सोमवार, 29 अगस्त 2022

मंडे स्पेशल: सांसद निधि खर्च में धर्मबीर सिंह व डीपी वत्स सबसे आगे

दीपेन्द्र हुड्डा व रामचन्द्र जांगडा ने खर्च नहीं की सांसद निधि 

सूबे में सांसद निधि योजना के तहत 13 क्षेत्र के 2213 कार्य करने की दरकार 

ओ.पी. पाल.रोहतक। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के विकास कार्यो के लिए सांसद निधि की धनराशि खर्च करने में लोकसभा सांसद धर्मबीर सिंह और राज्यसभा सांसद डीपी वत्स सबसे आगे हैं। जबकि लोकसभा सांसद कृष्णपाल गुर्जर और राज्यसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा और रामचन्द्र जांगड़ा सबसे फिस्सड़ी साबित हुए। फिलहाल सबे में दस लोकसभा और पांच राज्यसभा सांसदों को जारी हुई 100 करोड़ रुपये की सांसद निधि है, जिसको खर्च करने के लिए 94.20 करोड़ रुपये से ज्यादा की अनुमानित लागत की तेरह क्षेत्र की विकास योजनाओं के दो हजार से ज्यादा कार्य करने की दरकार है। पिछले कई अरसे से प्रदेश में अभी तक सांसद निधि के शतप्रतिशत उपयोग न होने से विकास कार्यो को पूरा करने के दावों पर भी सवाल खड़े होते रहे हैं। प्रदेश के लोकसभा सांसदों को जारी 67 करोड़ रुपये की सांसद निधि में अभी तक करीब 30 करोड़ रुपये यानि 44.06 फीसदी सांसद निधि खर्च करने के लिए इस्तेमाल की जा सकी है। जबकि राज्यसभा के सांसदों को जारी 33 करोड़ की सांसद निधि का 59.20 फीसदी हिस्सा खर्च किया गया है। प्रदेश से सत्रहवीं लोकसभा में निर्वाचित हुए दस सांसदों ने अपने अपने संसदीय क्षेत्रों के लिए 125 करोड़ रुपये के कार्यो की सिफारिश की है, जिसमें करनाल के सांसद संजय भाटिया ने सर्वाधिक 17 करोड़ रुपये का हक जताया है, जिसमें उन्हें दस करोड़ रुपये इस योजना के लिए जारी किये गये हैं। जबकि अन्य सभी को 12-12 करोड़ रुपये की निधि मिलनी है। इसमें से महेन्द्रगढ़ भिवानी सांसद धर्मबीर सिंह को 9.50 करोड़ रुपये की निधि जारी की है, जिसमें से उन्होंने करीब 7.30 करोड़ रुपये के कार्य कराये हैं। जबकि सोनीपत के रमेशचन्द्र कौशिक ने अभी तक जारी सात करोड़ में 3.43 करोड़, गुरुग्राम के राव इंद्रजीत ने सात में से 3.33 करोड़, हिसार के ब्रजेन्द्र सिंह ने सात में से 2.13 करोड़, कुरुक्षेत्र के नायब सिंह ने सात में से 3.96 करोड़, सिरसा की सुनीता दुग्गल ने सात में से 2.49 करोड़ रुपये की सांसद निधि खर्च की है। इसके अलावा रोहतक के अरविंद कुमार शर्मा और अंबाला के रतनलाल कटारिया को पांच-पांच करोड़ रुपये की धनराशि जारी हुई है, जिनमें से उन्होंने क्रमश: 1.10 करोड़ और 2.16 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। दूसरी ओर राज्य सभा सांसद डा. डीपी वत्स को अभी तक 17 करोड़ में से 12 करोड़ रुपये जारी किये गये, जिसमें से 7.30 करोड़ यानी 59.13 फीसदी सांसद निधि को विकास कार्यो के लिए खर्च की जा चुकी है। इसके अलावा दीपेन्द्र हुड्डा और रामचन्द्र जांगड़ा को सात करोड़ में से दो-दो करोड़ रुपये जारी किये जा चुके हैं, लेकिन अभी तक कुछ भी राशि खर्च नहीं की गई। बाकी नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसदों कृष्णलाल पंवार, कार्तिकेय शर्मा को अभी तक कोई सांसद निधि जारी नहीं हुई। जबकि इससे पहले पूर्व सांसद सुभाषचंद्रा 15 करोड़ की निधि में से 79.60 फीसदी करने अव्वल रह चुके हैं, जबकि पूर्व सांसद दुष्यंत गौतम दो करोड़ में से एक रुपया भी खर्च नहीं कर सके। 

