मंगलवार, 24 अक्तूबर 2017

नियमों के दायरे में होगी भूजल निकासी

दिशानिर्देशों के मसौदे पर मांगे गये सुझाव
हरिभूमि ब्यूरो
. नई दिल्ली।
देश में जल प्रबंधन और जल संरक्षण की दिशा में भूजल की निकासी को नियामक के दायरे में रखने की दिशा में केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने एक समान नियामक मसौदा तैयार किया है, जिसे भूजल निकालने के लिए ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ जारी करने का मसौदा दिशा निर्देश और ‘जन सूचना’ प्रारूप को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रशासकों को भेजा गया है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार इस मसौदे पर राज्य अपने सुझाव व प्रतिक्रिया 60 दिन के भीतर प्राधिकरण को भेजेंगे। मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय हरित अधिकरण में काफी संख्या में दायर याचिकाओं के कारण अधिकरण की विभिन्न शाखाएं सीजीडब्ल्यूए को निर्देश दे रही हैं कि देश में नियमानुसार भूजल निकाला जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इन दिशा निर्देशों से देश भर में एक समान नियामक प्रारूप सुनिश्चित होगा, ताकि नियमन की असमानता को समाप्त या कम किया जा सके। इन दिशा निर्देशों के प्रमुख संशोधनों में संपूर्ण देश का कवरेज, भूजल निकालने की मात्रा पर आधारित जिले के राजस्व प्रमुख, एजेंसी, स्टेट नोडल एजेंसी, राज्य भूजल प्राधिकरण और सीजीडब्ल्यूए को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने वाले प्राधिकरणों का विकेन्द्रीयकरण शामिल है। वहीं जल संबन्धी परियोजना प्रस्तावित करने वालों द्वारा, कृत्रिम रीचार्ज प्रस्तावों से संबंधित प्रावधानों के अनुरूप वितरण करना और कृत्रिम रीचार्ज संरचनाओं का निर्माण, रीचार्ज व्यवस्था के बदले जल संरक्षण शुल्क शुरू करने का भी प्रावधान का प्रस्ताव है। इसके अलावा प्रभावी भूजल प्रबंधन के लिए राज्यों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले जल संरक्षण शुल्क  के जरिए कोष बढ़ाने का भी प्रयास होगा। मंत्रालय के अनुसार पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा-3(3) के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा गठित सीजीडब्ल्यूए देश में भूजल विकास और प्रबंधन का नियमन करता है। गौरतलब है कि यह प्राधिकरण उद्योगों, बुनियादी ढांचा और खनन परियोजनाओं के वास्ते भूजल निकालने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान करता है।
24Oct-2017

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