शनिवार, 21 अक्तूबर 2017

अब आसान नहीं होगी ड्राइविंग लाइसेंस लेने की राह?


पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रस्ताव पर पीएमओ में जारी मंथन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देशभर में हाल ही में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वालों के लिए ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र के प्रमाण पत्र की अनिवार्यता करने के बाद अब तेल बचत करने का कार्स करना भी जरूरी किया जा सकता है। ऐसा एक प्रस्ताव पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया है। यदि इस प्रस्ताव की केंद्र सरकार के स्तर पर मुहर लगती है तो नए डीएल हासिल करने की राह आसान नहीं होगी। ।
सूत्रों के अनुसार पीएमओ को भेजे गये इस प्रस्ताव में पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा कि ड्राइविंग लाइसेंस के नियमों में बदलाव करके यह अनिवार्य होना चाहिए। प्रस्ताव के तहत यदि कोई व्यक्ति ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन करता है तो उसके लिए तेल बचत करने का कोर्स करने का प्रमाण पत्र अनिवार्य करने पर विचार किया जा रहा है। पेट्रोलियम मंत्रालय चाहता है कि तेल की बचत करने जैसे प्रशिक्षण देने वाले पेट्रोलियम संरक्षण एवं रिसर्च ऐनालिसिस (पीसीआरए) से वाहन चालाने वालों को भी प्रशिक्षण लेना चाहिए यानि ड्राइविंग लाइसेंस के लिए पीसीआरए के पेट्रोलियम उत्पादों के बचत का कोर्स का प्रमाण पत्र अनिवार्य होना चाहिए। हालांकि सूत्रों के अनुसार इस प्रस्ताव पर सैद्धांतिक रूप से सहमति बनने का दावा भी किया जा रहा है, जिसमें इस कोर्स की अवधि व उसके शुल्क आदि तय करने पर अंतिम विचार किया जा रहा है। इस प्रस्ताव पर जल्द ही अंतिम फैसला करने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ भी विचार विमर्श किया जाएगा। यदि सरकार इस प्रस्ताव को स्वीकार करती है तो नियमों में बदलाव के बाद ड्राइविंग लाइसेंस लेना और लाइसेंस धारकों को उसका नवीनीकरण कराने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। गौरतलब है कि पिछले दिनों ही सड़क परिवहन मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी करके ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आवदेकों को किसी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र के प्रमाणपत्र की अनिवार्यता को लागू किया था।
नए वित्तीय वर्ष से लागू हो सकता है नियम
सूत्रों के अनुसार हालांकि इस कोर्स के लिए शुल्क को मामूली ही रखने का प्रस्ताव है, लेकिन पेट्रोलियम मंत्रालय चाहता है कि देश में तेल बचत को भी प्रोत्साहन मिलता रहे और लोगों में इसके प्रति जागरूकता बढ़े। इसीलिए पेट्रोलियम उत्पाद बचाने के उपाय और तौर तरीके सिखाने वाले पेट्रोलियम संरक्षण एवं रिसर्च ऐनालिसिस से इस कोर्स को वाहन चालकों के लिए अनिवार्य करने पर बल दिया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार पीएमओ को भेजे गये इस प्रस्ताव के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण है, जिसके लिए विचार-विमर्श चल रहा है और यदि इस नियम पर मंजूरी मिली तो इसे आगामी एक अप्रैल 2018 से लागू करने की संभावनाएं बन सकती हैं।

इसलिए सामने आया प्रस्ताव
केंद्र की मोदी सरकार अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी होने से देश में पेट्रोल व डीजल के दामों में हो रही निरंतर बढ़ोतरी के कारण आलोचना का शिकार हो रही है। सूत्रों के अनुसार पेट्रोलियम मंत्रालय ने तेल के दामों को नियंत्रित करने की दिशा में जहां पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने केंद्र सरकार पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का सुझाव दिया है, वहीं केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को वैट में कमी करने के लिए पत्र लिखे ताकि तेल के दामों में कमी लाई जा सके। यही वजह मानी जा रही है कि पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से वाहन चलाने वालों को तेल बचत के प्रति जागरूक करने के साथ उसके प्रशिक्षण की अनिवार्यता को लागू करने के नियम जारी करने का प्रस्ताव दिया है।
21Oct-2017

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