गंगा के जीर्णोद्धार
में एकीकृत प्रणाली से तेजी लाने पर बल
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
गंगा और
सहायक नदियों की स्वच्छता के लिए चलाए जा रहे नमामि गंगे मिशन में तेजी लाने के
लिए अब नवीनतम भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल पर ज्यादा जोर दिया जाएगा।
यहां
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह की
अध्यक्षता में आयोजित राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, राष्ट्रीय सुदूर संवेदी केन्द्र
और भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अधिकारियों की हुई बैठक में गंगा नदी के जीर्णोद्धार
के लिए एकीकृत तरीके से कार्य करने पर बल दिया गया। सत्यपाल सिंह ने कहा कि गंगा को
स्वच्द बनाने के लिए चलाए जा रहे नमामि गंगे कार्यक्रमों को समयबद्ध और एकीकृत तरीके
से पूरा करने के लिए नवीनतम भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों का अधिकतम इस्तेमाल किया
जाना चाहिए। इस मौके पर एनएमसीजी के महानिदेशक यू.पी. सिंह ने नमामि गंगे की पूरी
की गई परियोजनाओं और प्रगतिशील गतिविधयों की जानकारी दी और बताया कि एनएमसीजी एक व्यापक
योजना पद्धति के लिए निकटतम मुख्य सड़क से नदी के तट व बाढ़ क्षेत्र तक के पांच किलोमीटर
की दूरी की पहचान करने के द्वारा गंगा नदी को स्वच्छ रखने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण
का अनुपालन कर रहा है। बैठक में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी
समर्थन पर एक विस्तृत तथा भारतीय सर्वेक्षण विभाग के निदेशक डी.एन. पाठक ने लघु प्रस्तुतीकरण
दिया। गंगा संरक्षण से जुड़े तमाम मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के दौरान जल
संसाधन राज्यमंत्री सत्यपाल सिंह ने इस कार्यक्रम में भू-स्थानिक एवं भुवन गंगा ऐप
जैसी क्राउड सोर्सिंग प्रौद्योगिकियों का अनिवार्य रूप से उपयोग करने पर बल दिया,
ताकि यह मिशन एक जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़े और जनता की भागीदारी सुनिश्चित की
जा सके। उन्होंने अधिकारियों को गंगा नदी की भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) मानचित्र
निर्माण से संबंधित सभी कार्यों में तेजी लाने के भी दिशानिर्देश दिये।
मोबाइल एप्लिकेशन विकसित होगा
भारतीय अंतरिक्ष
अनुसंधान संगठन (इसरो) के हिस्से के रूप में कार्य कर रहे राष्ट्रीय सुदूर संवेदी केंद्र (एनआरएससी) मोबाइल
एप्लिकेशन विकसित करने के लिए एनएमसीजी की सहायता कर रहा है। इस ऐप के जरिए जल गुणवत्ता
निगरानी, जल विज्ञान संबंधी निगरानी तथा मूल्यांकन, भू-आकृति विज्ञान संबंधी निगरानी
एवं मूल्यांकन, जैव संसाधन निगरानी एवं मूल्यांकन, व्यापक भू-स्थानिक डाटा बेस
के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में मदद मिलेगी। वहीं सामुदायिक भागीदारी
में सक्षम बनाने और अन्य एजेंसियों के साथ आवश्यक संपर्क समन्वित करने के साथ गंगा
नदी में प्रदूषण की निगरानी करने का लक्ष्य हासिल किया जा सकेगा।
30Sep-2017
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