मंगलवार, 28 मई 2019

संसद भवन में पंजीकरण करा चुके हैं 350 नव निर्वाचित सांसद

लोकसभा सचिवालय ने सांसदों की सुविधा के किए बंदोबस्त
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
सत्रहवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में निर्वाचित 542 सांसदों में से अब तक 350 सदस्यों ने अपना पंजीकरण करा लिया है। लोकसभा सचिवालय ने नवनिर्वाचित सांसदों के स्वागत और उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में हर संभव सुविधाएं देने के लिए मतगणना से पहले ही सभी तैयारियां पूरी कर ली थी।
लोकसभा सचिवालय के प्रवक्ता के अनुसार सत्रहवीं लोकसभा के लिए नवनिर्वाचित सांसदों के पंजीकरण के के साथ उन्हें सभी संभव सहायता और सुविधाएं देने के लिए तैयार किये गये आउटरीच प्लान के तहत संसदीय क्षेत्रों के अनुसार नियुक्त किये गये नोडल अधिकारी संसद भवन पहुंचने वाले नवनिर्वाचित सांसदों से संपर्क करके उनका मार्गदर्शन करने के साथ उनका स्वागत कर रहे हैं, जहां सांसदों को इस बार तत्काल स्थायी पहचान पत्र जारी किये जा रहे हैं। इससे पहले सांसदों और उनके जीवन साथी को अस्थायी प्रवेश पत्र जारी किये जाते थे। लोकसभा सचिवालय के अनुसार सोमवार की शाम तक विभिन्न दलों के 350 नव निर्वाचित सांसदों का पंजीकरण हो चुका है और उन्हें निर्वाचन अधिकारी के मूल प्रमाण पत्र के आधार पर लोकसभा सदस्य के रूप में स्थायी पहचान पत्र जारी किये गये हैं। सोमवार को ज्यादातर पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस के निर्वाचित संसाद संसद भवन पहुंचे जहां उनका सचिवालय की और से स्वागत किया गया। गौरतलब है कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों के अधिकांश नवनिर्वाचित सदस्य शनिवार को पंजीकरण कराने वालों में शामिल रहे।
गौरतलब है कि लोकसभा सचिवालय ने इस बार नव निर्वाचित सांसदों के स्वागत और उनके पंजीकरण तथा सुविधाएं देने के लिए कई नई व्यवस्थाएं शुरू की है। इनमें खासकर नए सदस्यों के ठहरने के लिए वेस्टर्न कोर्ट और उसकी नई एनेक्सी के अलावा नई दिल्ली स्थित विभिन्न राज्य भवनों और सदनों में अस्थायी आवास के रूप में व्यवस्था कराई गई है, जिसमें पहली बार सदस्यों के लिए होटलों में अस्थायी आवास की दी जाने वाली व्यवस्था को खत्म किया गया है। जहां नए सांसदों को ठहराया जा रहा है, वहीं चिकित्सा सुविधाओं के अलावा टेलीफोन सुविधाएं और उनकी अन्य प्राथमिक आवश्यकताओं के लिए भी विशेष इंतजाम किये गये हैं।
रेलवे ने भी कसी कमर
लोकसभा सचिवालय के अनुसार देशभर से अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों से नई दिल्ली आने वाले नव-निर्वाचित सांसदों के स्वागत के लिए जहां इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर व्यवस्था की गई है। वहीं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन, हज़रत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन और आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर भी स्वागत केंद्र के रूप में 'गाइड पोस्ट' स्थापित किये गये हैं, जहां रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी नवनिर्वाचित सांसदों के स्वागत और उनका मार्ग दर्शन करने में जुटे हैं। हवाई अड‍्डे और रेलवे स्टेशनों से नए सदस्यों को संसद भवन और उनके लिए आवंटित अस्थाई आवास तक आवागमन की भी व्यवस्था की गई है।
