर तीन से 18 की गई। गृह मंत्रालय द्वारा बल को 9917 असाल्ट राइफल, 22 स्वचालित ग्रेनेड लॉन्चर, 324 यूबीजीएल और 14 एमजीएल की स्वीकृति भी मिली।
छग व झारखंड में नक्सलवाद चुनौती
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एसएसबी सीमाओं के अलावा प्रमुख रूप से नक्सल प्रभावित राज्यों छत्तीसगढ़ और झारखंड के अलावा जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा सेवा में शामिल है। अर्चना रामासुंदरम ने जानकारी दी कि पिछले दो सालों में एसएसबी ने 51 नक्सलियों का भारी हथियारों के आत्मसमर्पण कराया है। उन्होंने नेपाल सीमा पर बिहार के सीतामढी जिले के सोनबरसा को मानव तस्करी के लिहाज से सबसे संवेदनशील बताते हुए कहा कि एसएसबी ने इस जिले में मानव तस्करी और बाल श्रम के खिलाफ जन जागरूकता अभियान की शुरूआत की है। ऐसी रचनात्मक गतिविधयों के कारण एसएसबी ने अनेक बच्चों समेत 500 से ज्यादा पीडितों को बचाकर उन्हें उनके परिजनों से मिलाया है। मानव तस्करी से निपटने के लिए सभी हितधारकों के साथ मिलकर एसएसबी ने मानव तस्करी और बाल श्रम पर एक अंतर्राज्यीय कार्यशाला भी आयोजित की है। इसके अलावा सेक्टर मुख्यालय गया एवं फ्रंटियर मुख्यालय पटना के अंतर्गत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात एसएसबी बटालियंस ने 194.95 एकड़ जमीन में अफीम की खेती को सफलतापूर्वक नष्ट किया है।
एसएसबी कल्याण पर भी फोकस
महानिदेशक अर्चना ने कहा कि एसएसबी के प्रमुख होने के नाते उन्होंने बल के सैनिकों और उनके परिजनों के कल्याण के लिए फरीदाबाद, जयपुर, गुवाहटी और पटना जैसे देश के 11 प्रमुख स्थानों की पहचान की है, जहां पृथक पारिवारिक आवास के निर्माण और विकास योजनाओं को विभिन्न चरणों गृहमंत्रालय तेजी से लागू कर रहा है। एसएसबी में महिला सुरक्षा बलों का विस्तार करने के लिए भी उनके प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने प्रक्रिया शुरू की है।

कर्मचारियों को सम्मान
एसएसबी महानिदेशक अर्चना रामासुंदरम ने शुक्रवार को बल की विदाई परेड में एसएसबी के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने वाले बल के पांच कर्मियों कों गोल्डन डिस्क और 15 कर्मियों कों सिल्वर डिस्क्स का पुरस्कार देकर सम्मानित किया, जिसमें उप-महानिरीक्षक रैंक के एक अधिकारी भी शामिल है। विदाई परेड का सबसे खास क्षण बल के लिए पशु के रूप में असाधारण सेवा प्रदान करने के लिए जर्मन शेफर्ड कैनिन ‘स्पेन्सर’ को पहला स्वर्ण पदक का पुरस्कार रहा। एसएसबी ने  अर्चना को सेवानिवृत्ति पर बधाई देते हुए उनके भावी प्रयासों में सफलता के लिए शुभकामनाएं भी दी।
30Sep-2017


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