दागियों
के साथ करोड़पतियों का भी बढ़ा वर्चस्व
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
सत्रहवीं
लोकसभा के लिए हुए चुनाव में संसदीय इतिहास में कई नए रिकार्ड बने हैं और भाजपा
प्रचंड बहुमत के लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। लोकसभा
के इतिहास में इस बार पहली बार सर्वाधिक 78 महिला सांसद निर्वाचित होकर सदन में
दाखिल हुई है। वहीं आपराधिक छवि वालों के साथ धनवान सांसदों का भी लोकसभा में
वर्चस्व बढ़ा है।
दुनिया
के सबसे बड़े इस लोकतांत्रिक देश में पिछले कई दशकों से संसद और विधानसभाओं में महिलाओं
को 33 फीसदी आरक्षण से संबन्धित महिला आरक्षण बिल पिछले एक दशक से संसद में लंबित
है, जो राजनीतिक खिंचतान के कारण आज तक पारित नहीं हो सका। वहीं चुनाव के समय
राजनीतिक दल महिलाओं को सियासी रणनीतियों से दरकिनार भी करते आ रहे हैं। जहां तक
सत्रहवीं लोकसभा का सवाल है उसमें प्रमुख दलों में तृणमूल कांग्रेस और बीजद के
अलावा किसी राष्ट्रीय या क्षेत्रीय दलों ने महिलाओं को 33 फीसदी टिकट नहीं दिये,
जबकि 64 गैरमान्यता प्राप्त पंजीकृत दल ऐसे रहे, जिन्होंने 33 से 100 फीसदी
महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा है। इस लोकसभा के चुनावी महासंग्राम में 724
महिलाएं चुनाव मैदान में थी, जिनमें से 78 महिलाएं सांसद निर्वाचित होकर लोकसभा
पहुंची है। महिला सांसदों की लोकसभा में यह संख्या आजाद भारत के संसदीय इतिहास में
सर्वाधिक है। इससे कम 62 महिलाएं 16वीं लोकसभा के चुनाव में जीती थी।
भाजपा की सर्वाधिक महिलाएं
विजयी
भाजपा
ने 437 प्रत्याशियों में 54 यानि 12.36 फीसदी महिलाओं को चुनाव लड़ाया, जिसमें
लोकसभा में सर्वाधिक भाजपा की 40 यानि 74 फीसदी महिलाओं को जीत मिली। भाजपा ने
प्रचंड बहुमत के साथ 303 सीटें जीती हैं। जबकि कांग्रेस के 423 प्रत्याशियों में
विजयी 52 सांसदों में कांग्रेस की छह महिलाएं जीती हैं। इसके अलावा तृणमूल की 23
में 9, बीजद की 12 में पांच, वाईएसआर कांग्रेस की चार, द्रमुक की दो के अलावा दो
महिलाएं निर्दलीय जीतकर आई हैं। इनके अलावा शिवसेना,जदयू, शिअद, लोजपा, अपना दल,
बसपा, टीआरएस, राकांपा और एनपीपी की एक-एक महिला को विजय मिली है।
दागियों व कुबेरों से सराबोर लोकसभा
सत्रहवीं
लोकसभा में 1500 प्रज्याशी चुनाव मैदान में थे जिनमें से 233 जीत हासिल करके लोकसभा
पहुंचे हैं, इनमें 159 के खिलाफ संगीन मामले लंबित है, जिनमें 11 के खिलाफ हत्या
के आरोप वाले मामले चल रहे हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नौ हत्यारोपी समेत
186 आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। वहीं साल 2014 के
लोकसभा चुनाव में जीते 442 करोड़पति सांसदों के मुकाबले 17वीं लोकसभा में ऐसे
सांसदों की संख्या बढ़कर 475 हो गई है।
बीजू
जनता दल के 12 सांसदों में से 5 महिलाए हैं। इस बार सबसे ज्यादा 78 महिलाओं वाली संसद
में बीजेडी का यह आंकड़ा असामान्य तौर पर उच्च हिस्सेदारी है। वहीं इस मामले में तृणमूल
कांग्रेस पार्टी इस मामले में दूसरे नंबर पर है, जिसके 22 सांसदों में से 9 महिलाएं
हैं। अगर इस बार चुने गए सांसदों के स्ट्राइक रेट की बात करें तो महिलाओं का जीत का
स्ट्राइक रेट काफी ज्यादा है।
महिला
उम्मीदवारों का स्ट्राइक रेट ज्यादा
भाजपा की सर्वाधिक महिलाएं
विजयी
भाजपा