रेलवे के अनुसार रेल मंत्रालय ने सभी स्टेशनों पर लिखित आदेश जारी किए गये हैं कोई भी सांसद जिस स्टेशन से ट्रेन में सवार होता है तो उसकी सूचना दिल्ली कंट्रोल रूम में दी जाए। इस दिशानिर्देश के आधार पर देशभर के किसी भी रेलवे स्टेशन से सांसद के ट्रेन में सवार होते ही दिल्ली रेलवे मुख्यालय को अलर्ट भेजा जा रहा है, जिसके आधार पर नई दिल्ली आने पर संबन्धित नवनिर्वाचित सांसदों का विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर स्थापित गाइड पोस्ट पर स्वागत किया जा रहा है। इस व्यवस्था के तहत यहां पर तैनात कर्मचारी इन सांसदों को स्टेशनों पर मुहैया कराई गई दो कारों के जरिये संसद तक भेजा जा रहा है। यही नहीं ट्रेन से सांसद का सामान उतारने, उनके ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था करने के लिए रेल कर्मचारियों द्वारा जिम्मेदारी निभाई जा रही है।
28May-2019

लोकसभा में पहली बार पहुंची सर्वाधिक 78 महिला सांसद

सत्रहवीं लोकसभा चुनाव में बने कई नए रिकार्ड


दागियों के साथ करोड़पतियों का भी बढ़ा वर्चस्व
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
सत्रहवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में संसदीय इतिहास में कई नए रिकार्ड बने हैं और भाजपा प्रचंड बहुमत के लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। लोकसभा के इतिहास में इस बार पहली बार सर्वाधिक 78 महिला सांसद निर्वाचित होकर सदन में दाखिल हुई है। वहीं आपराधिक छवि वालों के साथ धनवान सांसदों का भी लोकसभा में वर्चस्व बढ़ा है।
दुनिया के सबसे बड़े इस लोकतांत्रिक देश में पिछले कई दशकों से संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण से संबन्धित महिला आरक्षण बिल पिछले एक दशक से संसद में लंबित है, जो राजनीतिक खिंचतान के कारण आज तक पारित नहीं हो सका। वहीं चुनाव के समय राजनीतिक दल महिलाओं को सियासी रणनीतियों से दरकिनार भी करते आ रहे हैं। जहां तक सत्रहवीं लोकसभा का सवाल है उसमें प्रमुख दलों में तृणमूल कांग्रेस और बीजद के अलावा किसी राष्ट्रीय या क्षेत्रीय दलों ने महिलाओं को 33 फीसदी टिकट नहीं दिये, जबकि 64 गैरमान्यता प्राप्त पंजीकृत दल ऐसे रहे, जिन्होंने 33 से 100 फीसदी महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा है। इस लोकसभा के चुनावी महासंग्राम में 724 महिलाएं चुनाव मैदान में थी, जिनमें से 78 महिलाएं सांसद निर्वाचित होकर लोकसभा पहुंची है। महिला सांसदों की लोकसभा में यह संख्या आजाद भारत के संसदीय इतिहास में सर्वाधिक है। इससे कम 62 महिलाएं 16वीं लोकसभा के चुनाव में जीती थी।
भाजपा की सर्वाधिक महिलाएं विजयी
भाजपा ने 437 प्रत्याशियों में 54 यानि 12.36 फीसदी महिलाओं को चुनाव लड़ाया, जिसमें लोकसभा में सर्वाधिक भाजपा की 40 यानि 74 फीसदी महिलाओं को जीत मिली। भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ 303 सीटें जीती हैं। जबकि कांग्रेस के 423 प्रत्याशियों में विजयी 52 सांसदों में कांग्रेस की छह महिलाएं जीती हैं। इसके अलावा तृणमूल की 23 में 9, बीजद की 12 में पांच, वाईएसआर कांग्रेस की चार, द्रमुक की दो के अलावा दो महिलाएं निर्दलीय जीतकर आई हैं। इनके अलावा शिवसेना,जदयू, शिअद, लोजपा, अपना दल, बसपा, टीआरएस, राकांपा और एनपीपी की एक-एक महिला को विजय मिली है।
दागियों व कुबेरों से सराबोर लोकसभा
