बुधवार, 8 मई 2019

लोकसभा चुनाव- किस करवट बैठेगा सियासी महासंग्राम का ऊंट

देश की प्रमुख दस प्राथमिकताओं में रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा
-ओमप्रकाश पाल
लोकसभा की 543 सीटों पर सात चरणों में होने वाले चुनाव में से चार चरणों में 373 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है और अंतिम चरण का चुनाव 19 मई को होगा, जिसके नतीजे 23 मई को आने हैं, जिसमें तय होगा की सत्रहवीं लोकसभा के गठन में किस दल की सरकार सत्ता पर काबिज होगी। मसलन इस लोकतंत्र के महायज्ञ रूपी सियासी महासंग्राम में राष्ट्रवाद और विकास का मुद्दे पर भाजपानीत राजग सरकार की वापसी होगी या फिर मोदी सरकार के खिलाफ राफेल, किसान, बेरोजगारी और नोटबंदी जैसे मुद्दों पर जनता को गुमराह करते लामबंद हुए विपक्षी दलों की रणनीति रंग लाएगी, यह तो चुनावी परिणाम के बाद ही सामने आएगा। हालांकि यह भी सच्चाई है कि लोकसभा में बहुमत के लिए भाजपा को छोड़कर एक भी दल चुनावी जंग में नजर नहीं आता। मसलन भाजपा ही एक ऐसा दल है जो बहुमत के आंकडे 272 से ज्यादा करीब 437 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को लड़ा रहा है। यदि लोकसभा चुनाव से पूर्व हुए एक सर्वेक्षण पर नजर डाली जाए तो देश में मोदी सरकार के बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन के दावों के बावजूद मतदाताओं की प्रमुख दस प्राथमिकताओं में रोजगार के बेहतर अवसर का मुद्दा ही सबसे बड़ा चुनाव फैक्टर हो सकता है। इसके बाद बेहतर स्वास्थ्य, पेयजल, सड़के, कृषि ऋण और फसलों के उचित मूल्य के साथ बेहतर कानून व्यवस्था बनाने का मुद्दे भी महत्वपूर्ण है।
दरअसल केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पिछले पांच सालों में रोजगार सृजन के बेहतर नतीजें बताए जा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद इस लोकसभा चुनाव के प्रमुख मुद्दों पर चुनाव सुधार के लिए कार्य कर रही गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने 543 में से 534 लोकसभा सीटों पर जनसांख्यिकी के 2,73,479 मतदाताओं को शामिल करते हुए विस्तार से एक सर्वेक्षण कराया है, जिसमें मतदाताओं की प्राथमिकताओं के पेयजल, बिजली, सड़कें, भोजन, स्वास्थ्य, सार्वजनिक परिवहन आदि 31 मुद्दों को शामिल किया गया है।
टॉप टेन में बेहतर रोजगार की अपेक्षा
इस सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक मतदाताओं की शीर्ष 10 प्राथमिकताओं से यह पूर्णतया स्पष्ट है कि भारतीय मतदाता रोज़गार और स्वास्थ्य सेवा, पेयजल, बेहतर सड़कें जैसी मूलभूत सुविधाओं को सभी शासकीय मुद्दों से ऊपर प्राथमिकता देते हैं | सर्वेक्षण में इन दस मुद्दों में सर्वाधिक 46.80 रेटिंग रोजगार के बेहतर अवसर को दी गई है। जबकि बेहतर अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों के लिए 34.60 प्रतिशत, पेयजल के लिए 30.50 प्रतिशत, बेहतर सड़कों के लिए 28.24 प्रतिशत, बेहतर सार्वजनिक परिवहन के लिए 27.35, कृषि जल की उपलब्धता पर 26.40, कृषि ऋण की उपलब्धता को 25.62 प्रतिशत, फसल मूल्यों की प्राप्ति को 25.41 प्रतिशत, बीजो व उर्वरक सब्सिडी को 25.06 प्रतशित तथा बेहतर कानून व्यवस्था को 23.95 प्रतिशत की रेटिंग सामने आई है।
देश में सुधरा सार्वजनिक परिवहन
