बुधवार, 28 जनवरी 2015

‘ओबामा शो’ ने बढ़ाई भारत की शान!

भारत-अमेरिका संबन्ध का शुरू हुआ नया अध्याय
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा का भारत दौरे ने निश्चित रूप से दुनिया के सामने भारत की शान में चार चांद लगा दिये हैं, जिसमें दोनों देशों के बीच दोस्ती का एक नया अध्याय शुरू हुआ है और इसे दोनों देशो के राष्‍ट्र अध्यक्षतों ने ही नहीं स्वीकारा, बल्कि भारत व अमेरिका के विशेषज्ञ भी भारत और अमेरिका के संबंधों को नया आयाम देने का सकारात्मक संकेत दे रहे हैं।
भारत के तीन दिन के दौरे के ‘ओबामा शो’ के दौरान भारत-अमेरिका के बीच जिस तरह के समझौते और करार हुए है उससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकास एजेंडे को भी बल मिलना तय है। विशेषज्ञों की राय से सामने आ रही दिलचस्प बात तो यह है कि जिस तरह की दोनों देशों के बीच संबन्धों की एक नई शुरूआत हुई है। इस तरह की शुरूआत करने के लिए कभी कांग्रेस ने किसी भी शासनकाल में करने का प्रयास नहीं किया। जबकि गणतंत्र दिवस के बहाने भारत में मोदी सरकार ने बराक ओबामा के साथ कुछ ऐसी संधियां की है जो दोनों देशों के संबन्धों को ऐतिहासिक और नया आयाम देने में कारगर साबित होंगी। विदेश मामलों के विशेषज्ञ प्रो. कलीम बहादुर का कहना है कि अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशासनिक क्षमताओं को समझा है और मोदी की कूटनीति का ही नतीजा है कि भारत और अमेरिका नजदीक आए हैं। व्यापार,ऊर्जा, रक्षा, परमाणु, शिक्षा,जलवायु परिवर्तन और अन्य क्षेत्रों में हुए सहयोग के समझौते से बढ़कर मेक इन इंडिया को मोदी वैश्विक अमलीजामा पहनाने के लिए आगे बढ़ते दिख रहे हैं। कलीम बहादुर की माने तो बराक ओबामा के इस दौरे में खासबात तो यह रही कि मोदी ने अमेरिका के साथ मिलकर दोनों देशों के कारोबारियों को एक ऐसा मंच देकर शो किया, जिस पर दुनियाभर की नजरें टिकी थी। उनका यह भी कहना है कि ओबामा के संबोधन में भी वही धार नजर आई जिस तरह मोदी के शब्दों में स्थानीय मुद्दे छा जाते हैं। मसलन ओबामा ने अपने संबोधन में भारत के उन मुद्दों तक छू लिया, जो यहां के विकास में रोड़ा साबित हो रहे हैं, यहां तक कि धर्म और संविधान तक की बात ओबामा कहकर भारतीय राजनीति को नसीहत तक भी दे गये हैं।
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ प्रशांत दीक्षित करते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कूटनीति का लक्ष्य सिर्फ दक्षिण एशिया में नेतृत्व करना ही नहीं है, बल्कि वे अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के तहत दुनिया में चोटी पर भारत की जगह सुनिश्चित करना चाहते हैं। विदेशी निवेश आकर्षित करने और मेक इन इंडिया के जरिए भारत के युवावर्ग की बेरोजगारी की समस्या का समाधान करना भी उनका लक्ष्य है। यह तथ्य सामने भी आने लगा है जहां भारत और अमेरिका के बीच इस समय 100 अरब डॉलर का कारोबार हो रहा है, जो पिछले दस साल के मुकाबले पांच गुना कहा जा सकता है। हालां कि मोदी का लक्ष्य 2025 तक इसे दोगुना करना है। इसी कूटनीति की पृष्ठभूमि में अमेरिका को अपने दोस्ताने माहौल में नजदीक लाना भारत के लिए फायदेमंद ही होगा।
मोदी का बढ़ा कद
अमेरिका के राष्‍ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे पर जिस तरह के कार्यक्रम और बातचीत के दौर चले हैं उनसे निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छवि व कद बढ़ा है। वहीं दुनिया के नक्शे पर भारत की शान में भी बढ़ोतरी मानी जा रही है। ओबामा दौरे के विश्लेषकों की नजर में भी नरेन्द्र मोदी का एक शासक के रूप में कद बढ़ा है वह भी खासकर उस अमेरिका के लिए, जो कभी नरेन्द्र मोदी को 2005 से वीजा तक देने को तैयार नहीं था। उसी मोदी के मैजिक और कूटनीति के सामने वही अमेरिका मोदी के एक सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का प्रधानमंत्री बनने पर निरंतर भारत के नजदीक आता जा रहा है। यह भी दिगर है कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा से तीन मुलाकाते हो चुकी हैं। यह कहावत सही साबित होती दिख रही है कि मोदी की कामयाबी घरेलू लड़ाई जीतने और राजनीतिक नेतृत्व को भरोसा दिलाने में है, जो भारत-अमेरिका के निकटतम संबंधों से दुनिया के दोनों बड़े लोकतांत्रिक देशों के लिए फायदे का सौदा माना जा रहा है।
28Jan-2015

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