बुधवार, 4 अक्तूबर 2017

तकनीक के जरिए पुख्ता होगी बांधों की सुरक्षा

जल आयोग ने दो और तकनीकी संस्थानों से किया करार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की देशभर के बांधों के खतरों से निपटने के लिए बनाई गई बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना को तेजी लाने वाली बनाई गई कार्य योजना में अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है। इस दिशा में केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के तहत केंद्रीय जल आयोग ने बांधों की सुरक्षा के लिहाज से क्षमता निर्माण में सहयोग देने के लिए आईआईटी रूड़की और एमएनएनआईटी इलाहाबाद के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के ने बतया कि केन्द्रीय जल आयोग ने मंगलवार को विभिन्न एजेंसियों और सीडब्ल्यूसी के बांध पुनरूद्धार प्रयासों में सहयोग देने की दिशा में उसी प्रकार आईआईटी रूड़की और एमएनएनआईटी इलाहाबाद के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं, जिस प्रकार इससे पहले राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास एवं भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलूरू जैसे कई तकनीकी संस्थानों के साथ करार किया है। इन समझौतों के तहत बांधों की सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और सुरक्षा से जुड़े परीक्षणों अध्ययनों के जरिए सुरक्षित नेटवर्क को विकसित किया जा सकेगा। जल संसाधन मंत्रालय विश्व बैंक की सहायता से बांधों के पुनरूद्धार और सुधार परियोजना के जरिये बांधों की सुरक्षा के क्षेत्र में क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों की मदद ले रहा है। इससे पहले जल आयोग इसी दृष्टि से आईआईटी मद्रास, भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलूरू, एनआईटी कालीकट और एनआईटी राउरकेला के साथ समझौता ज्ञापनों पर पहले ही हस्ताक्षर कर चुका है, जिससे इन संस्थानों को विशेष उपकरण और सॉफ्टवेयर खरीदने के लिए सहायता दी जा सके, ताकि उनकी परीक्षण और मॉडलिंग क्षमताएं बढ़ सकें।
भूकंप संबन्धी उपकरण स्थापित
मंत्रालय के अनुसार पिछले महीने जल आयोग ने मध्य प्रदेश जल संसाधन विभाग और यूजेवीएन लिमिटेड (यूजेवीएनएल), उत्तराखंड को सहायता देने के लिए आईआईटी रूड़की के भूकंप इंजीनियरिंग विभाग के साथ करार किये थे। इन करारों के तहत भूकंप संबंधी उपकरणों को स्थापित करने, इन प्रतिष्ठानों का प्रमाणीकरण, रियक्टर पैमाने पर 4.0 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप के बाद उसकी रिपोर्ट और इन रिपोर्टो के साथ सूचनाओं के राज्य और केन्द्रीय एजेंसियों के साथ आदान-प्रदान करने का प्रावधान है। वहीं एजेंसियों द्वारा आंकड़ों का संग्रहण, प्रोसेसिंग, निगरानी, विश्लेषण, विवेचना के लिए राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा संभाल कर रखे गये भारतीय बांध भूकंप विज्ञान नेटवर्क के साथ राज्य बांध भूकंप विज्ञान नेटवर्क को जोड़ना और एक मजबूत राष्ट्रीय योजना तैयार करना है।
225 बांधों का पुनरूद्धार
मंत्रालय के अनुसार डीआरआईपी सात राज्यों में ऐसे 225 बांधों के पुनरूद्धार के लिए सहायता दे रहा है, जो विभिन्न स्तरों पर खतरे जैसे संकट का सामना कर रहे हैं। इन बांधों के मालिकों को बांध की स्थितियों की जांच और पुनरूद्धार प्रयासों में सहायता के लिए तकनीकी सहायता की आवश्यकता है। सरकार ने बांध सुरक्षा के क्षेत्रों में कुछ चुने हुए शैक्षणिक संस्थानों की क्षमता बढ़ाने का फैसला किया है, ताकि वे क्षेत्र में जाकर जांच और सामग्री का परीक्षण कर सकें और बांध के पुनरूद्धार प्रयासों में बांध के मालिकों को प्रशिक्षण और परामर्श सेवाएं प्रदान कर सकें।
04Oct-2017

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें