बुधवार, 8 मई 2019

लोकसभा चुनाव:हिमाचल में प्रत्याशी की छवि पर मिलता है वोट!



दागियों को पसंद नहीं करते 99 फीसदी मतदाता
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश के चुनाव सुधार की दिशा में भले ही चुनाव आयोग और कुछ गैर सरकारी संगठन अपराध को राजनीति से अलग करने की कवायद में जुटा हो, लेकिन चुनावी मौसम में कोई भी सियासी दल अपराधिक छवि वाले लोगों को प्रत्याशी बनाकर चुनावी जंग में उतारने में कोई परहेज करने को तैयार नहीं है। यह परंपरा लोकसभा चुनाव में भी जारी है लेकिन हिमाचल प्रदेश के 99 फीसदी लोग ऐसे दागी उम्मीदवारों को कतई पसंद नहीं करते, बल्कि ज्यादातर लोग स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवार को वोट देने का प्रयास करते हैं।
सत्रहवीं लोकसभा चुनाव के लिए हिमाचल प्रदेश की चार सीटों के लिए अंतिम चरण में 19 मई को चुनाव होगा। चुनाव सुधार के लिए कार्य करने वाली गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने लोकसभ चुनाव से पहले देशभर में किये गये मतदाता सर्वे में हिमाचल प्रदेश के लोगों की प्राथमिकताओं, सरकार के कामकाज और सियासी दलों के साथ प्रत्याशियों के बारे में भी राय जानी। हिमाचल प्रदेश के 99 फीसदी मतदाताओं ने संसद या राज्य विधानसभा में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों को खारिज करने की बात कही। जबकि 60 फीसदी मतदाताओं ने किसी भी चुनाव में प्रत्याशी की स्वयं की छवि को महत्वपूर्ण बताया। जहां तक वोटिंग करने का सवाल है उसमें हिमाचल के 90 फीसदी मतदाताओं का मानना है कि इसके लिए उन्हें स्वयं की राय व निर्णय ज्यादा मायने रखती है, जबकि पांच फीसदी ही ऐसे मतदाता हैं, अपने परिजनों के सदस्यों की राय से वोटिंग करते हैं।
प्रलोभन दागियों के प्रति जागरूकता
राज्य की इस मतदाता सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 94 फीसदी चुनाव के दौरान दलों या प्रत्याशियों के नकदी या उपहार या अन्य प्रलोभन को पूरी तरह से गैरकानूनी व अवैध मानते हैं। जबकि 54 फीसदी लोग चुनाव में आने वाले प्रत्याशियों की आपराधिक पृष्ठभूमि के प्रति जानकारी रखते हैं। जबकि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशियों को वोट देने के बारे में 37 फीसदी लोगों की राय है कि लोग ऐसे दागियों को इसलिए भी वोट देते हैं कि उन्हें उनके आपराधिक रिकार्ड की जानकारी नहीं होती और उन्हें लगता है कि ऐसे प्रत्याशी चुनावों में बहुत ज्यादा रकम बहाते हैं। 36 फीसदी मतदाता यह भी मानते हैं कि आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों को जातिगत व धर्म के आधार पर भी वोट मिल जाते हैं।
रोजगार बड़ी प्राथमिकता
लोकसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश के 63.60 फीसदी मतदाताओं के लिए रोजगार के बेहतर अवसर पहली प्राथमिकता है, जबकि 47.02 फीसदी के लिए कृषि के लिए जल की उपलब्धता और 41.10 फीसदी के लिए बेहतर स्वस्थ्य सेवाएं हैं। जबकि शहरी मतदाताओं में 60-60 फीसदी मतदाताओं की प्राथमिकता में बेहतर रोजगार और स्कूली शिक्षा तथा 44 फीसदी की अपेक्षा भ्रष्टाचार उन्मूलन की है। ग्रामीण मतदाताओं की प्राथमिकताओं पर गौर करें तो 64 फीसदी ने बेहतर रोजगार, 53 फीसदी ने जल की उपलब्धता और 41 फीसदी ने स्वास्थ्य सेवाओं को बड़ा मुद्दा बताया।
कैसा रहा सरकार का प्रदर्शन
लोकसभा चुनाव के लिए किये गये मतदाता सर्वेक्षण में पिछले पांच साल में सरकार के प्रदर्शन को हिमाचल के मतदाताओं ने पांच में से बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 2.64, रोजगार के लिए 2.63 तथा कृषि जल उपलब्धता के लिए 2.60 की रेटिंग यानि औसत से भी कम बताया है। राज्य में ग्रामीण क्षेत्र में बेहतर सड़क के लिए 2.75, सार्वजनिक परिवहन को 2.39 की रेटिंग के अलाव शहरी क्षेत्र में बेहतर सड़कों के लिए 2.58, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 2.71, रोजगार के बेहतर अवसर के लिए 2.46, स्कूली शिक्षा को 2.48 तथा भ्रष्टाचार उन्मूलन को 2.54 की रेटिंग देकर सरकार के प्रदर्शन को औसत से कम आंका गया है। 
14May-2019

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