सत्रहवीं लोकसभा में 1500 प्रज्याशी चुनाव मैदान में थे जिनमें से 233 जीत हासिल करके लोकसभा पहुंचे हैं, इनमें 159 के खिलाफ संगीन मामले लंबित है, जिनमें 11 के खिलाफ हत्या के आरोप वाले मामले चल रहे हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नौ हत्यारोपी समेत 186 आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। वहीं साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जीते 442 करोड़पति सांसदों के मुकाबले 17वीं लोकसभा में ऐसे सांसदों की संख्या बढ़कर 475 हो गई है।   
बीजू जनता दल के 12 सांसदों में से 5 महिलाए हैं। इस बार सबसे ज्यादा 78 महिलाओं वाली संसद में बीजेडी का यह आंकड़ा असामान्य तौर पर उच्च हिस्सेदारी है। वहीं इस मामले में तृणमूल कांग्रेस पार्टी इस मामले में दूसरे नंबर पर है, जिसके 22 सांसदों में से 9 महिलाएं हैं। अगर इस बार चुने गए सांसदों के स्ट्राइक रेट की बात करें तो महिलाओं का जीत का स्ट्राइक रेट काफी ज्यादा है।
महिला उम्मीदवारों का स्ट्राइक रेट ज्यादा
भाजपा की सर्वाधिक महिलाएं विजयी
भाजपा ने 437 प्रत्याशियों में 54 यानि 12.36 फीसदी महिलाओं को चुनाव लड़ाया, जिसमें लोकसभा में सर्वाधिक भाजपा की 40 यानि 74 फीसदी महिलाओं को जीत मिली। भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ 303 सीटें जीती हैं। जबकि कांग्रेस के 423 प्रत्याशियों में विजयी 52 सांसदों में कांग्रेस की छह महिलाएं जीती हैं। इसके अलावा तृणमूल की 23 में 9, बीजद की 12 में पांच, शिवसेना और जदयू की 2-2 महिला सांसद सदन में दाखिल हुई हैं। इनके अलावा शिअद, लोजपा, अपना दल, बसपा, टीआरएस, राकांपा और एनपीपी की एक-एक महिला को विजय मिली है।
टिकट दिया था, जिसमें से 40 ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी की महिला उम्मीदवारों का स्ट्राइक रेट 74.1 प्रतिशत रहा। जबकि पुरूष सांसदों का स्ट्राइक रेट 68 प्रतिशत रहा। इसी तरह तृणमूल कांग्रेस में महिला उम्मीदवारों का स्ट्राइक रेट 52.9 प्रतिशत, जो पुरूषों के स्ट्राइक रेट से थोड़ा ज्यादा है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और डीएमके ने जिन महिला सांसदों को टिकट दिया था, सभी जीतकर संसद पहुंचीं हैं। इसके विपरीत कांग्रेस की महिला उम्मीदवारों का स्ट्राइक रेट सबसे ज्यादा खराब रहा।
30 उम्मीदवार 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीतीं
हमने शुक्रवार को बताया था कि 17वीं लोकसभा में आज तक के मुकाबले सबसे ज्यादा 78 सांसद होंगी। इनमें से 30 उम्मीदवार ऐसी हैं, जो 1 लाख या उससे ज्यादा वोटों के अतर से जीतीं हैं। महिलाओं में सुल्तानपुर से बीजेपी उम्मीदवार मेनका गांधी सबसे कम 14500 वोटों के अंतर से जीतीं हैं। वहीं वड़ोदरा से बीजेपी उम्मीदवार रंजनबेन भट्ट सबसे ज्यादा 5,89,177 वोटों के अंतर से जीतीं हैं।
हेमा की संपत्ति सबसे ज्यादा
इनमें बीजेपी उम्मीदवार हेमा मालिनी 250 करोड़ की संपत्ति के साथ सबसे अमीर उम्मीदवार थीं, वहीं वाइएसआर कांग्रेस पार्टी की ओरुकू से उम्मीदवार गोद्देती माधवी 1 लाख रुपये की कुल संपत्ति वाली उम्मीदवार थीं। किओंझार से बीजेडी की उम्मीदवार चांदरानी मुरमु 25 वर्ष की सबसे कम उम्र की उम्मीदवार थीं, वहीं पटियाला से कांग्रेस उम्मीदवार 74 साल की परिनीत कौर सबसे बुजुर्ग महिला उम्मीदवार थीं।
9वीं लोकसभा में भी सबसे कम महिलाएं
महिला सांसदों की अब तक की इस सर्वाधिक भागीदारी के साथ ही नई लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या कुल सदस्य संख्या का 17 प्रतिशत हो जाएगी। महिला सांसदों की सबसे कम संख्या 9वीं लोकसभा में 28 थी।
कुल 724 महिला उम्मीदवार थीं मैदान में
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कुल 8049 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें 724 महिला उम्मीदवार थीं। मौजूदा लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 64 है। इनमें से 28 मौजूदा महिला सांसद चुनाव मैदान में थी। चुनाव हारने वाली प्रमुख महिला उम्मीदवारों में कन्नौज से एसपी सांसद डिंपल यादव, रामपुर से बीजेपी उम्मीदवार जयाप्रदा शामिल हैं।
कई बड़े नाम हारे भी
वहीं निर्दलीय महिला उम्मीदवारों की संख्या 222 थी। चार ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों ने भी बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा। चुनाव हारने वाली महिला उम्मीदवारों में आसनसोल से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार मुनमुन सेन, सिलचर से सांसद कांग्रेस की सुष्मिता देव, सुपौल से सांसद कांग्रेस की रंजीत रंजन शामिल हैं।
26May-2019

यूपी: जनरल वीके सिंह ने सर्वाधिक मतांतर से हासिल की जीत

राजबब्बर की जमानत जब्त कराकर चाहर दूसरे और पीएम मोदी तीसरे पायदान पर
मछलीशहर में सबसे कम 181 मतों से हुई भाजपा की जीत
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में भाजपा की 62 समेत राजग 64 सीटें लेकर सबसे बड़े गठबंधन के रूप में सामने आया है। सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव में गाजियाबाद सीट पर भाजपा के जनरल वीके सिंह ने सर्वाधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की है, तो सबसे कम 181 मतों के अंतर से जीत हासिल करने वाले मछलीशहर से भाजपा के ही भोलानाथ ने हासिल की है। वहीं इस बार 33 सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा की जीत के अंतर में कमी आई है, जबकि जिन सीटों पर प्रत्याशी बदले गये हैं, वहां ज्यादातर सीटों में जीत के अंतर में बढ़ोतरी हुई है।
केंद्र की सत्ता के लिए देश के सबसे ज्यादा संसदीय क्षेत्र वाले उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। यूपी की 80 सीटों में राजग की 62 और अपना दल की दो सीटों के साथ राजग के खाते में 64 लोकसभा सीटें आई हैं। जबकि यूपी में भाजपा की राह को रोकने के लिए सपा-बसपा-रालोद गठबंधन करके चुनावी मैदान में था, लेकिन भाजपा व अपना दल के गठजोड़ ने विपक्षी गठबंधन को पछाड़कर साबित किया है कि केंद्र की सत्ता का यूपी से राजग के लिए जनमत से तैयार हुआ है। यूपी में विपक्षी गठबंधन को कई सीटों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतारकर मदद की है, शायद इसी कारण ज्यादातर भाजपा प्रत्याशियों के जीत के अंतर में कमी आई है।
यूपी में भाजपा की तीन बड़ी जीत
यूपी में विजयी रहे प्रत्याशियों की जीत में मतों के अंतर का सवाल सामने आता है तो उसमें केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह गाजियाबाद लोकसभा सीट से दूसरी बार चुनाव मैदान में थे, जहां उन्होंने सपा के सुरेश बंसल को 5 लाख 500 मतों क अंतर से पराजित किया है। यूपी में किसी प्रत्याशी की जीत में मतो का यह अंतर सबसे ज्यादा है। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में वीके सिंह ने इस सीट पर 5.67 लाख 260 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। इसके बाद फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी राजकुमार चाहर ने कांग्रेस के यूपी प्रदेशाध्यक्ष एवं अभिनेता राज बब्बर को 4.95 लाख 65 मतों से पराजित किया। फतेहपुर सिकरी सीट पर भाजपा के बाबूलाल ने पिछले चुनाव में 1.73 लाख 106 मतों से जीत हासिल की थी। इसबार भाजपा ने प्रत्याशी बदला तो उससे ज्यादा मतों से विजय मिली। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट पर सपा की शालिनी यादव को 4.79 लाख 505 मतों से हराकर अपने पिछले यानि 2014 के 3.71 लाख 784 मतों से जीत के अंतर का रिकार्ड तोड़ा है। विपरीत यूपी में मछलीशहर लोकसभा सीट पर भाजपा के भोलानाथ उर्फ बीपी सरोज ने बसपा के त्रिभुवन राम को मात्र 181 मतों से हराकर जीत हासिल की, जो राज्य में जीत का सबसे कम अंतर है। जबकि 2014 के आम चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर 1.72 लाख 155 मतों से जीत हासिल कर कब्जा जमाया था।
इन सीटों पर कम हुआ अंतर
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन यूपी की 80 में 73 सीटे जीतकर केंद्र की सत्ता तक पहुंची था। इस बार भाजपा की राह को रोकने के लिए सपा-बसपा-रालोद गठबंधन सामने था, लेकिन इसके बावजूद भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन गठबंधन की वजह से ज्यादातर सीटों पर जीत का अंतर कम रहा। विपक्षी गठबंधन के कारण भाजपा की जीत का जिन सीटों पर अंतर कम हुआ है, उसमें इनके अलावा मुजफ्फरनगर सीट से जहां पिछले चुनाव को भाजपा के संजीव बालियान ने 4.01 लाख 150 मतों से जीत हासिल की थी, वहीं इस बार विपक्षी गठबंधन में शामिल रालोद प्रमुख अजित सिंह को मात्र 6526 मतों के अंतर से हराकर दूसरी बार विजय हासिल की है। वहीं पिछले चुनाव में बागपत सीट पर अजित सिंह को 2.09 लाख 866 मतो से हराने वाले केंद्रीय मंत्री डा. सत्यपाल सिंह इस बार अजित सिंह के बेटे रालोद प्रत्याशी जयंत चौधरी के सामने केवल 23502 मतों से ही जीत सके हैं। इसके अलावा आगरा, अलीगढ़, अकबरपुर, आंवला, बलिया, बांदा, बांसगांव, बाराबंकी, बरेली, बस्ती, भदोही, बुलंदशहर, चंदौली, एटा, इटावा, फैजाबाद, गोरखपुर, हमीरपुर, हाथरस, जालौन, जौनपुर, कैराना, कानपुर, कौशांबी, मथुरा, मेरठ, महाराजगंज, फूलपुर, पीलीभीत, राबर्टगंज, सलेमपुर, संतकबीरनगर व सुल्तानपुर में भाजपा की जीत का अंतर पिछले चुनाव की तुलना में कम रहा है। बाकी जिन सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है उन पर जीत के अंतर में बढ़ोतरी देखी गई है। खासबात है कि जीत के मतों के अंतर बढ़ोतरी वाली ज्यादातर सीटें वे हैं जहां भाजपा ने इस बार अपने प्रत्याशी बदले हैं।

6.89 लाख मतों से हुई  सबसे बड़ी जीत
गुजरात की नवसारी सीट भाजपा प्रत्याशी सीआर पाटिल ने 6.89 लाख वोटों के अंतर से जीती। यह इस चुनाव में सबसे बड़ी जीत है। पिछली बार वे यहीं से 5.58 लाख वोटों से जीते थे।
हरियाणा करनाल में भाजपा के संजय भाटिया ने कांग्रेस के कुलदीप शर्मा को 6.56 लाख वोटों से हराया।
फरीदाबाद में भाजपा के किशनपाल ने कांग्रेस अवतार सिंह भड़ाना को 6.38 लाख वोटों से हराया।
भीलवाड़ा में भाजपा के सुभाषचंद्र बहेड़िया 6.12 लाख से हराया।
वडोदरा में भाजपा की राजन बेन भट्ट ने कांग्रेस के प्रशांत पटेल को 5.89 लाख वोटों से हराया।
पश्चिमी दिल्ली से भाजपा प्रवेश वर्मा ने कांग्रेस के महाबल मिश्रा को 5.78 लाख वोटों से मात दी।
चित्तौड़गढ़ में भाजपा के चंद्रप्रकाश जोशी ने कांग्रेस के गोपाल शेखावत को 5.76 लाख वोटों से हराया।
अमित शाह ने गांधीनगर में कांग्रेस के सीजे चावड़ा को 5.57 लाख वोटों से हराया।
होशंगाबाद मप्र में भाजपा के उदय प्रताप ने कांग्रेस के शैलेन्द्र सिंह को 5.53 लाख वोटों से हराया।
भाजपा के हंसराज हंस दिल्ली उत्तर पश्चिम में 5.53 लाख वोट से जीते।
सूरत से दर्शना विक्रम जरदोश ने कांग्रेस के अशोक पटेल को 5.48 लाख वोटों से हराया।
इंदौर में भाजपा के शंकर लालवानी ने 5.47 लाख से जीते।
राजस्थान की राजसमंद सीट से भाजपा की दीया कुमारी 5.51 लाख वोटों से जीतीं।
तमिलनाडु के डिंडीगुल में डीएमके के वेलुसामी पी 5.38 लाख से जीते
तमिलनाडु में श्रीपेरुंबदूर में डीएमके के टीआर बालू 5.07 लाख से जीते।
विदिशा में भाजपा के रमाकांत भार्गव 5.03 लाख वोटों से जीते।
सिर्फ 181 वोटों से जीता भाजपा का ये उम्मीदवार, नोटा पर पड़े 10,830 वोट


25May-2019

ग्लैमर के कुछ सितारों को रास नहीं आया सियासी पर्दा


रुपहले पर्दे के कई नये सितारे सियासत में उभरे 
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
सत्रहवीं लोकसभा के सियासी महासंग्राम में उतरे करीब दो दर्जन फिल्मी जगत की हस्तियों ने भी सियासी पर्दे पर ग्लैमर बिखरने का प्रयास किया, लेकिन ज्यादातर सितारों को सियासत की राह रास नहीं आ सकी और 11 सितारे लोकसभा में दाखिल होने जा रहे हैं।
भाजपा से बगावत करके बिहार की पाटलीपुत्र सीट पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले ‘शॉट गन’ शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा के रविशंकर प्रसाद के सामने चित्त हो गये हैं। जबकि बॉलीवुड अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर ने कांग्रेस के टिकट पर इस चुनावी महाकुंभ में मुंबई नॉर्थ सीट से सियासत की शुरूआत की, लेकिन वह भाजपा के सांसद गोपाल शेट्टी के सामने टिक नहीं सकी। इसी प्रकार मोदी सरकार पर लगातार निशाना साधते आ रहे सिने कलाकार प्रकाश राज भी कर्नाटक की बंगलूरू सीट से निर्दलीय रूप से किस्मत आजमाने उतरे, लेकिन भाजपा के सांसद पीसी मोहन के मुकाबले सियासत में खरे नहीं उतर पाये। उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ सीट पर भाजपा के टिकट पर भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ भी सपा के प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मात खा गये। उत्तर प्रदेश की फतेहपुर सीट पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद एवं अभिनेता राज बब्बर भी भाजपा के राजकुमार चाहर के सामने पराजित हो गये हैं। यूपी की रामपुर सीट पर भाजपा के टिकट पर अभिनेत्री जया प्रदा भी सपा के आजम खां से मात खा गई। पश्चिम बंगाल की आसानसोल सीट पर टीएमसी की सांसद मुनमुन सेन भाजपा के सांसद बॉलीवुड सिंगर बाबुल सुप्रियो ने इस बार सियासत के पर्दे से दूर कर दिया। मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से अभिनेता संजय दत्त की बहन प्रिया दत्त भी कांग्रेस के टिकट पर पराजित हो गई हैं।
स्मृति ईरानी ने तोड़ा तिस्लिम
