शनिवार, 30 नवंबर 2013

साइबर दुनिया में लोकप्रियता भी पैसों का खेल!

आईटी कंपनियां खेल रही हैं बिगाड़ने बनाने का खेल
कोबरापोस्ट ने किया राजनीति में साइबर साजिश का खुलासा
ओ.पी.पाल
आजकल राजनीति में भी खासकर चुनावी समर में सोशल मीडिया का उपयोग एक बड़ा जरिया बन गया है, जिसमें लोकप्रियता हासिल करना या विरोधियों को बदनाम करना राजनीतिक दलों के लिए इतना आसान हो गया है बस इसमें पैसों को खेल होना चाहिए। इस पैसे के बल पर आईटी कंपनियां जिसे चाहे लोकप्रिय बना दे और जिसे चाहे जमीन पर लगा देने वाली राजनीति में साइबर साजिश का बड़ा खुलासा आॅपरेशन ब्लू वायरस नामक एक स्टिंग में किया गया है।
सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर यह सनसनी खेज खुलासा स्टिंग के जरिए एक वेबसाइट कोबरापोस्ट ने किया है। यह खुलासा 22 ऐसी आईटी कंपनियों के स्टिंग आपरेशन के बाद सामने आया है, जो पैसों के बल पर राजनीतिक दलों और उनके नेताओं के साथ मिलकर जिसे चाहे लोकप्रिय बना दे और उनके विरोधियों को तबाह करके उनका कैरियर चौपट कर दे। वेबसाइट का दावा है कि पैसे लेकर लोगों को बदनाम करने के लिए आईटी कंपनियां बड़ी सुपारी लेती हैं और फेसबुक, ट्विटर और अन्य दूसरी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स का गलत इस्तेमाल करके करोड़ों रुपये तक का खेल खेल रही हैं। कोबरापोस्ट ने अपने खुफिया कैमरे में ऐसी 22 कंपनियों को कैद करके इस साइबर साजिश का पदार्फाश किया है। इस खुलासे में यह भी दावा किया गया है कि आईटी कंपनियां किन-किन कामों के लिए सुपारी ले रही हैं, उसमें किसी को भी बदनाम करने के लिए फर्जी वीडियो बनाना, वीडियो बनाकर यू-ट्यूब के जरिए उसका प्रचार करना शामिल है। राजनेताओं और सरकार के खिलाफ अभियान चलाना, वोटिंग से पहले अचानक विरोधी नेता पर कीचड़ उछलवाना, नेता की फर्जी तस्वीरों-वीडियो के जरिए उसे बदनाम करना, बदनाम करने के लिए एसएमएस अभियान चलाने के अलावा किसी भी तरह की अफवाह फैलाना, दंगा फैलाने के लिए झूठी बातों-तस्वीरों का प्रचार करने में भी इन आईटी कंपनियों को कोई गुरेज नहीं है। यही नहीं झूठे आरोप लगवाकर नौकरी से निकलवाना, फर्जी आरोप लगवाकर शादी तुड़वाना तक की साजिश का खुलासा इस स्टिंग में किया गया है। इस खुलासे के बारे में यह स्टिंग करने वाली बवेबसाइट के अनिरूद्ध बहल ने हरिभूमि को बताया कि इस तरह साइबर सुपारी यानि पैसे लेकर किसी की छवि को सोशल मीडिया के जरिए खराब करना साइबर अपराध के दायरे में आता है। उन्होंने कहा कि ये आईटी कंपनियां ना सिर्फ बदनाम कर सकती हैं बल्कि किसी को फर्जी तरीके से इतना मशहूर भी कर सकती हैं कि आप भ्रम में पड़ जाएं कि ये आदमी इतना मशहूर कैसे हो गया। ये आईटी कंपनियां लोगों को बल्क एसएमएस भेजने के लिए मोबाइल की जगह इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं। वहीं पहचान छिपाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। ये कंपनिया ग्राहक की पहचान छिपाने के लिए सिर्फ नकद में पैसा लेती हैं।
ऐसे करती होती है साइबर साजिश
सोशल नेटवर्क पर साइबर साजिश करने के लिए आईटी कंपनियों एक खास तरीका अपनाती हैं। मसलन किसी व्यक्ति को लोकप्रिय बनाने के लिए आईटी कंपनियां किन्हीं व्यक्तियों के फर्जी फेसबुक पेज बनाकर उस पेज को अपने कर्मचारियों से लाइक कराती है और दूसरों के लाइक तक भी खरीदती है। यही नहीं वायरस की मदद से लाइक बढ़ाने भी ये कंपनियां माहिर हैं। इसी तरह से प्रमोशनल वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड किया जाता है। यूट्यूब वीडियो पर फर्जी लाइक किए जाते हैं। लाखों की तादाद में दूसरों को एसएमएस किए जाते हैं। प्रचार के लिए ईमेल भी भेजा जाता है। इसमें मुसलमानों के फर्जी प्रोफाइल बनवाकर उनसे किसी भी नेता की तारीफ करवाना उनके लिए बाएं हाथ का खेल है, जिस पर ऐसे नेता के खिलाफ पेज पर कोई कमेंट भी नहीं आने दिया जाता। हां यदि किसी नेता को बदनाम करना हो तो इसी तरीके से ऐसे नेता के खिलाफ अभियान चलाने का काम इन कंपनियों का खेल है।
ऐसे छिपाती हैं अपनी पहचान
सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल करने वाली आईटी कंपनियां अपनी पहचान कैसे छिपाती हैं, इसका भी स्टिंग में खुलासा किया है। अपनी पहचान छिपाने के लिए आईटी कंपनियां अमेरिका या कोरिया के सर्वर से प्रचार अभियान छेड़ती हैं। जिसका मकसद होता है कि यह पता न चल सके कि कहां से प्रचार शुरू हुआ है। वहीं यदि किसी को बदनाम करना है तो इसके लिए आईटी कंपनियां, जिस कंप्यूटर से बदनाम करने का काम करती हैं, उस कंप्यूटर को काम पूरा होने के बाद तोड़ दिया जाता है। आईटी कंपनियां किसी की गिरफ्त में न आ सके इसके लिए हर घंटे जगह बदली जाती है। ताकि लोकेशन का पता ना लगे। दूसरे के कंप्यूटर को हैक किया जाता है।
29Nov-2013

