1.88
करोड़ लाख हेक्टेयर भूमि होगी सिंचित
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में जल,
बिजली, परिवहन और संचार विकास के चार सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों को मजबूत करने के
लिए केंद्र सरकार ने जहां हर घर में सुरक्षित पेयजल देने की योजना बनाई है, वहीं
खासकर किसानों के हर खेत में सिंचाई का पानी मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का विस्तार करते
हुए अगले साल 285 नई सिंचाई परियोजनाएं शुरू करने का निर्णय लिया है, जिससे 1.88
करोड़ लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र सृजित होगा।
यह बात
मंगलवार को यहां शुरू हुए पांचवे भारत जल सप्ताह के लिए आयोजित अंतर्राष्ट्रीय
सम्मेलन में बोलते हुए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री नितिन
गडकरी ने कही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के
तहत 27 परियोजनाओं को इस साल के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। गडकरी ने कहा कि बूंद-बूंद
सिंचाई या ड्रिप सिंचाई और पाइपलाइन के जरिए सिंचाई सरकार के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र
के रूप में होंगी, क्योंकि इससे बड़ी मात्रा में पानी की बचत होगी और इसके साथ ही
भूमि अधिग्रहण में निहित लागत भी घट जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार हर घर में सुरक्षित
पेयजल और हर खेत में सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने पर काम कर रही है, जिसके तहत चार
करोड़ से भी ज्यादा लोगों को पेयजल और आठ लाख हेक्टेयर से ज्यादा भूमि की सिंचाई
सुविधा मुहैया कराने के लिए हाल ही में सरदार सरोवर परियोजना शुरू की गई है। केंद्रीय
जल संसाधन राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि जल और ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण संसाधनों
का समुचित संरक्षण और इष्टतम उपयोग राष्ट्र के समेकित विकास के लिए अत्यंत आवश्यक
है। उन्होंने देश के 112 जिलों में 20 प्रतिशत से भी कम सिंचाई कवरेज की चिंता पर
कहा कि पानी की कमी और बाढ़ प्रबंधन की चुनौतियों का सामना करने के लिए समयबद्ध उपायों
की जरूरत है। इसके लिए सरकार ने विश्व बैंक से सहायता प्राप्त 6,000 करोड़ रुपये की
लागत पर भूजल के टिकाऊ प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय भूजल प्रबंधन सुधार योजना का प्रस्ताव
किया है। इसके आलवा जल संसाधन राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने उम्मीद जताई कि इस
सम्मेलन में पानी और ऊर्जा के बुनियादी मुद्दों पर नीति निर्माताओं के सुझाव लाभदायक
साबित होंगे।
नदी लिंक परियोजना महत्वपूर्ण
केंद्रीय
मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि बाढ़ और सूखे की समस्या से निपटने की दिशा में मोदी
सरकार ने देश में नदियों को आपस में जोड़ने वाली प्रस्तावित 30 परियोजनाओं को आगे
बढ़ाने पर जोर दिया है, जिसमें तीन परियोजनाओं को शुरू करने के लिए सभी औपचारिक
मंजूरियां मिल गई हैं, जिनमें तीन परियोजनाओं केन-बेतवा, पार-तापी-नर्मदा और दमन गंगा-पिंजल
परियोजनाओं पर काम तीन माह के भीतर शुरू हो जाएगा। इनमें केन-बेतवा परियोजना जल्द
ही शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार नदियों को आपस में जोड़ने के लिए एक बड़ा
कोष बनाने की संभावनाएं भी तलाश रही है।
जलशोधन पर ज्यादा बल
गडकरी ने कहा
कि शोधित अपशिष्ट जल के उपयोग के लिए नए तरीके ढूंढ़ने की जरूरत है, जिसके लिए उन्होंने
एनटीपीसी के बिजली संयंत्रों में पुनरावर्तित (रिसाइकिल्ड) पानी का उपयोग करने की संभावना
तलाशने के लिए विद्युत मंत्री से अनुरोध किया है। उन्होंने नदी के 70 फीसदी पानी का
उपयोग करने के लिए अभिनव तरीकों की खोज करने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया, जो समुद्र
में चला जाता है। पंचेश्वर परियोजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जल संसाधन
मंत्रालय में सचिव जल्द ही लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए नेपाल का दौरा करेंगे।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि परियोजना पर काम जल्द ही शुरू हो जाएगा।
हर घर को मिलेगा पानी: उमा
सम्मेलन में केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री सुश्री
उमा भारती ने कहा कि वर्ष 2022 तक देश के हर घर में सुरक्षित पेयजल और प्रत्येक खेत
में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मोदी सरकार के लक्ष्य गंभीरतापूर्वक काम हो
रहा है। वहीं भूजल का स्तर खतरनाक रूप से नीचे जाने की चिंता से भी निपटने के लिए भूजल
का दुरुपयोग को रोकने की योजना बनाई गई है। इसी मकसद से नदियों को आपस में जोड़ने
और नदियों के पानी को निर्मल बनाने तथा अन्य योजनाओं पर काम किया जा रहा है। 11Oct-2017
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