शनिवार, 23 नवंबर 2013

जेट-एतिहाद सौदे का हुआ निपटान

ओ.पी.पाल
देश में एफडीआई लागू होने के बाद भारत की निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी जेट एयरवेज द्वारा अबुधाबी की एतिहाद एयरवेज को 24 प्रतिशत की हिस्सेदारी बेचने वाला सौदा आखिर बुधवार को पूरा कर लिया गया है। यह सौदा पिछले करीब छह माह से चौतरफा से आ रही आपत्तियों के कारण टलता आ रहा था, जिसको पिछले सप्ताह सीसीआई की मंजूरी के बाद इसकी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
केंद्र सरकार द्वारा विमानन क्षेत्र में 49 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी मिलने के बाद इस सौदे की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन एतिहाद को नागर विमानन मंत्रालय और डीजीसीए द्वारा ज्यादा तरजीह देने के कारण अन्य विदेशी कंपनियों ने आपत्तियां उठानी शुरू कर दी थी, वहीं दूसरी ओर प्रमुख विपक्षी दल भाजपा समेत अन्य राजनीतिक दलों ने भी इस सौदे में धांधली का आरोप लगाते हुए इसकी जांच के लिए सरकार से लगातार पत्राचार किये,जिसके कारण यह सौदा लगातार टलता रहा। अबुधाबी स्थित एतिहाद एयरवेज ने नरेश गोयल के नेतृत्व वाली जेट एयरवेज में 24 फीसद हिस्सेदारी खरीदने के लिए यह सौदा इसी साल अप्रैल में किया गया था। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) ने गत 12 नवंबर को ही जेट-एतिहाद सौदे को मंजूरी दी है। जबकि इससे पहले वित्त मंत्रालय से संबद्ध विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) और सेबी ने भी इस करार पर सवाल खड़े किये थे। पीएमओ की हरी झंडी मिलने के बाद एफआईपीबी की हरी झंडी के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) ने इस सौदे को सशर्त मंजूरी दी और पिछले सप्ताह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) ने जेट-एतिहाद सौदे पर अपनी मुहर लगा दी। अब इस सौदे का रास्ता साफ हो गया है जिसके तहत बुधवार को निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी जेट एयरवेज ने अपनी 24 फीसदी हिस्सेदारी अबू धाबी की कंपनी एतिहाद एयरवेज को बेचने का सौदा निपटा लिया है। दोनों कंपनियों ने 2,069 करोड़ रुपये में सौदा तय होने की घोषणा कर दी है। वहीं इस सौदे के तहत निजी क्षेत्र की भारतीय एयरलाइन कंपनी ने एतिहाद को शेयर आवंटित कर दिए हैं। गौरतलब है कि भारतीय विमानन क्षेत्र में यह पहला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) है। दोनों एयरलाइंस ने कहा कि भारतीय अधिकारियों से सभी जरूरी नियामकीय मंजूरियां 12 नवंबर को हासिल हो गईं। जेट ने एतिहाद एयरवेज को 10 रुपये अंकित मूल्य के 2,72,63,372 इक्विटी शेयर 754.73 रुपये प्रति शेयर के मूल्य पर तरजीही आधार पर आवंटित किए हैं। एतिहाद एयरवेज को तरजीही आधार पर इक्विटी शेयर आवंटन के बाद एतिहाद के पास जेट एयरवेज की निर्गम बाद की चुकता शेयर पूंजी का 24 प्रतिशत आ गया है। भारत के कानूनी प्रावधानों के हिसाब से जेट और उसके चेयरमैन एवं प्रवर्तक नरेश गोयल के पास इस एयरलाइन में कम से कम 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रहनी जरूरी है।
एतिहाद खरीदेगा नए विमान
अबुधाबी की विमानन कंपनी एतिहाद एयरवेज ने 56 नए विमान खरीदने का ऐलान भी कर दिया है, जिसमें 26 बोइंग 777 और 3 ड्रीमलाइनर 787 शामिल हैं। इसके अलावा 26 अतिरिक्त विमानों की खरीद के लिए विकल्प भी खुला रखा है। कुल मिलाकर ये आॅर्डर 25 अरब डॉलर का होगा। एतिहाद के मुताबिक इससे वो दुनियाभर में अपना ग्लोबल आॅपरेशंस का विस्तार करेगी। हम आपको बता दें कि जेट-एतिहाद सौदे को मंजूरी मिलने की ज्यादातर अड़चने दूर हो चुकी हैं बस अब कुछ ही औपचारिकताएं शेष रह गई हैं।
चेतावनी भी जारी
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) ने जेट-एतिहाद सौदे को मंजूरी देते समय यह भी चेता दिया हे कि यदि इन विमानन कंपनियों की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारियों गलत पाई गई तो किसी भी समय मंजूरी को रद्द किया जा सकेगा। भारत के कानूनी प्रावधानों के हिसाब से जेट और उसके चेयरमैन एवं प्रवर्तक नरेश गोयल के पास इस एयरलाइन में कम से कम 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रहनी जरूरी है।
संसदीय समिति ने हवाई अड्डों के निजीकरण पर उठाए सवाल
हजारों करोड़ खर्च कर लिया गया फैसला दुर्भाग्यपूर्ण
केंद्र सरकार द्वारा देश के हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण करने का काम निजी हाथों में सौंपने पर संसदीय स्थायी समिति ने सवाल खड़े किये हैं। समिति का मानना है कि सरकार ने दिल्ली और कोलकत्त्ता के अलावा 35 हवाई अड्डो के आधुनिकीकरण हेतु हजारों करोड़ रुपये का निवेश करने के बाद यह काम निजी हाथों में सौंपने का काम किया है।
राज्यसभा की विभाग संबन्धित परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी संसदीय स्थायी समिति के सभापति सीताराम येचुरी ने राज्यसभा के सभापति को विमानपत्तनों पर सेवाओं का निजीकरण के संबन्ध में बुधवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट सौंपने के बाद सीताराम येचुरी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार द्वारा हवाई अड्डो के आधुनिकीकरण हेतु हजारों करोड़ रुपये का निवेश करने के बाद इन सेवाओं को निजी कंपनियों को सौंपने से संसदीय स्थायी समिति कतई सहमत नहीं है। समिति के अनुसार बारहवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान विमानपत्तनों के वित्तपोषण की योजना के संबन्ध में योजना आयोग द्वारा गठित कार्यबल द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार हवाई अड्डों के वित्तपोषण की योजना से संबन्धित विभिन्न मुद्दों की जांच की गई। समिति ने मुख्य रूप से सरकार से सिफारिश की है कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण यानि एएआई द्वारा अपनी निहित बाध्यताओं के कारण पार्किंग, मालवाही सुविधाओं, होटलों और यात्रियों की सुविधाओं की खरीददारी आदि से गैर वैमानिक राजस्वों हेतु संभावनाओं का पूरी तरह दोहन नहीं किया जा सकता। समिति ने हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण की सेवाओं को निजी हाथों में सौँपने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एएआई को नागर विमानन मंत्रालय या योजना आयोग के दबाव में कार्य करने के स्थान पर अपने निर्णय स्वयं लेने चाहिए। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने हवाई अड्डों को निजी कंपनियों को उपहार स्वरूप देने का निर्णय लिया। समिति ने अपनी सिफारिश में कहा कि सार्वजनिक निधि से निर्मित सार्वजनिक उपयोगिता वाली सेवाओं को व्यावसायिक लाभ के लिए निजी कंपनियों को नहीं दिया जा सकता। इसलिए समिति मानती है कि इसके लिए एएआई के बजाए नागर विमानन मंत्रालय की ओर से की गई लापरवाही अधिक जिम्मेदार है। समिति ने सिफारिश की है कि एएआई को घाटे में चल रहे हवाई अड्डो समेत देश के सभी हवाई अड्डों का प्रबंधन और संचालन करने की इस संशोधन के साथ अनुमति दी जाए कि निजी विमानपत्तन प्रचालकों द्वारा दी जा रही विश्वस्तरीय यात्री सुविधाओं की तर्ज पर पारदर्शी तरीके से सभी सुविधाएं समयबद्ध तरीके से प्रदान की जानी चाहिए।
21NOV-2013

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