बुधवार, 11 अक्तूबर 2017

सड़क परियोजनाओं में तकनीकी को बढ़ावा!

जल्द लागू किया जाएगा ‘वैल्यू इंजीनियरिंग कार्यक्रम’
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने देश में बनाई जा रही सड़कों के टिकाऊपन और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए निर्माण में नई तकनीकियों इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर बल दिया है, जिसके लिए जल्द ही ‘वैल्यू इंजीनियरिंग कार्यक्रम; लागू करने की योजना बनाई गई है।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार सड़क सुरक्षा की प्राथमिकता में सड़कों के निर्माण खासकर राजमार्गो की परियोजनाओं में नई प्रौद्योगिकियों, सामग्रियों और उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ‘वैल्यू इंजीनियरिंग कार्यक्रम’ को लागू करने का निर्णय लिया गया है।  केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के निर्देश पर मंत्रालय में इस नीति पर काम हो रहा है, जिसके दायरे में राजमार्ग संबंधित परियोजनाओं, चाहे वह पीपीपी तरीके या फिर सार्वजनिक वित्तपोषण तरीके से निष्पादित की जा रही हों, सभी परियोजनाओं को शामिल किया है। मसलन तमाम सड़क परियोजनाओं में नई प्रौद्योगिकियों, सामग्रियों और उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ‘वैल्यू इंजीनियरिंग कार्यक्रम’ को लागू होगा। इस कार्यक्रम का मकसद परियोजनाओं की लागत कम करने और उन्हें अधिक पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए नई प्रौद्योगिकी, सामग्री और उपकरण का उपयोग करना है, जबकि वहीं यह भी सुनिश्चित होगा कि सड़कों या पुलों और अन्य परिसंपत्तियां भी जो बहुत तेजी से निर्मित की जा रही हैं वह संरचनात्मक रूप से मजबूत और अधिक टिकाऊ हों।
क्या है कार्यक्रम                                                                                     
परियोजनाओं में नई तकनीकी के इस्तेमाल की दिशा में लागू किये जाने वाले  ‘वैल्यू इंजीनियरिंग कार्यक्रम’ का मकसद निर्माण की गति और परिसंपत्तियों के स्थायित्व में वृद्धि करना, निर्माण लागत को कम करना और सौंदर्यीकरण और सुरक्षा में सुधार करना है। विशेषज्ञों के गठित यह राष्ट्रीय पैनल (एनपीई) सभी तकनीकी मामलों जो संबंधित प्रौद्योगिकियों, सामग्री और उपकरणों से संबंधित किया गया है, जो संबंधित अभियंता या रियायतें और ठेकेदारों द्वारा निर्दिष्ट कार्यो की जांच करेगा। विशेषज्ञों के राष्ट्रीय पैनल का उन तकनीकी मुद्दों जो नए और अभिनव प्रौद्योगिकियों, सामग्रियों और उपकरणों के कार्यान्वयन के संबंध में इंजीनियरों और रियायतें व ठेकेदारों के बीच अंतर जैसी अडचनों को हल करने का जिम्मा होगा। वहीं पैनल पहले किसी नए या अभिनव प्रौद्योगिकी, सामग्रियों, उपकरणों के क्षेत्र परीक्षणों की आवश्यकता के बारे में भी तय करेगा और संबंधित डिजाइन दृष्टिकोण, निर्माण के तौर-तरीके व दिशानिर्देशों को अंतिम रूप भी देगा, ताकि ठेकेदारों का सही तरीके से उपयोग हो सके।
विशेषज्ञों के राष्ट्रीय पैनल का पुनर्गठन
मंत्रालय के अनुसार सड़क परियोजनाओं के लिए इस कार्यक्रम को लागू करने के उद्देश्य से नई तकनीक, सामग्रियों व उपकरणों के उपयोग के संबंध में तकनीकी मुद्दों को हल करने के लिए विशेषज्ञों के राष्ट्रीय पैनल का पुनर्गठन किया गया है। गौरतलब है कि मंत्रालय ने पिछले वर्ष राजमार्ग क्षेत्र में वैकल्पिक सामग्रियों, वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों और वैकल्पिक उपकरणों की तैनाती से संबंधित प्रस्तावों को स्वीकृति देने के लिए विशेषज्ञों के राष्ट्रीय पैनल का गठन किया था। इस पैनल को अब फिर से पुनर्गठित किया गया है, जो महाराष्ट पीडब्ल्यूडी के पूर्व सचिव एसआर तांबे के नेतृत्व में काम करेगा। इसके अलावा इस नौ सदस्यी पैनल में आईआईटी मंबई के प्रो. रवि सिन्हा इस पैनल के सह-अध्यक्ष के अलावा एस एंड आर(पुल) मुख्य अभियंता पुल कार्यो के सदस्य सचिव तथा एस एंड आर (सड़क) के मुख्य अभियंता सड़क कार्यों के सदस्य सचिव बनाए गये हैं। जबकि आईआईटी चेन्नई के प्रो. ए. वीराराघवन, सीआरआरआई के उप निदेशक डा. सुनील बोस, आईआईटी खडगपुर के प्रो. केएस रेड्डी, एसके धर्माधिकारी और डा. प्रकाश डब्ल्यू कासखेदिकार को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।
11Oct-2017

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