इस सर्वेक्षण में पिछले पांच साल के कार्यकाल पर भी मतदाताओं ने मौजूदा केंद्र सरकार के प्रदर्शन का आकलन जाहिर किया है, जिसमें इन प्रमुख दस मुद्दो को पांच अंक में से प्रदर्शन स्कोर के रूप में औसतन तीन अंक दिये हैं। सरकार के प्रदर्शन में सबसे ज्यादा 2.58 अंक बेहतर सार्वजनिक परिवहन को दिये गये हैं। जबकि पेयजल की व्यवस्था में सरकार के प्रदर्शन को 2.52 अंक और बेहतर सड़कों के मुद्दे पर सरकार के प्रदर्शन को 2.41 अंक मतदाताओं ने दिये हैं। चौथे नंबर के प्रदर्शन में सरकार को बेहतर अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र के लिए 2.35 अंक दिये गये हैं। रोजगार के बेहतर अवसर के लिए मतदाताओं की नजर में सरकार के प्रदर्शन को 2.15 के स्कोर पर ठहराया गया है। हालांकि इससे ज्यादा 2.23 अंक कृषि उत्पादों के मूल्य की प्राप्ति को दिये गये हैं। कानून व्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन के लिए 2.26 अंक इस सर्वेक्षण में मतदाताओं ने दिये हैं। सबसे कम 2.06 अंक बीजों व उर्वरक सब्सिडी के लिए सरकार के प्रदर्शन को मिले हैं।
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45.64 लाख दिव्यांग करेंगे वोटिंग
देश में लोकसभा की 543 सीटों पर होने वाले आम चुनाव के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग ने संशोधन मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के आंकड़े राज्यवार जारी कर दिये हैं, इनमें इस बार दिव्याग मतदाताओं की संख्या इतनी है जिनके मतदान के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से लोकसभा चुनाव-2019 के लिए अंतिम प्रकाशन के मतदाताओं की सूची जारी की गई। मतदाताओं की संख्या के आंकड़ों के अनुसार राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में बनाए गये 1035919 मतदान केंद्रों पर सात चरणों में 896076899 मतदाता वोट डालेंगे। जबकि कुल 90 करोड, 23लाख, 75532 मतदाताओं में 4563905 दिव्‍यांग मतदाता भी शामिल हैं, जिनके लिए अलग से व्यवस्था की गई है। इन मतदाताओं के आंकड़ों के अनुसार कुल मतदाताओं में  71735 प्रवासी भारतीय और 1662993 सेवा मतदाताओं की संख्‍या है। इनके अलावा 41292 किन्नरों को भी मतदान करने का मौका दिया गया है, जिनमें 1589 दिव्यांग और 20 प्रवासी भारतीय भी शामिल हैं।
कुल पोलिंग स्टेशन 
इस चुनाव में 10 लाख से ज्यादा पोलिंग स्टेशन बनाए जाएंगे जो एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड है। वोटर वैरिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) का सभी बूथों पर इस्तेमाल होगा। चुनाव के लिए 10 लाख 10 हजार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल होगा।
कुल मतदाता
2019 लोकसभा चुनाव में करीब 82 करोड़ मतदाता मतदान करेंगे। देश के पहले आम चुनाव के मुकाबले इस बार मतदाताओं की संख्या में पांच गुना इजाफा हुआ है। वोट देने वालों की संख्या में इस दौरान खासा इजाफा हुआ है। 1951-52 में 46 फीसदी के मुकाबले 2014 में 66 फीसदी मतदान हुआ था।
पहला वोटर
लोकसभा चुनाव 2014 में पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं की संख्या 1.5 करोड़ है। ये वोटर 18-19 की उम्र वाले हैं जो कुल मतदाताओँ का 1.66 फीसदी है। देश की दो तिहाई आबादी 35 से कम उम्र की है।
कितनी पार्टियां
चुनाव आयोग ने 1841 राजनीतिक दलों की पहचान की है जो 2019 चुनाव में हिस्सा लेंगे।  यानि बड़ी संख्या में क्षेत्रीय दल चुनाव मैदान में उतरेंगे।
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लोकसभा चुनाव के दिलचस्प पहलू
देश में पहली बार एक सीट पर तीन चरणों मतदान
