रविवार, 29 अक्तूबर 2017

जलमार्ग के जरिए बांग्लादेश भेजी ट्रकों की खेप

डिजीटल के जरिए गडकरी ने दिखाई हरी झंडी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन करने की दिशा में जल परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में निर्यात के लिए भारत में चेन्नई बंदरगाह से 182 ट्रकों की खेप बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह के लिए रवाना की गई है, जिसे डिजीटल के जरिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हरी झंडी दिखाई।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को भारतीय वाहन विनिर्माता कंपनी अशोक लैलेंड के ट्रकों को जलमार्ग के जरिए बांग्लादेश के लिए निर्यात करने की शुरुआत की। रो-रो सेवा के तहत भेजी गई इस खेप में 185 ट्रकों को चेन्नई बंदरगाह से बांग्लादेश के मोंगला बंदरगाह के लिए रवाना किया गया। मंत्रालय के अनुसार सड़क मार्ग के बजाए जल मार्ग से वाहनों की यह खेप 15 से 20 दिन के समय की बचत करेगी, जिसमें सड़क मार्ग से सफर के दौरान भारत-बांग्लादेश सीमा पर भीड़भाड़-पेटीपोल-बेनपोल चेक पॉइंट पर लगने वाले समय की बचत के साथ ही जल परिवहन की लागत में भी भारी कमी आएगी और पर्यावरण सरंक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। मंत्रालय के अनुसार इस मौके पर गडकरी ने कहा कि आने वाले समय में जल मार्ग के जरिए बांग्लादेश और श्रीलंका में निर्यात होने वाले वाहनों की संख्या में 80 प्रतिशत का इजाफा होने की संभावना है। उन्होंने अनुमान लगाया कि अब प्रति माह 500 से ज्यादा ट्रकों जलीय या समुद्र मार्ग से निर्यात की उम्मीद है जो देश की सड़कों से परिवहन के ज्यादातर बढ़ते बोझ को कम करेगी। जलमार्ग के जरिए व्यापार को बढ़ावा देने का मकसद अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारतीय सामानों को प्रतिस्पर्धी बनाने के साथ परिवहन की लागत और परिवहन के समय की बचत करने का लक्ष्य है।
समझौते के तहत निर्यात
मंत्रालय के अनुसार भारत और बांग्लादेश के बीच जून 2015 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश की यात्रा के दौरान तटीय जहाजरानी समझौता किया गया था। इसी समझौते के आधार पर भारतीय बंदरगाहों से बांग्लादेश बंदरगाहों तक समुद्री परिवहन को तटीय आंदोलन माना जाता है, जिससे इसे 40 प्रतिशत पोत संबंधित और कार्गो संबंधित शुल्क लागू होगा। रो-रो जहाजों के माध्यम से तटीय परिवहन के अलावा भारतीय बंदरगाहों पर जहाज संबंधी संबंधित और कार्गो संबंधित शुल्क पर 80 प्रतिशत छूट लागू मिलेगी। गौरतलब है कि चेन्नई बंदरगाह ने 5 अगस्त 2016 को जल परिवहन के तहत रो-रो सेवा की शुरूआत की गई थी, जिसके दौरान 800 हुंडई कारों को स्थानीय वितरण के लिए चेन्नई से पिपवव पर रोरो जहाजों पर भेज दिया गया था।
तटीय जलमार्गो के इस्तेमाल पर बल
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए वाहन विनिर्माता कंपनियों से आव्हान किया है कि वे अपने वाहनों की खेप को दूसरी जगहों तक भेजने के लिए तटीय जलमार्गों का इस्तेमाल करें। क्योंकि सड़क परिवहन की महंगाई से छुटकारा मिलेगा और जोखिम की संभावनाएं भी नगण्य होंगी। उन्होंने कहा कि जलमार्गों तटीय परिवहन का इस्तेमाल करने से लागत और समय दोनों में बड़े पैमाने पर बचत होगी।
29Oct-2017 



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें