शनिवार, 30 नवंबर 2013

साइबर दुनिया में लोकप्रियता भी पैसों का खेल!

आईटी कंपनियां खेल रही हैं बिगाड़ने बनाने का खेल
कोबरापोस्ट ने किया राजनीति में साइबर साजिश का खुलासा
ओ.पी.पाल
आजकल राजनीति में भी खासकर चुनावी समर में सोशल मीडिया का उपयोग एक बड़ा जरिया बन गया है, जिसमें लोकप्रियता हासिल करना या विरोधियों को बदनाम करना राजनीतिक दलों के लिए इतना आसान हो गया है बस इसमें पैसों को खेल होना चाहिए। इस पैसे के बल पर आईटी कंपनियां जिसे चाहे लोकप्रिय बना दे और जिसे चाहे जमीन पर लगा देने वाली राजनीति में साइबर साजिश का बड़ा खुलासा आॅपरेशन ब्लू वायरस नामक एक स्टिंग में किया गया है।
सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर यह सनसनी खेज खुलासा स्टिंग के जरिए एक वेबसाइट कोबरापोस्ट ने किया है। यह खुलासा 22 ऐसी आईटी कंपनियों के स्टिंग आपरेशन के बाद सामने आया है, जो पैसों के बल पर राजनीतिक दलों और उनके नेताओं के साथ मिलकर जिसे चाहे लोकप्रिय बना दे और उनके विरोधियों को तबाह करके उनका कैरियर चौपट कर दे। वेबसाइट का दावा है कि पैसे लेकर लोगों को बदनाम करने के लिए आईटी कंपनियां बड़ी सुपारी लेती हैं और फेसबुक, ट्विटर और अन्य दूसरी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स का गलत इस्तेमाल करके करोड़ों रुपये तक का खेल खेल रही हैं। कोबरापोस्ट ने अपने खुफिया कैमरे में ऐसी 22 कंपनियों को कैद करके इस साइबर साजिश का पदार्फाश किया है। इस खुलासे में यह भी दावा किया गया है कि आईटी कंपनियां किन-किन कामों के लिए सुपारी ले रही हैं, उसमें किसी को भी बदनाम करने के लिए फर्जी वीडियो बनाना, वीडियो बनाकर यू-ट्यूब के जरिए उसका प्रचार करना शामिल है। राजनेताओं और सरकार के खिलाफ अभियान चलाना, वोटिंग से पहले अचानक विरोधी नेता पर कीचड़ उछलवाना, नेता की फर्जी तस्वीरों-वीडियो के जरिए उसे बदनाम करना, बदनाम करने के लिए एसएमएस अभियान चलाने के अलावा किसी भी तरह की अफवाह फैलाना, दंगा फैलाने के लिए झूठी बातों-तस्वीरों का प्रचार करने में भी इन आईटी कंपनियों को कोई गुरेज नहीं है। यही नहीं झूठे आरोप लगवाकर नौकरी से निकलवाना, फर्जी आरोप लगवाकर शादी तुड़वाना तक की साजिश का खुलासा इस स्टिंग में किया गया है। इस खुलासे के बारे में यह स्टिंग करने वाली बवेबसाइट के अनिरूद्ध बहल ने हरिभूमि को बताया कि इस तरह साइबर सुपारी यानि पैसे लेकर किसी की छवि को सोशल मीडिया के जरिए खराब करना साइबर अपराध के दायरे में आता है। उन्होंने कहा कि ये आईटी कंपनियां ना सिर्फ बदनाम कर सकती हैं बल्कि किसी को फर्जी तरीके से इतना मशहूर भी कर सकती हैं कि आप भ्रम में पड़ जाएं कि ये आदमी इतना मशहूर कैसे हो गया। ये आईटी कंपनियां लोगों को बल्क एसएमएस भेजने के लिए मोबाइल की जगह इंटरनेट का इस्तेमाल करती हैं। वहीं पहचान छिपाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। ये कंपनिया ग्राहक की पहचान छिपाने के लिए सिर्फ नकद में पैसा लेती हैं।
ऐसे करती होती है साइबर साजिश
सोशल नेटवर्क पर साइबर साजिश करने के लिए आईटी कंपनियों एक खास तरीका अपनाती हैं। मसलन किसी व्यक्ति को लोकप्रिय बनाने के लिए आईटी कंपनियां किन्हीं व्यक्तियों के फर्जी फेसबुक पेज बनाकर उस पेज को अपने कर्मचारियों से लाइक कराती है और दूसरों के लाइक तक भी खरीदती है। यही नहीं वायरस की मदद से लाइक बढ़ाने भी ये कंपनियां माहिर हैं। इसी तरह से प्रमोशनल वीडियो बनाकर यूट्यूब पर अपलोड किया जाता है। यूट्यूब वीडियो पर फर्जी लाइक किए जाते हैं। लाखों की तादाद में दूसरों को एसएमएस किए जाते हैं। प्रचार के लिए ईमेल भी भेजा जाता है। इसमें मुसलमानों के फर्जी प्रोफाइल बनवाकर उनसे किसी भी नेता की तारीफ करवाना उनके लिए बाएं हाथ का खेल है, जिस पर ऐसे नेता के खिलाफ पेज पर कोई कमेंट भी नहीं आने दिया जाता। हां यदि किसी नेता को बदनाम करना हो तो इसी तरीके से ऐसे नेता के खिलाफ अभियान चलाने का काम इन कंपनियों का खेल है।
ऐसे छिपाती हैं अपनी पहचान
सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल करने वाली आईटी कंपनियां अपनी पहचान कैसे छिपाती हैं, इसका भी स्टिंग में खुलासा किया है। अपनी पहचान छिपाने के लिए आईटी कंपनियां अमेरिका या कोरिया के सर्वर से प्रचार अभियान छेड़ती हैं। जिसका मकसद होता है कि यह पता न चल सके कि कहां से प्रचार शुरू हुआ है। वहीं यदि किसी को बदनाम करना है तो इसके लिए आईटी कंपनियां, जिस कंप्यूटर से बदनाम करने का काम करती हैं, उस कंप्यूटर को काम पूरा होने के बाद तोड़ दिया जाता है। आईटी कंपनियां किसी की गिरफ्त में न आ सके इसके लिए हर घंटे जगह बदली जाती है। ताकि लोकेशन का पता ना लगे। दूसरे के कंप्यूटर को हैक किया जाता है।
29Nov-2013

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