चुनाव आयोग के आधिकारिक एलान के बाद जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग लोकसभा सीट सबसे ज्यादा चर्चा में है। देश में संभवत: पहली बार किसी एक सीट पर तीन चरणों में मतदान होगा। अनंतनाग संसदीय सीट पर सुरक्षा कारणों से तीन चरणों में मतदान का फैसला लिया गया है। दरअसल पिछले दिनों चुनाव आयोग की एक टीम ने सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा लेने के लिए इस क्षेत्र का दौरा किया था। इसके बाद ही अनंतनाग लोकसभा सीट पर तीन चरणों में मतदान कराने का फैसला लिया गया है। दक्षिण कश्मीर का अनंतनाग पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का गृह क्षेत्र भी है, 2014 में वो यहां से सांसद बनी थीं। अनंतनाग आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। अनंतनाग सीट पर तीसरे, चौथे और पांचवें चरण यानी 23 अप्रैल, 29 अप्रैल और 6 मई को मतदान होगा। 23 अप्रैल को अनंतनाग सीट पर अनंतनाग जिले में, 29 अप्रैल को कुलगाम जिले में और 6 मई को शोपियां और पुलवामा में वोटिंग होगी।
एक वोटर तक पहुंची चुनाव टीम
अरूणाचल में चीन से लगे सीमावर्ती इलाके के एक मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए कर्मचारियों को पूरे दिन पैदल चलकर चुनाव की टीम ने महज एक वोटर सोकेला कायंग का वोट डलवाया हैं। यह वोटर अपने बच्चों के साथ जिला मुख्यालय हायूलियांग से 39 किमी दूर मालोगाम में रहती हैं। यह इलाका हायूलियांग विधानसभा क्षेत्र में है। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां दो वोटर थे, कयांग और उनके पति। लेकिन कयांग के पति ने अपना नाम दूसरे मतदाता केंद्र पर स्थानांतरित करा लिया।
यहां एक वोटर के लिए बना मतदान केंद्र
गुजरात के जूनागढ़ के गिर जंगल में मात्र एक वोटर के लिए मतदान केंद्र बनाया गया था। मतदाता भरतदास बापू ने यहां अपना वोट डाला।  लोकसभा चुनाव 2019 में अभी तक का यह पहला मामला है, जब किसी मतदान केंद्र पर सौ फीसदी मतदान हुआ है, हालांकि इसकी वजह ये है कि यहां महज एक ही मतदाता है।
दुनिया का सबसे ऊंचा मतदान केंद्र
भारत जैसे सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में शिखर पर भी लोकतंत्र की मिसाल है। मसलन साल भर बर्फ की चादर ओढ़ कर सोती ताशीगंग रोड अब नींद से उठ कर लोकतंत्र को मजबूत करने में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। हिमाचल प्रदेश में ताशीगंग की ओर जाने वाली सड़क बर्फीले और ऊंचे इलाके में होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से ज्यादातर बंद रहती है। लंबे समय के बाद इस सड़क को यहां के लोगों के लिए खोला जाएगा, ताकि लोग राज्य में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए मतदान कर सकें। ताशीगंग जमीन की सतह से 15 हजार 256 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसे दुनिया का सबसे ऊंचा मतदान केंद्र घोषित किया गया है। इस बार इस बूथ में ताशीगंग और उसके पड़ोसी गेटे गांव के कुल 48 मतदाता वोट करेंगे, जिनमें से 30 पुरूष और 18 महिला वोटर हैं। हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में यानी 19 मई को मतदान होगा।
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आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन पर सख्त आयोग
नई दिल्ली
केंद्रीय चुनाव आयोग ने राज्यों के राज्य निर्वाचन आुयक्तों और गठित की गई विभिन्न उड़न दस्तों के जरिए आदर्शन आचार संहिता के उल्लंघन करने वालें राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों पर शिकंजा कसने की कार्यवाही पिछले चुनावों के मुकाबले कहीं ज्यादा है, इसी का परिणाम है कि अभी तक सियासी दलों और प्रत्याशियों द्वारा गैरकानूनी खर्च के हिस्से में करीब 750 करोड़ की नकदी समते करीब साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये कीमत की सामग्री जब्त की है, जो आजाद भारत के इतिहास में एक रिकार्ड बनता जा रहा है।