शुक्रवार, 29 नवंबर 2013

गन्ने के बहाने अब गरमाएगी यूपी की राजनीति!

अजित के बाद भाजपा ने भी खोला मोर्चा
ओ.पी.पाल
आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे राजनीतिक दलों ने उत्तर प्रदेश में सरकार और चीनी मिलों के बीच जारी टकराव के कारण गन्ना किसानों की हिमायत में यूपी सरकार और उसका नेतृत्व कर रही समाजवादी पार्टी को घेरना शुरू कर दिया है। रालोद के बाद भाजपा ने गन्ना किसानों की दुदर्शा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों की हो रही दुर्दशा पर सपा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उसकी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने समाजवादी पार्टी पर आरोप लगया है कि उसकी सरकार ने पिछले साल के गन्ना के न्यूनतम समर्थन मूल्य 280 रुपये प्रति कुंतल में बढ़ोतरी न करके वादा खिलाफी की है। राजनाथ सिंह ने यूपी के गन्ना किसानों के साथ छल करने वाली सपा सरकार को घेरते हुए यहां तक कहा है कि इसी कारण उत्तर प्रदेश में आज गन्ना किसान आंदोलन पर है जिनका चीनी मिलों पर 2300 करोड़ रुप्ये का बकाया भुगतान भी अटका हुआ है। सपा सरकार की इन किसान विरोधी नीतियों के कारण ही राज्य में चीनी मिलों में पेराई शुरू होने के कारण किसानों का गन्ना खेतों में खड़ा है और आंदोलित किसान गन्ने को फूंकने के लिए भी मजबूर हैं। गन्न के बहाने उत्तर प्रदेश में गरमाई राजनीति पर केंद्र की यूपीए सरकार कांग्रेस की भी सपा के प्रति तिरछी नजर है। गुरूवार को ही केंद्रीय खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने खेतों में खड़े गन्ने और अभी तक चीनी मिले चालू न होने पर चिंता जताई है और गन्ने के बहाने यूपी की राजनीति में सपा को घेरने के इरादे से सरकार और चीनी मिलों के बीच टकराव को देखते हुए चीनी मिलों को आर्थिक पैकेज देने की कवायद भी शुरू की है। इससे पहले राष्ट्रीय लोकदल यूपी के किसानों और गन्ने की राजनीति करते हुए लगातार किसानों के बकाया गन्ना भुगतान और चीनी मिलों में पेराई शुरू करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है और एक दिसंबर को रालोद ने चक्का जाम करने का भी ऐलान करके सपा के खिलाफ मोर्चा खोलने का फैेसला लिया है।
सक्रिय हुआ मंत्री समूह
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चीनी उद्योग की समस्याओं पर विचार करने के लिए पिछले दिनो केंद्रीय उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रो. के.वी. थॉमस की अध्यक्षता में गठित अनौपचारिक समूह को निर्देश दिया है कि वह अपनी सिफिारिशें शीघ्र सरकार को दें। इस समूह में थॉमस के अलावा वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, नागरिक उड्डयन मंत्री चौधरी अजित सिंह, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री वीरप्पा मोइली और उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री शामिल हैं। प्रधानमंत्री के निर्देश के बाद केंद्रीय मंत्री प्रो. थॉमस ने गन्ना किसानों और चीनी मिल मालिकों से गुरूवार को अपील की है कि वे आपस में बातचीत करके राज्यों से सहयोग करें और गन्ने की पेराई का काम जल्द शुरू करें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार गन्ना किसानों और चीनी उद्योग की सहायता करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। उन्होंने बताया कि चीनी उद्योग की समस्याओं पर विचार करने के लिए सरकार ने एक मंत्रिमंडलीय समूह का गठन किया है जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंप देगा। इस अपील में कहा गया है कि केंद्र सरकार गन्ना किसानों और चीनी उद्योग की सहायता के लिए हर संभव उपायों पर विचार करने के लिए तैयार है।
28Nov-2013

गुरुवार, 28 नवंबर 2013

भारतीय ओलंपिक संघ की मान्यता पर भी संकट!

