सुरक्षाबलों
व आम लोगों की मौतों का भी घटा आंकड़ा
15Dec-2019
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार नक्सलवाद से ग्रस्त राज्यों में ठोस रणनीतियों के जरिए रेड कॉरिडोर के दायरे
को समाप्त करने की कवायद कर रही है, जिसके सकारात्मक नतीजों का हवाला देते हुए
सरकार ने लगातार नक्सली घटनाओं में कमी होने के कारण सुरक्षा बलो और आम नागरिकों
की हो रही मौतों में कमी होने का भी दावा किया है।
केंद्रीय
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले चार साल में नक्सल प्रभावित राज्यों में
नक्सली हिंसाओं में कमी दर्ज की गई है। हालांकि वामपंथी यानि रेड कॉरिडोर के दायरे
में छत्तीसगढ़ राज्य में अभी भी नक्सली घटनाओं पर ज्यादा असर नजर नहीं आ रहा है।
मंत्रालय के अनुसार छत्तीसगढ़ समेत नौ राज्यों तक फैले रेड कॉरिडोर पर पिछले चार
सालों में नक्सली हिंसाओं और उनमें मारे गये सुरक्षाकर्मियों तथा आम नागिरकों के
आंकड़ों में कमी देखी गई है। आंकड़ो के अनुसार वर्ष 2016 में जहां 1048 घटनाओं में
65 सुरक्षा कर्मी व 213 आम नागरिक मारे गये थे तो वर्ष 2017 में 908 नक्सली
हिंसाओं में 75 सुरक्षाकर्मी और 188 आम नागिरकों की मौत हुई। जबकि वर्ष 2018 में
833 घटनाओं में 67 सुरक्षाकर्मी और 173 आम नागरिकों को मौत का शिकार होना पड़ा।
इसके अलावा मौजूदा वर्ष 2019 में 15 नवंबर तक इस रेड कॉरिडोर पर 579 नक्सली
हिंसाओं के दौरान 48 सुरक्षाकर्मी और 132 आम लोगों की मौत हुई है।
छत्तीसगढ़
में सबसे ज्यादा हिंसा
गृहमंत्रालय
के आंकड़ों पर गौर की जाए तो छत्तीसगढ़ में इस साल 15 नवंबर तक सबसे ज्यादा 231
नक्सली हिंसाओं 22 सुरक्षाकर्मी मारे गये हैं। जबकि वर्ष 2018 में 392 घटनाओं में
55, वर्ष 2017 में 373 घटनाओं में 60 और वर्ष 2016 में 395 घटनाओं में 38
सुरक्षाकर्मी मारे गये थे। इसके बाद नक्सली हिंसा के मामले में झारखंड दूसरे
पायदान पर है, जहां वर्ष 2019 में 108 नक्सली हिंसा में 8 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए,
जबकि वर्ष 2018 में इस राज्य में 205 घटनाओं में नौ, वर्ष 2017 में 251 घटनाओं में
तीन तथा वर्ष 2016 में 323 घटनाओं में नौ सुरक्षाकर्मी मारे गये थे। मध्य प्रदेश
में इन चार सालों में 23 नक्सली हिंसाएं हुई, जिनमें एक भी सुरक्षाकर्मी नहीं मारा
गया। इसी प्रकार पिछले चार सालों के दौरान ओडिशा में 86 से घटकर 59 घटनाएं, बिहार
में 129 से कम होकर 53, महाराष्ट्र में 73
से घटकर 59, तेलंगाना में वर्ष 2016 में सात के बाद 2018 में 11 के बाद इस साल फिर
सात नक्सली घटनाएं दर्ज की गई है। जबकि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य
रहे जहां इन चार सालों में एक भी नक्सली हिंसा सामने नहीं आई है।
विकास
के जरिए समाधान
गृह मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार ने वामपंथी
उग्रवाद से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति के साथ राष्ट्रीय नीति ओर कार्ययोजना को
तेजी से आगे बढ़ाया है, जिसमें सुरक्षा के उपायों के साथ विकास को तरजीह देने के
साथ नक्सलप्रभावित इलाकों में नागरिकों का मूलभूत सुविधाएं देने के लिए कई
सृजनात्मक और विकास की योजनाओं का कार्यान्वयन किया जा रहा है। सरकार विकास के
जरिए नक्सली क्षेत्र के लोगों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने तथा विकास की
योजनाओं के जरिए नक्सलवाद को समाप्त करने की नीतियों पर काम कर रही है। 15Dec-2019
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