उत्तर प्रदेश में गांधी परिवार की पारंपारिक लोकसभा सीट अमेठी में कांग्रेस के प्रमुख राहुल गांधी का इस बार भाजपा की केंद्रीय मंत्री एवं छोटे पर्दे की तुलसी यानि जीत हासिल करके पिछले लोकसभा चुनाव का हिसाब चुकता कर लिया है। वहीं धर्मेन्द्र दयोल के परिवार की सुविख्यात अभिनेत्री हेमामालिनी ने अपरे सियासी अनुभव को यूपी की मथुरा सीट से दूसरी बार प्रचंड किया है। बड़े पर्दे पर लंबे समय से धाक जमाने वाले सनी देओल अपने पिता धर्मेंद्र और हेमा मालिनी के बाद चुनावी मैदान में उतर गए हैं। भाजपा के टिकट पर बॉलीवुड स्टार सन्नी दयोल अपने पिता धर्मेन्द दयोल के बाद पंजाब की गुरदासपुर से पहली बार सियासी पर्दे पर आए और भाजपा के टिकट पर लोकसभा में दाखिल होने का रास्ता प्रशस्त किया। चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा की सांसद एवं अभिनेत्री किरण खेर ने दूसरी बार सियासत में अपना परचम लहराया है। पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट पर बॉलिवुड गायक एवं केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने फतेह हासिल किया। जबकि पश्चिमी बंगाल की बशीरहाट सीट से बंगाली सिनेमा की अभिनेत्री नुसरत जहां और जाधवपुर सीट से टीएमसी के टिकट पर बंगाली फिल्मों और टेलीविजन दुनिया की अभिनेत्री मिमी चक्रवर्ती ने जीत हासिल की है। राष्ट्रीय राजधानी की उत्तर-पूर्वी दिल्ली सीट पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस उम्मीदवार शीला दीक्षित को चुनौती देकर भोजपुरी गायक मनोज तिवारी दूसरी बार सांसद बनने जा रहे हैं। वहीं उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट से पहली बार भाजपा के टिकट पर सूफी गायक हंस राज हंस ने दिग्गजो का पछाड़कर लोकसभा में दाखिल होने का अधिकार हासिल कर लिया है। पश्चिम बंगाल की घाटल सीट से टीएमसी के टिकट पर बंगाली सिनेमा के सुपर स्टार देव यानी दीपक अधिकारी जीत गये हैं। कर्नाटक मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे और दक्षिण भारतीय फिल्मों के सितारे निखिल गौड़ा भी जीत हासिल करने जा रहे हैं।
कांग्रेस के आठ पूर्व मुख्यमंत्री भी हारे
लोकसभा चुनाव के लिए जारी मतगणना में अभी तक आए नतीजे बता रहे हैं कि इस सियासी जंग में अपनी किस्मत आजमाने उतरे पूर्व मुख्यमंत्रियों में 13 को हार का सामना करना पड़ा है, जिसमें आठ पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस के टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहे थे। कांग्रेस के टिकट पर उत्तरी पूर्वी दिल्ली से शीला दीक्षित, मध्य प्रदेश की भोपाल सीट से दिग्विजय सिंह, हरियाणा की सोनीपत से भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, उत्तराखंड की नैनीताल-उधमसिंहनगर हरीश रावत, महाराष्ट्र की शोलापुर सीट से सुशील कुमार शिंदे व नांदेड़ सीट से अशोक चव्हाण, मेघालय की तुरा लोकसभा सीट से कांग्रेस के मुकुल संगमा, अरुणाचल प्रदेश की अरुणाचल पश्चिम सीट से नबाम टुकी को पराजय का सामना करना पड़ा है। जबकि जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग सीट से पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, झारखंड से झामुमो के बाबूलाल मरांडी और शिबू सोरेन भी जनमत हासिल नहीं कर सके है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्रियों में यूपी की आजमगढ़ सीट से सपा के अखिलेश यादव, कनार्टक की बंगलूरू सेंट्रल से भाजपा के डीवी सदानंदगौडा व झारखंड की सीट से खूंटी सीट से भाजपा के अर्जुन मुंडा जीत गये हैं। 
24May-2019