 आईओसी ने ओलंपिक संघ को दिया अंतिम अल्टीमेटम
ओ.पी.पाल

निलंबित चल रही भारतीय ओलंपिक संघ की मान्यता पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। यदि नौ दिसंबर तक संविधान संशोधन करके निष्पक्ष चुनाव न कराए गये तो आईओए की मान्यता भी रद्द होने से कोई नहीं रोकी जा सकेगी। ऐसी स्थिति में अंतर्राष्ट्रीय  ओलंपिक समिति उसके स्थान पर एक तदर्थ समिति को स्थान देने के लिए मजबूर होगी।
हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति यानि आईओसी ने निलंबित भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को अंतिम अल्टीमेटम देते हुए अपने संविधान में संशोधन करने और फिर से निष्पक्ष तरीके से संशोधित संविधान के अनुसार चुनाव कराने के लिए कहा है जिसके लिए आईओसी ने नौ दिसंबर तक की समयसीमा तय की है। आईओसी ने भारतीय ओलंपिक संघ को चेतावनी के रूप में लिखे पत्र में कहा है कि यदि आईओए इस समयसीमा में संविधान संशोधित करके चुनाव कराने में विफल होती है तो भारतीय ओलंपिक संघ की मान्यता बहाल होने का कोई सवाल नहीं है। हालांकि ऐसी स्थिति में आईओसी ने आईओए के स्थान पर एक तदर्थ समिति को शामिल करने की बात कही है। खेल विशेषज्ञ राकेश थपलियाल का कहना है कि पिछले एक साल से ज्यादा समय से भारतीय ओलंपिक संघ पर संकट के बादल छाए हुए हैं और आईओसी की बार-बार की चेतावनी के बावजूद ओलंपिक समिति संविधान में संशोधन करने के लिए किसी भी प्रकार गंभीर नहीं दिखी। हालांकि केंद्रीय खेल मंत्री जितेन्द्र सिंह ने भारतीय ओलंपिक संघ का निलंबन निरस्त कराने के लिए अनेक प्रयास किये हैं। इसलिए यदि भारतीय ओलंपिक संघ भारतीय खिलाड़ियों के प्रति जरा भी गंभीर है तो उसे दी गई समय सीमा के भीतर इन सब कार्यवाही की औपचारिकताएं पूरी कर लेनी चाहिए। यह भी गौरतलब है कि भारतीय ओलंपिक संघ ने पिछले महीने अपनी विशेष आम बैठक में आईओसी द्वारा सुझाए गए प्रावधानों को मानने से इनकार कर दिया था, जिसके अनुसार आरोपित व्यक्ति खेल संघ में किसी भी पद पर नहीं बने रह सकते। आईओए ने इसकी जगह सिर्फ दोषी व्यक्तियों को आईओए का सदस्य बनने से प्रतिबंधित किए जाने का सुझाव दिया था। ऐसे में निलंबित आईओए की बहाली से संकट के बादल छंटना अभी आसान नहीं है।
आईओसी की कार्यबोर्ड करेगा सिफारिश
आईओसी के पत्र के बारे में सूत्रों ने बताया कि आईओसी चाहता है कि आईओसी कार्यकारी बोर्ड की आगामी दस या 11 दिसंबर को जुसाने में होने वाली बैठक से पहले भारतीय ओलंपिक संघ अपने निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव कराने का काम पूरा कर ले। वरिष्ठ खेल पत्रकार राजेश राय का कहना है कि आईओसी की कार्यकारी बोर्ड की बैठक में ही भारतीय ओलंपिक संघ का भविष्य तय होना है जिसमें बोर्ड की इस बैठक में ही भारतीय ओलंपिक के निलंबन को रद्द करने या फिर उसकी मान्यता रद्द करने जैसी सिफारिश आईओसी परिषद को की जानी है। इसी के साथ बोर्ड आईओए की मान्यता रद्द करने की स्थिति में उसके स्थान पर किसी तदर्थ समिति को शामिल करने की सिफारिश भी करेगा। इन सिफारिशों पर आईओसी परिषद को फरवरी 2014 में होने वाली बैठक में अमल करके फैसला करना है।
तदर्थ समिति के अध्यक्ष होंगे मल्होत्रा
यदि आईओए के स्थान पर तदर्थ समिति को शामिल किया गया, तो उसमें आईओसी द्वारा आईओए के अध्यक्ष के रूप में मान्यता प्राप्त वी. के. मल्होत्रा और महासचिव रणधीर सिंह को शामिल किया जाएगा। इनके अलावा इस तदर्थ समिति में अनिल खन्ना, अभिनव बिंद्रा, मनीष मल्होत्रा, अश्विनी नचप्पा और राहुल मेहरा भी शामिल किया जाएगा। आईओसी के अनुसार तदर्थ समिति का गठन आईओए की मान्यता रद्द किए जाने के तुरंत बाद ही कर दिया जाएगा।
24Nov-2013

शनिवार, 23 नवंबर 2013

पांच साल में विधायकों की संपत्ति पांच गुणा बढ़ी!

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव
कांग्रेसी विधायकों की संपत्ति में इजाफा, तो भाजपा विधायकों की संपत्ति घटी
ओ.पी.पाल

