मंगलवार, 31 अक्तूबर 2017

मेक इन इंडिया के तहत होगा हथियारों का निर्माण



विनिर्माण नीति के तहत हथियारों के नियमों में उदारता
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने हथियारों और गोला बारूद के उत्पादन को ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में रोज़गार बढ़ाने वाले  तमाम नियमों को उदार बनाया है, ताकि रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सेना और पुलिस बलों की हथियार संबन्धी जरूरतों को समय से पूरा करने और इस क्षेत्र में निवेश को भी प्रोत्साहन मिल सके।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए हुए बताया कि ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बढ़ावा देने की दिशा में मंत्रालय ने  हथियार और गोला-बारूद के उत्पादन की नियमों को सरल बनाया है। इसके लिए गृह मंत्रालय ने हथियार (संशोधन) नियम-2017 की अधिसूचना जारी कर दी है, जिसमें इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजन की संभावनाओं को भी केंद्रित किया गया है। मंत्रालय के अनुसार विनिर्माण नीति के तहत हथियारों के उत्पादन के उदार किये गये नियमों से इस क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। वहीं मोदी सरकार के अभियान में तेजी लाई जा सकेगी ,जिसके तहत हथियार प्रणालियों और गोला-बारूद के देश में निर्मित उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। सरलीकरण वाले इन नियमों के कारण वैश्विक स्तर के देश में ही निर्मित हथियारों के ज़रिए सेना और पुलिस बल की हथियार संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकेगा। नए नियम गृह मंत्रालय द्वारा छोटे हथियारों के निर्माण को प्रदान किए जाने वाले लाइसेंस पर लागू होंगे। जबकि यह नियम औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग के तहत लाइसेंस प्राप्त करने वाले टैंक, हथियारों से लैस लड़ाकू वाहन, रक्षक विमान, स्पेस क्राफ्ट, युद्ध सामग्री और अन्य हथियारों के पुर्जे तैयार करने वाली इकाईयों पर भी लागू होंगे।
क्या है नए नियम
गृह मंत्रालय द्वारा विनिर्माण नीति के नियमों में किये गये बदलाव के तहत अब हथियार उत्पादन के लिए मिलने वाला लाइसेंस लाइफ-टाइम के लिए वैध होगा, जिसमें प्रत्येक 5 वर्ष के बाद लाइसेंस के नवीकरण की शर्त को हटा लिया गया है। इसी प्रकार हथियार उत्पादकों द्वारा निर्मित छोटे और हल्के हथियारों को केंद्र और राज्य सरकारों को बेचने के लिए गृह मंत्रालय की पूर्व अनुमति की अब ज़रूरत नहीं पड़ेगी। इन नए नियमों में जितने हथियारों के उत्पादन की अनुमति है और यदि उससे 15 फीसदी अधिक तक का उत्पादन किया जाता है तो भी इसके लिए अब सरकार से स्वीकृति की जरूरत नहीं होगी, बल्कि केवल उत्पादक इकाई को लाइसेंस देने वाले प्राधिकरण को इसकी जानकारी देना होगा। मंत्रालय की अधिसूचना के तहत लाइसेंस शुल्क में काफी कमी की गई है, वहीं विनिर्माण लाइसेंस प्राप्त करने के लिए लाइसेंस शुल्क को 50 हजार के बजाए पांच हजार रूपये कर दिया गया है। इन नियमों के तहत देश के भीतर एक ही राज्य में या विभिन्न राज्यों के भीतर बहु-इकाई सुविधा के लिए एकल विनिर्माण लाइसेंस की अनुमति होगी।
31Oct-2017

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