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सरकार कानूनी दायरे में लाकर देगी सामाजिक सुरक्षा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार देश में घरेलू कामगारों को सामाजिक सुरक्षा देने की दिशा में राष्ट्रीय नीति
तैयार करने में जुट गई है, जिसमें घरेलू नौकरों को कानूनी दायरे में लाकर उनकी
न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित कराएगी।
केंद्रीय
श्रम और रोजगार मंत्रालय के अनुसार घरेलू कामगारों को कानूनी दर्जा मुहैया कराने हेतु
राष्ट्रीय नीति के लिए आम जनता से भी सुझाव मांग रही है, जिसके बाद विशेषज्ञों की
राय के बाद राष्ट्रीय नीति का मसौदा तैयार किया जाएगा। मंत्रालय का मानना है कि
सरकार की इस नीति से देश में करीब 30 लाख महिलाओं समेत करीब 48 लाख घरेलू कामगारों
के लिए न्यून्तम मजदूरी और समान वेतन की व्यवस्था को लागू किया जा सकेगा। मंत्रालय
की ओर से जनता से सुझाव के लिए जारी नोटिस के मुताबिक इस नीति का मकसद घरेलू श्रमिकों
को उनके अधिकारों को प्रदान करने के लिए कानूनों, नीतियों और योजनाओं के दायरे को स्पष्ट
रूप से और प्रभावशाली रूप से विस्तार करना है, जो अन्य श्रमिकों के लिए कानूनों में
निहित हैं। सूत्रों के अनुसार इस राष्ट्रीय नीति में घरेलू नौकरों को श्रमिकों के रूप
में मान्यता देने का प्रस्ताव है और इसके तहत उन्हें राज्य श्रम विभाग में रजिस्ट्रेशन
करने का अधिकार भी मिल जाएगा। मंत्रालय की इस नीति में के तहत घरेलू नौकरों को अंशकालिक,
पूर्णकालिक और लिव-इन श्रमिक, नियोक्ता, निजी प्लेसमेंट एजेंसियों को स्पष्ट रूप से
परिभाषित किया जाएगा। यही नहीं इन्हें सामाजिक सुरक्षा कवर, रोजगार के उचित तरीके,
शिकायत निवारण और घरेलू कामगारों के लिए विवाद समाधान प्रदान करने की दिशा में एक संस्थागत
तंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव भी किया जा रहा है।
ऐसे मिलेगी सामाजिक सुरक्षा
मंत्रालय के अनुसार घरेलू कामगारों के लिए
राष्ट्रीय नीति में उन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाकर उनकी स्थिति में
सुधार लाने की तैयारी है, जिसका मकसद ऐसे लोगों को घरों में काम के लिए एजेटों की
धोखाधड़ी और उत्पीड़न जैसी स्थिति से भी मुक्ति दिलाना है। इसके अलावा इस नीति से किसी
भी नौकर की भर्ती और प्लेसमेंट एजेंसियों को नियमित करने का भी प्रयास होगा। मसलन प्लेसमेंट
एजेंसियां घरेलू श्रमिकों के वेतन से हर महीने एक निश्चित अनुपात में कुछ धन
वसूलती हैं तो वहीं ये एजेंसियां नियोक्ताओं से वन टाइम फीस भी लेती हैं। इसलिए
घरेलू नौकरों को लेकर ऐसी एजेंसियों को भी नियमों के तहत शिकंजें में लिया जा
सकेगा। मंत्रालय के अनुसार इस नीति में प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए यह अनिवार्य करने
का प्रस्ताव किया जा रहा है कि वे घरेलू नौकरों से एक बार 15 दिन का वेतन ही लें और
बदले में उन्हें मेडिकल और स्वास्थ्य बीमा सहित सामाजिक सुरक्षा कवर मुहैया कराएं।
इसके अलावा न्यूनतम मजदूरी तय करने के साथ उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ
और बुढ़ापे के पेंशन जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ घरेलू नौकरों को पहुंचाने के प्रस्ताव
भी विचाराधीन हैं। 18Oct-2017
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