आगामी 25 नवंबर को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे प्रत्याशियों में अकेले भाजपा, कांग्रेस और बसपा के ही 51 प्रतिशत करोड़पतियों की फेहरिस्त में शामिल हैं, जिनमें फिर से चुनाव मैदान में उतरे 141 विधायकों की औसत संपत्ति में पिछले पांच साल में पांच गुणा इजाफा हुआ है।
राज्य की 230 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत किये गये 2583 प्रत्याशियों के शपथ पत्र में 686 प्रत्याशी अकेले भाजपा, कांग्रेस और बसपा के ही हैं, जिनमें से 350 यानि 51 प्रतिशत करोड़पतियों की फेहरिस्त में शामिल हैं। इन शपथपत्रों का विश्लेषण करने वाली गैर सरकार संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और इलेक्शन वॉच ने खुलासा किया है इन प्रत्याशियों में 141 प्रत्याशी ऐसे हैं जो फिर से चुनावी जंग में उतरे हुए हैं। इन 141 विधायकों की पिछले 2008 के चुनाव में औसत संपत्ति 1.70 करोड़ रुपये थी, जो अब शपथ पत्रों के अनुसार 4.11 करोड़ रुपये बढ़कर 5.81 करोड़ रुपये यानि 242 प्रतिशत हो गई है। इन प्रत्याशियों में भाजपा के 86, कांग्रेस के 49 तथा बसपा के छह विधायक फिर से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
संपत्ति बढ़ाने में कांगे्रसी अव्वल
फिर से चुनाव मैदान में आए इन विधायकों में सर्वाधिक 87.15 करोड़ रुपये की संपत्ति बढ़कर 121.32 करोड़ रुपये विजयराघव गढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी संजय पाठक की हुई है जिसने पिछले चुनाव में 34.17 करोड़ की संपत्ति घोषित की थी। दूसरे पायदान पर भी संपत्ति बढ़ाने वाले कांग्रेस के ही पिच्चौर विधानसभा के प्रत्याशी केपी सिंह कक्काजू हैं जिनकी संपत्ति में पांच साल पहले 11.48 करोड़ से बढ़कर 60.72 करोड़ रुपये हो गई है। संपत्ति में इजाफा करने वालों में तीसरे स्थान पर भी कांग्रेस के देपालपुर सीट से प्रत्याशी एवं विधायक सत्यनारायण पटेल ही हैं जिनकी संपत्ति में 40.95 करोड़ बढ़कर पिछले पांच साल में 70.96 करोड़ हो गई है।
इन विधायकों की संपत्ति में कमी
मध्य प्रदेश विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हुए चार भाजपा के चार प्रत्याशी ऐसे भी हैं जिनकी पिछले पांच साल में संपत्ति घटी हैं। इनमें अतेर विधानसभा से फिर से चुनाव लड़ रहे विधायक अरविंद भदोरिया की संपत्ति 1.45 करोड़ से घटकर 74.26 लाख ही रह गई है। इसी प्रकार हाटपिपलिया सीट से भाजपा प्रत्याशी दीपक जोशी की संपत्ति में दस प्रतिशत कमी आई, जिनके पास इन पांच सालों में 40.94 लाख रुपये से घटकर 36.82 लाख रुपये की संपत्ति ही रह गई है। जबकि खरगौन सीट से बालकृष्ण पाटिदार की 3.84 करोड़ रुपये की संपत्ति में नौ प्रतिशत की गिरावट के बाद 3.51 करोड़ की संपत्ति रह गई है। चौथे स्थान पर संपत्ति में कमी दर्शाने वाले चित्रांग विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे विधायक जगन्नाथ सिंह ने 2008 की 68.12 लाख रुपये की संपत्ति में आठ प्रतिशत की कमी के साथ 62.56 लाख रुपये की संपत्ति की घोषण अपने शपथ पत्र में की है।
धनकुबेरों में भाजपा प्रत्याशियों की भरमार
मौजूदा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और बसपा के 350 करोड़पति प्रत्याशियों में सर्वाधिक 160 प्रत्याशी भाजपा के हैं, जबकि दूसरे स्थान पर कांग्रेस ने 150 करोड़पति उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। बसपा ने भी 40 करोड़पतियों पर अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगाई है। भाजपा के 229 प्रत्याशियों में औसतन एक उम्मीदार की संपत्ति 4.04 करोड़ रुपये आंकी गई है, जबकि कांग्रेस के 228 प्रत्याशियों की औसत संपत्ति 5.33 करोड़ प्रति उम्मीदवार है तो बसपा के 226 प्रत्याशियों की औसत संपत्ति 76.62 लाख रुपये का आकलन किया गया है।
22Nov-2013

जेट-एतिहाद सौदे का हुआ निपटान

ओ.पी.पाल
देश में एफडीआई लागू होने के बाद भारत की निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी जेट एयरवेज द्वारा अबुधाबी की एतिहाद एयरवेज को 24 प्रतिशत की हिस्सेदारी बेचने वाला सौदा आखिर बुधवार को पूरा कर लिया गया है। यह सौदा पिछले करीब छह माह से चौतरफा से आ रही आपत्तियों के कारण टलता आ रहा था, जिसको पिछले सप्ताह सीसीआई की मंजूरी के बाद इसकी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
केंद्र सरकार द्वारा विमानन क्षेत्र में 49 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी मिलने के बाद इस सौदे की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन एतिहाद को नागर विमानन मंत्रालय और डीजीसीए द्वारा ज्यादा तरजीह देने के कारण अन्य विदेशी कंपनियों ने आपत्तियां उठानी शुरू कर दी थी, वहीं दूसरी ओर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा समेत अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस सौदे में धांधली का आरोप लगाते हुए इसकी जांच के लिए सरकार से लगातार पत्राचार किये,जिसके कारण यह सौदा लगातार टलता रहा। अबुधाबी स्थित एतिहाद एयरवेज ने नरेश गोयल के नेतृत्व वाली जेट एयरवेज में 24 फीसद हिस्सेदारी खरीदने के लिए यह सौदा इसी साल अप्रैल में किया गया था। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) ने गत 12 नवंबर को ही जेट-एतिहाद सौदे को मंजूरी दी है। जबकि इससे पहले वित्त मंत्रालय से संबद्ध विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) और सेबी ने भी इस करार पर सवाल खड़े किये थे। पीएमओ की हरी झंडी मिलने के बाद एफआईपीबी की हरी झंडी के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने इस सौदे को सशर्त मंजूरी दी और पिछले सप्ताह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) ने जेट-एतिहाद सौदे पर अपनी मुहर लगा दी। अब इस सौदे का रास्ता साफ हो गया है जिसके तहत बुधवार को निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी जेट एयरवेज ने अपनी 24 फीसदी हिस्सेदारी अबू धाबी की कंपनी एतिहाद एयरवेज को बेचने का सौदा निपटा लिया है। दोनों कंपनियों ने 2,069 करोड़ रुपये में सौदा तय होने की घोषणा कर दी है। वहीं इस सौदे के तहत निजी क्षेत्र की भारतीय एयरलाइन कंपनी ने एतिहाद को शेयर आवंटित कर दिए हैं। गौरतलब है कि भारतीय विमानन क्षेत्र में यह पहला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) है। दोनों एयरलाइंस ने कहा कि भारतीय अधिकारियों से सभी जरूरी नियामकीय मंजूरियां 12 नवंबर को हासिल हो गईं। जेट ने एतिहाद एयरवेज को 10 रुपये अंकित मूल्य के 2,72,63,372 इक्विटी शेयर 754.73 रुपये प्रति शेयर के मूल्य पर तरजीही आधार पर आवंटित किए हैं। एतिहाद एयरवेज को तरजीही आधार पर इक्विटी शेयर आवंटन के बाद एतिहाद के पास जेट एयरवेज की निर्गम बाद की चुकता शेयर पूंजी का 24 प्रतिशत आ गया है। भारत के कानूनी प्रावधानों के हिसाब से जेट और उसके चेयरमैन एवं प्रवर्तक नरेश गोयल के पास इस एयरलाइन में कम से कम 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रहनी जरूरी है।
एतिहाद खरीदेगा नए विमान
अबुधाबी की विमानन कंपनी एतिहाद एयरवेज ने 56 नए विमान खरीदने का ऐलान भी कर दिया है, जिसमें 26 बोइंग 777 और 3 ड्रीमलाइनर 787 शामिल हैं। इसके अलावा 26 अतिरिक्त विमानों की खरीद के लिए विकल्प भी खुला रखा है। कुल मिलाकर ये आॅर्डर 25 अरब डॉलर का होगा। एतिहाद के मुताबिक इससे वो दुनियाभर में अपना ग्लोबल आॅपरेशंस का विस्तार करेगी। हम आपको बता दें कि जेट-एतिहाद सौदे को मंजूरी मिलने की ज्यादातर अड़चने दूर हो चुकी हैं बस अब कुछ ही औपचारिकताएं शेष रह गई हैं।