ने 437 प्रत्याशियों में 54 यानि 12.36 फीसदी महिलाओं को चुनाव लड़ाया, जिसमें
लोकसभा में सर्वाधिक भाजपा की 40 यानि 74 फीसदी महिलाओं को जीत मिली। भाजपा ने
प्रचंड बहुमत के साथ 303 सीटें जीती हैं। जबकि कांग्रेस के 423 प्रत्याशियों में
विजयी 52 सांसदों में कांग्रेस की छह महिलाएं जीती हैं। इसके अलावा तृणमूल की 23
में 9, बीजद की 12 में पांच, शिवसेना और जदयू की 2-2 महिला सांसद सदन में दाखिल
हुई हैं। इनके अलावा शिअद, लोजपा, अपना दल, बसपा, टीआरएस, राकांपा और एनपीपी की
एक-एक महिला को विजय मिली है।
टिकट
दिया था, जिसमें से 40 ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी की महिला उम्मीदवारों का स्ट्राइक
रेट 74.1 प्रतिशत रहा। जबकि पुरूष सांसदों का स्ट्राइक रेट 68 प्रतिशत रहा। इसी तरह
तृणमूल कांग्रेस में महिला उम्मीदवारों का स्ट्राइक रेट 52.9 प्रतिशत, जो पुरूषों के
स्ट्राइक रेट से थोड़ा ज्यादा है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और डीएमके ने जिन महिला
सांसदों को टिकट दिया था, सभी जीतकर संसद पहुंचीं हैं। इसके विपरीत कांग्रेस की महिला
उम्मीदवारों का स्ट्राइक रेट सबसे ज्यादा खराब रहा।
30
उम्मीदवार 1 लाख से ज्यादा वोटों से जीतीं
हमने
शुक्रवार को बताया था कि 17वीं लोकसभा में आज तक के मुकाबले सबसे ज्यादा 78 सांसद होंगी।
इनमें से 30 उम्मीदवार ऐसी हैं, जो 1 लाख या उससे ज्यादा वोटों के अतर से जीतीं हैं।
महिलाओं में सुल्तानपुर से बीजेपी उम्मीदवार मेनका गांधी सबसे कम 14500 वोटों के अंतर
से जीतीं हैं। वहीं वड़ोदरा से बीजेपी उम्मीदवार रंजनबेन भट्ट सबसे ज्यादा
5,89,177 वोटों के अंतर से जीतीं हैं।
हेमा की संपत्ति सबसे ज्यादा
इनमें
बीजेपी उम्मीदवार हेमा मालिनी 250 करोड़ की संपत्ति के साथ सबसे अमीर उम्मीदवार थीं,
वहीं वाइएसआर कांग्रेस पार्टी की ओरुकू से उम्मीदवार गोद्देती माधवी 1 लाख रुपये की
कुल संपत्ति वाली उम्मीदवार थीं। किओंझार से बीजेडी की उम्मीदवार चांदरानी मुरमु
25 वर्ष की सबसे कम उम्र की उम्मीदवार थीं, वहीं पटियाला से कांग्रेस उम्मीदवार 74
साल की परिनीत कौर सबसे बुजुर्ग महिला उम्मीदवार थीं।
9वीं
लोकसभा में भी सबसे कम महिलाएं
महिला
सांसदों की अब तक की इस सर्वाधिक भागीदारी के साथ ही नई लोकसभा में महिला सांसदों की
संख्या कुल सदस्य संख्या का 17 प्रतिशत हो जाएगी। महिला सांसदों की सबसे कम संख्या
9वीं लोकसभा में 28 थी।
कुल 724 महिला उम्मीदवार थीं मैदान
में
गौरतलब
है कि लोकसभा चुनाव में कुल 8049 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें 724 महिला उम्मीदवार
थीं। मौजूदा लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 64 है। इनमें से 28 मौजूदा महिला सांसद
चुनाव मैदान में थी। चुनाव हारने वाली प्रमुख महिला उम्मीदवारों में कन्नौज से एसपी
सांसद डिंपल यादव, रामपुर से बीजेपी उम्मीदवार जयाप्रदा शामिल हैं।
कई बड़े नाम हारे भी
वहीं
निर्दलीय महिला उम्मीदवारों की संख्या 222 थी। चार ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों ने भी बतौर
निर्दलीय चुनाव लड़ा। चुनाव हारने वाली महिला उम्मीदवारों में आसनसोल से तृणमूल कांग्रेस
उम्मीदवार मुनमुन सेन, सिलचर से सांसद कांग्रेस की सुष्मिता देव, सुपौल से सांसद कांग्रेस
की रंजीत रंजन शामिल हैं।
26May-2019
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