सोमवार, 26 सितंबर 2022

साक्षात्कार: साहित्य के बिना समाज की कल्पना नहीं: पकंज सोनी

युवा वर्ग को कविताओं को लिखने और पढ़ने का ज्ञान सृजित करने में जुटे 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: पंकज सोनी उर्फ पंकजोम प्रेम 
जन्म: 08 सितंबर 1994 
जन्म स्थान: भिवानी, हरियाणा )।
शिक्षा: एमबीए, बीए(उर्दू से अंतिम वर्ष )। 
संप्रत्ति: छात्र, दिनेश पब्लिकेशन में कार्यरत। 
-ओ.पी. पाल- 
रियाणा में सामाजिक, संस्कृति और सभ्यता को नई दिशा देने में जुटे साहित्यकारों में शामिल युवा कवि, गजलकार और लेखक पंकज सोनी उर्फ पंकजोम प्रेम अपने गीत, ग़ज़ल, मुक्तक और हास्य रचनाओं का सृजन करके समाज को सकारात्मक राह दिखा रहे हैं। साहित्य के प्रति युवा वर्ग को कविताओं को लिखने और पढ़ने का ज्ञान सृजित करने की मुहिम चलाकर ऐसा सकारात्मक और रचनात्मक कार्य कर रहे, जिसकी कल्पना पहले शायद ही कोई कर पाया हो। युवा साहित्यकार पंकजोम प्रेम ने हरिभूमि संवाददाता से हुई बातचीत में अपने साहित्यिक सफर के कई ऐसे पहलुओं को उजागर किया, जो पूरी तरह समाज को समर्पित हैं और देश का भविष्य कहलाने वाले युवाओं को साहित्य से जोड़कर उन्हें सामाजिक विचाराधारा के प्रति सजग करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। 
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रियाणा के साहित्यकार एवं युवा लेखक पंकज सोनी का जन्म छोटी काशी के नाम से पहचाने जा रहे भिवानी शहर में स्वर्णकार प्रेमकुमार सोनी के परिवार में 08 सितंबर 1994 को हुआ। उनके परिवार में दूर तक भी साहित्यिक माहौल नहीं था, लेकिन स्कूली शिक्षा के दौरान ही उन्हें दो-दो लाइन जोड़कर गजल लिखकर तुकबंदी करने का शौंक चढ़ गया। परिजनों खासतौर से पिता को उनके इस प्रकार कविता या गजल गुनगुनाने या लिखने पर खूब डांट फटकार तक पड़ी, लेकिन पंकज में तो यह कला शायद ईश्वरीय देन ही थी। पंकजोम ने बताया कि जब वह ग्यारवीं कक्षा में थे, तो हिंदी दिवस पर तुकबंदी करके उन्होंने जो गजल पढ़ी, उन्हें सराहना मिली। ऐसा प्रोत्साहन ही हर किसी का आत्मविश्वास बढ़ाने का काम करता है। तीन चार साल तक यह सिलसिला चला तो साल 2015 में उनको मंच मिलना भी शुरू हो गया। साहित्य के प्रति उनका जुनून इसी बात से देखा जा सकता है, जब वे हिसार में बैंक की कोचिंग कर रहे थे, तो वह पुस्तकालय में ज्यादा समय कविता लिखने पर दे रहे थे। उनकी रचना ‘मैने अपने अंदर का भाई मरने नहीं दिया’ सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हुई। जब से पिता ने कविता लिखने पर इनकी पीठ थपथपानी शुरू की तो उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा और निरंतर कविता और गजलों के रूप में लेखन करके साहित्य सेवा में जुटे हुए हैं। उनकी रचनाएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगी, तो साहित्य क्षेत्र में उनकी पहचान बनना स्वाभाविक ही है। यह भी दिलचस्प बात है कि उन्होंन दसवीं और बारहवी कक्षा उर्दू भाषा में उत्तीर्ण की। उर्दू भाषा के लेखन के लिए मौलाना फारुख अंजुम से सिखी और गजल को मुकम्मल करने और पंकज को निपुण करने में महत्ती भूमिका निभाई। आज जब वे एक युवा लेखक, गजलकार और कवि के रुप में निरंतर साहित्यिक मंचों पर जाने लगे हैं, तो वही परिजन उनकी साहित्यिक योग्यता से खुश हैं, जो उनकी साहित्यिक विधा से खफा रहते थे। अभी भी पंकज सोनी इग्नू से हिंदी, उर्दू और अंग्रजी भाषा से उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे है। पँकजोम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के गतिविधि आयाम राष्ट्रीय कला मंच के भिवानी में नगर संयोजक की भी भूमिका निभा रहे हैं। उनकी प्रकाशित कृतियों में हिंदी और उर्दू दोनों भाषाएं शामिल हैं। हिंदी के साथ उर्दू लिपी लिखना और पढ़ना सिखाने के लिए वे समय समय पर ऑनलाइन कक्षाओं का आयोजन भी कर रहे हैं। पँकजोम अब तक करीब 400 शायरों को ऑनलाइन उर्दू लिखना और पढ़ना सिखा चुके है। वहीं साहित्य, समाज के साथ-साथ विशेष रूप से विद्यालयों और महाविद्यालयों में काव्य कार्यशालाओं को समर्पित संस्था हमसुख़न के संस्थापक पँकजोम अब तक देशभर में 25 से ज्यादा विद्यालयों और महाविद्यालयों में बच्चों और युवाओं को कविताएं लिखना और पढ़ना सिखाने के लिए बाल कवि सम्मेलन समेत काव्य कार्यशालाओं का आयोजन कर चुके हैं, ताकि युवाओं में साहित्य के प्रति जागरूता रहे। 
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युवा साहित्यकार एवं काव्य लेखक पँकजोम जी का मानना है कि साहित्य के बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। साहित्य के क्षेत्र में हर वीर रस वास्तविकता को सामने लाकर समाज को आईना भी दिखाता है, तो नई दिशा देने के लिए समाज का सकारात्मक राह भी बनाता है। उनका मानना है कि कालीदास ने काव्य में श्रृंगार रस को प्रधान रस बताया है, लेकिन समाज इसे दूसरे रुप में देख रहा है और उसमें अश्लीलता का बोध होना समझता है। जबकि श्रृंगार रस में आत्मबोध हो सके, इसके लिए कविता से समाज को ऐसे संदेश मिलना चाहिए। आज के आधुनिक समाज में साहित्य में आई गिरावट को लेकर पँकजोम का मानना है कि साहित्य को एक ऐसी तपस्या हैं, जिसे बेहतर तौर तरीकों से पूरा करने पर अशीर्वाद लिया जा सकता है। लेकिन आज साहित्यकारों में बिना तपस्या के ही आशीवार्द लेने की होड़ लगी है, ऐसे में साहित्यक रचनाओं की गुणवत्ता में गिरावट आना स्वाभाविक ही है। हालांकि ज्यादातर साहित्यकार अपनी अलग अलग विधाओं की रचनाओं का समाज के हित में लेखन करके साहित्य सेवा करने के सिद्धांत पर कायम है, जो जल्द से जल्द प्रसिद्धि हासिल करने वालो के लिए सबक होना चाहिए। युवाओं को साहित्य के लिए प्रेरित करने के सवाल पर युवा कवि पँकजोम का कहना है कि साहित्य के पाठकों या युवाओं में इसलिए भी कमी आई है कि इंटरनेट व सोशल मीड़िया पर जो परोसा जा रहा है वह पाठकों खासतौर से युवाओं को पाश्चत्य दुष्प्रचार से जकडे हुए है। इसलिए साहित्यकारों को बेहतर लेखन करने के साथ युवाओं को किताबों से जोड़ना जरुरी है। 
पुरस्कार व सम्मान 
हरियाणा साहित्य अकादमी ने इस युवा कवि और लेखक पंकज सोनी की प्रतिभा को पहचाना और उनके गजल संग्रह ‘क्यूँ रखा राब्ता’ के लिए उन्हें वर्ष 2020 के लिए पंडित दीन दयाल उपाध्याय युवा लेखक सम्मान से सम्मानित किया है। इससे पहले वे प्रज्ञा साहित्य संस्था रोहतक के प्रज्ञा सम्मान, दावत-सुखन संस्था दिल्ली के समर्थ रचनाकार पुरस्कार, सोपान साहित्य संस्था, दिल्ली के विशिष्ट रचनाकार सम्मान, लोक संस्कृति संस्था, फरीदाबाद के लोक संस्कृति सम्मान, ओबीओ देहरादून के ओबीओ साहित्य रत्न जैसे सम्मान से नवाजे जा चुके हैं। इसके अलावा विभिन्न्न विद्यालयों द्वारा गेस्ट ऑफ ऑनर अवार्ड से सम्मानित पँकजोम को विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं और मंचों से पुरस्कृत किया जा रहा है। 
प्रकाशित पुस्तकें 
युवा साहित्यकार पँकजोम की प्रकाशित पुस्तकों में सांझा संग्रह-हिंदी ग़ज़ल के युवा चेहरे, उड़ान, गजल संग्रह क्यूँ रखा राब्ता, मुक्तक संग्रह तुम पर ख़र्च जो होना था, उर्दू संग्रह इश्क़िया काग़ज़ात सुर्खियों में हैं। वहीं उनकी बाल कविता संग्रह जब मुन्न बुक खोले, कविता संग्रह श्रद्धांजलि तुम्हारे इश्क़ को, उर्दू ग़ज़ल संग्रह नूर ग़ज़ल का प्रकाशाधीन हैं, जो जल्द पाठकों के बीच आने वाली हैं।
सम्पर्क: श्री श्याम किरयाना स्टोर, अमर नगर टिब्बा बस्ती-हनुमान ढाणी भिवानी (हरियाणा)-127021, E-mail-pintu8soni@gmail.com, मोबाईल- 07015389838 , 08950142845 
26Sep-2022 

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