चेतावनी भी जारी
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) ने जेट-एतिहाद सौदे को मंजूरी देते समय यह भी चेता दिया हे कि यदि इन विमानन कंपनियों की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारियों गलत पाई गई तो किसी भी समय मंजूरी को रद्द किया जा सकेगा। भारत के कानूनी प्रावधानों के हिसाब से जेट और उसके चेयरमैन एवं प्रवर्तक नरेश गोयल के पास इस एयरलाइन में कम से कम 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रहनी जरूरी है।
संसदीय समिति ने हवाई अड्डों के निजीकरण पर उठाए सवाल
हजारों करोड़ खर्च कर लिया गया फैसला दुर्भाग्यपूर्ण
केंद्र सरकार द्वारा देश के हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण करने का काम निजी हाथों में सौंपने पर संसदीय स्थायी समिति ने सवाल खड़े किये हैं। समिति का मानना है कि सरकार ने दिल्ली और कोलकत्त्ता के अलावा 35 हवाई अड्डो के आधुनिकीकरण हेतु हजारों करोड़ रुपये का निवेश करने के बाद यह काम निजी हाथों में सौंपने का काम किया है।
राज्यसभा की विभाग संबन्धित परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी संसदीय स्थायी समिति के सभापति सीताराम येचुरी ने राज्यसभा के सभापति को विमानपत्तनों पर सेवाओं का निजीकरण के संबन्ध में बुधवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट सौंपने के बाद सीताराम येचुरी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार द्वारा हवाई अड्डो के आधुनिकीकरण हेतु हजारों करोड़ रुपये का निवेश करने के बाद इन सेवाओं को निजी कंपनियों को सौंपने से संसदीय स्थायी समिति कतई सहमत नहीं है। समिति के अनुसार बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान विमानपत्तनों के वित्तपोषण की योजना के संबन्ध में योजना आयोग द्वारा गठित कार्यबल द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार हवाई अड्डों के वित्तपोषण की योजना से संबन्धित विभिन्न मुद्दों की जांच की गई। समिति ने मुख्य रूप से सरकार से सिफारिश की है कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण यानि एएआई द्वारा अपनी निहित बाध्यताओं के कारण पार्किंग, मालवाही सुविधाओं, होटलों और यात्रियों की सुविधाओं की खरीददारी आदि से गैर वैमानिक राजस्वों हेतु संभावनाओं का पूरी तरह दोहन नहीं किया जा सकता। समिति ने हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण की सेवाओं को निजी हाथों में सौँपने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एएआई को नागर विमानन मंत्रालय या योजना आयोग के दबाव में कार्य करने के स्थान पर अपने निर्णय स्वयं लेने चाहिए। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने हवाई अड्डों को निजी कंपनियों को उपहार स्वरूप देने का निर्णय लिया। समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि सार्वजनिक निधि से निर्मित सार्वजनिक उपयोगिता वाली सेवाओं को व्यावसायिक लाभ के लिए निजी कंपनियों को नहीं दिया जा सकता। इसलिए समिति मानती है कि इसके लिए एएआई के बजाए नागर विमानन मंत्रालय की ओर से की गई लापरवाही अधिक जिम्मेदार है। समिति ने सिफारिश की है कि एएआई को घाटे में चल रहे हवाई अड्डो समेत देश के सभी हवाई अड्डों का प्रबंधन और संचालन करने की इस संशोधन के साथ अनुमति दी जाए कि निजी विमानपत्तन प्रचालकों द्वारा दी जा रही विश्वस्तरीय यात्री सुविधाओं की तर्ज पर पारदर्शी तरीके से सभी सुविधाएं समयबद्ध तरीके से प्रदान की जानी चाहिए।
21NOV-2013