चुनाव प्रचार पर कड़ी निगरानी
लोकसभा चुनाव 2019 के तहत राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के चुनावी प्रचार की गतिविधियों पर भी कड़ी निगरानी के चुनाव आयोग ने कड़े बंदोबस्त किये हैं।चुनाव की आदर्श आचार संहिता का ज्यादा उल्लंघन चुनाव प्रचार के दौरान होता पाया जाता है, जिसमें नियमों के विपरीत चुनाव प्रचार करने के लिए कोई दल या प्रत्याशी किसी निजी सम्पत्ति पर अपने बैनर या झंडे नहीं लगा सकता, यदि ऐसा पाया जाता है तो इसके लिए संपत्ति के मालिक की लिखित अनुमति दिखाना अनिवार्य होगा। आयोग केअनुसार इस दौरान आदर्श आचार संहिता की अनुपालना सुनिश्चित करवाने तथा चुनावी खर्चे आदि की कड़ी मानिटरिंग के लिए यह प्रावधान किया गया है। इसके लिए शहरी क्षेत्रों मे निजी सम्पत्ति पर विज्ञापन नगरपालिका अधिनियम के तहत प्रतिबंधित है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी निजी सम्पत्ति मालिकों की स्वीकृति को अनिवार्य बनाया गया है।
वाहनों के दुरुपयोग पर कार्यवाही
चुनाव आयोग के मुताबिक यदि कोई निजी वाहन स्वामी अपने वाहन पर अपनी पंसद के किसी राजनीतिक दल या अभ्यर्थी का झंडा, स्टीकर लगाता है और राहगीरों को कोई परेशानी या आपत्ति होती है तो भी भारतीय दंड संहिता की धारा 171-एव आईपीसी के तहत कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। इसी प्रकार चुनावी खर्च पर भी नजरे रखी जा रही है। मसलन यदि किसी प्रत्याशी द्वारा प्रचार के प्रयोजन से किसी निजी या वाणिज्यिक वाहनों पर झंडे या स्टीकर लगाए जाते हैं तो उस वाहन को चुनावी खर्च के दायरे में लाया जाएगा और उसका ईधन तथा चालक का वेतन प्रत्याशी के व्यय लेखे में शामिल किया जाएगा। इसलिए वाहन को प्रचार वाहन के रूप में उपयोग में लेने की अनुमति जिला निर्वाचन अधिकारी या रिटर्निंग अधिकारी से लेना अनिवार्य किया गया है।
नियमों के तहत लाउडस्पीकर का इस्तेमाल
चुनाव के दौरान वाहनों तथा वीडियो रथ वाहन में सक्षम अधिकारी से विधिवत अनुमति प्राप्त कर लाउडस्पीकर का उपयोग किया जा सकता हैं। लेकिन लाइडस्पीकरों का उपयोग रातः 10 से प्रातः 6 बजे तक निषिद्ध अवधि में नहीं किया जा सकेगा। इसी प्रकार से चुनाव प्रचार के दौरान जुलूसों में कोई भी अभ्यर्थी या राजनीतिक दल टोपी, मास्क स्कार्फ आदि उपलब्ध करवा सकता है लेकिन रैलियों, सभाओं, जुलूसों आदि में साड़ी, कमीज आदि परिधानों वितरण नहीं किया जा सकेगा।
चुनावी सभाओं पर भी सख्ती
लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक सभाओं के लिए सरकार, स्थानीय निकाय, उपक्रमों, सहकारी संस्थाओं के मीटिंग स्थलों, हॉल्स, ऑडिटोरियम आदि का उपयोग राजनीतिक सभाओं के लिए किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करना जरूरी होगा। इनका उपयोग सभी राजनीतिक दलों या अभ्यर्थियों द्वारा समानता के आधार पर किया जाए ओर किसी दल या अभ्यर्थी का इन पर एकाधिकार नहीं रहेगा, वहीं राजनीतिक दल या प्रत्याशी के लिए यह भी अनिवार्य किया गया है कि सभा के बाद सभा स्थलों पर प्रचार सामग्री हटा ली जाए। आयोग के अनुसार सार्वजनिक सम्पति या अन्य की सम्पत्ति को जान बूझकर क्षति पहुंचाने का मामला पाए जाने पर सम्बंधित के विरूद्ध कानूनी प्रावधानों के तहत कड़ी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।
01May-2019



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