बुधवार, 11 अक्तूबर 2017

जलवायु परिवर्तन की चिंताओं से निपटना जरूरी: कोविंद



कृषि व उद्योगों में जल का बेहतर इस्तेमाल बड़ी चुनौती
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और उससे संबंधित पर्यावरणीय चिंताओं से निपटने के लिए जल प्रबंधन में नई प्रौद्योगिकी के जरिए सुधार की आवश्यकता है। यही नहीं जल का बेहतर और अधिक प्रभावी इस्‍तेमाल भारतीय कृषि और उद्योग के लिए बनी चुनौती को देखते हुए जरूरी हो गया है कि हमें अपने गांवों और निर्मित होने वाले शहरों में नए मानदंड स्‍थापित करने होंगे।
राष्‍ट्रपति कोविंद मंगलवार को यहां विज्ञान भवन में केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा आयोजित भारतीय जल सप्‍ताह-2017 का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत में 80 प्रतिशत जल का इस्‍तेमाल कृषि के लिए और केवल 15 प्रतिशत उद्योग द्वारा किया जाता है, जिसका अनुपात आने वाले वर्षों में बदलेगा और जल की कुल मांग भी बढ़ेगी। इसलिए जल के इस्‍तेमाल और उसके दोबारा इस्‍तेमाल की क्षमता को औद्योगिक परियोजनाओं का खाका तैयार करते समय शामिल किया जाना चाहिए। वहीं व्‍यवसाय और उद्योग को इसके समाधान में हिस्‍सेदारी देनी चाहिए। राष्‍ट्रपति ने कहा कि शहरी भारत में हर वर्ष 40 अरब लीटर बेकार पानी निकलता है, जिसके लिए जरूरी है कि इस पानी के जहरीले तत्‍वों को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी अपनाई जाए और इसका इस्‍तेमाल सिंचाई और अन्य कार्यों के लिए किया जाना चाहिए। उन्होंने ऐसा जल प्रबंधन दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह भी किया जो स्‍थानीय लोगों के अनुकूल हो। राष्ट्रपति ने कहा कि यह गांवों और पड़ोसी समुदाओं को शक्ति सम्‍पन्न बनाए और उनमें ऐसी क्षमता का नि‍र्माण करे कि वे अपने जल संसाधनों का प्रबंधन, उनका आंवटन और मूल्‍यांकन किया जा सके। 21वीं सदी की किसी भी नीति में पानी के मूल्य की संकल्‍पना के तत्व को शामिल किया जाना चाहिए। यह समुदाओं सहित सभी साझेदारी को प्रोत्‍साहित करे कि वे अपनी सोच का दायरा बढ़ाएं और जल की मात्रा से लेकर लाभों के परिमाण को आवंटित करने का क्रम चिन्हित करें।
अंजाम तक पहुंचे पेयजल का लक्ष्य 
राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत में जनसंख्‍या को पीने का सुरक्षित जल प्रदान करने का कार्य 600 हजार गांवों में फैला हुआ है और केवल शहरी क्षेत्र ही परियोजना के अंतर्गत प्रस्‍तावित नहीं है। सरकार की यह की प्रतिबद्धता होनी चाहिए कि वह अपने लक्ष्य के तहत सभी गांवों में 2022 तक पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने की गई रणनीतिक योजना को अंजाम तक पहुंचाए। सरकार की योजना के इस लक्ष्य के तहत 90 प्रतिशत गांवों में रहने वाले परिवारों को पाइप लाइन के जरिए पानी की आपूर्ति मिलने लगेगी। उन्होंने इस प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय मंच पर जल और ऊर्जा के क्षेत्र में विचार-विमर्श के जरिए उम्मीद जताई कि इस सम्मेलन में यह सुनिश्चित होगा कि वे भविष्य में जल प्रबंधन के साथ जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए और बेहतर विकल्प तैयार होगा। हम विफल नहीं हो सकते। 
11Oct-2017

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