प्रदेश में फिलहाल स्वीकृत कार्य 

सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत प्रदेश में फिलहाल 94.21 करोड़ रुपये की लागत से 13 विभिन्न सेक्टरों के 2213 कार्य स्वीकृत किये गये हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए सूबे के सांसदों के पास जारी 100 करोड़ रुपये की सांसद निधि है। इस योजना के तहत जनसुविधाओं के 739 कार्यो के लिए 38.31 करोड़ रुपये, रेलवे, सड़क और पुलों के 677 कार्यो के लिए 26.02 करोड़, पेयजल सुविधा की 122 कार्य के लिए 2.78 करोड़, शिक्षा क्षेत्र के 72 कार्यो के लिए करीब 4.73 करोड़, बिजली सुविधओं के 207 कार्यो के लिए 6.35 करोड़, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के 96 कार्यो के लिए 04 करोड़ से ज्यादा, सिंचाई सुविधाओं के 14 कार्यो के लिए करीब 94 लाख रुपये और गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोत के पांच कार्यो के लिए 10.46 लाख रुपये की मंजूरी मिली है। इसके अलावा सांसदों की सिफारिश के आधार पर प्रदेश में निकासी एवं जनस्वास्थ्य के 44 कार्यो के लिए 2.27 करोड़, खेल क्षेत्र के 133 कार्यो के लिए 3.52 करोड़, पशुधन, डेयरी और मत्स्य संबन्धित 98 कार्यो के लिए 5.30 करोड़, कृषि संबन्धी तीन कार्यो के लिए 9.14 लाख तथा शहरी विकास संबन्धी तीन कार्यो के लिए 11.3 लाख रुपये की सांसद निधि खर्च करने की स्वीकृति दी गई है। 

कोरोना काल में रहे खाली हाथ 

कोरोना के कारण साल 2020-21 के दौरान सांसद निधि निलंबित कर दी गई थी और इस धनराशि का उपयोग बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे में सुधार और कोविड-19 महामारी से निपटने में किया गया। इस दौरान सरकार ने सांसदों के वेतन में भी 30 फीसदी की कटौती की थी। इसके बाद दस नवंबर 2021 को बहाल की गई सांसद निधि योजना के तहत चालू वर्ष 2021-22 में दो-दो करोड़ की राशि का आंवटन करने का निर्णय लिया गया। जबकि साल 2022-23 के लिए हर साल पांच पांच करोड़ रुपये इसके लिए स्वीकृत किये गये, जो साल में 2.5 करोड़ रुपये की दर से दो किस्तों में जारी की जाएगी। इसके लिए साल 2025-26 तक प्रत्येक सांसद को पांच करोड़ रुपये प्रति वर्ष दिये जाने की मंजूरी मिल चुकी है। 

  सौलहवीं लोकसभा का पूरा पैसा खर्च नहीं 

इससे पहले सौलहवीं लोकसभा में हरियाणा की दस संसदीय सीटों से निर्वाचित सांसदों ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत मिले 25-25 करोड़ रुपये की राशि को पूरा खर्च नहीं कर पाए थे। यानी हर साल सांसद निधि के पांच करोड़ रुपये की धनराशि को किसी भी साल पूरा खर्च नहीं किया। सरकारी आंकड़े गवाह हैं कि अपने पांच साल में हरियाणा के सांसद निधि के रूप में दस सांसदों को आवंटित राशि 250 करोड़ रुपये में स्वीकृत 238 करोड़ में से केवल 201 करोड़ रुपये खर्च हो पाई और 37.83 करोड़ रुपये कहीं खर्च नहीं हो सकी। इस योजना में लोकसभा सदस्य राव इंद्रजीत 25 करोड़ में से 5.10 करोड़, चरणजीत सिंह रौड़ी की 25 करोड़ में 4.96 करोड़, धर्मबीर बालेराम की 25 करोड़ में 2.28 करोड़, रमेशचंद्र कौशिक की 25 करोड़ में 3.76 करोड़ की सांसद निधि खर्च नहीं हुई। जबकि दीपेंद्र सिंह हुड्डा की 22.50 करोड़ में 3.70 करोड़, दुष्यंत चौटाला की 22.50 करोड़ में 3.56 करोड़, कृष्णपाल की 22.50 करोड़ में 2.48 करोड़, रनतलाल कटारिया की 22.50 करोड़ में 5.50 करोड़, अश्वनी कुमार की 20 करोड़ में 4.50 करोड़ रुपये की सांसद निधि खर्च नहीं की गई। 

इन सेक्टरों के लिए मिला था धन 

सौलहवीं लोकसभा के दौरान हरियाणा के सांसदों को आवंटित सांसद निधि की राशि को खेती में 9 लाख रुपये, पीने के पानी के लिए 2.30 करोड़, शिक्षा में 4.30 करोड़, साफ सफाई और हेल्थ में करीब 2 करोड़, खेल में 2.20 करोड़, शहरी विकास में 11 लाख रुपये, अन्य पब्लिक फैसिलिटी के लिए 33 करोड़, नॉन कन्वेंशनल ऊर्जा सोर्सेज में 1.4 लाख, सिंचाई में 93 लाख, रेलवे, सड़क इत्यादि के लिए करीब 22 करोड़ रुपये खर्च किये जाने थे। चौदहवीं लोकसभा में 260 करोड़ रुपए रिलीज हुए और 263 करोड़ रुपए खर्च हुए. ब्याज लगने की वजह से ये पैसे बैंक में बढ़ जाते हैं और खर्चे के लिए ज्यादा मिल जाता है। जबकि अगर पंद्रहवीं लोकसभा की बात करें तो 190 करोड़ रुपए रिलीज हुए थे और 184 करोड़ रुपए लगभग खर्च हुए थे। 

  क्या है एमपीलैड बजट? 

सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड) के तहत प्रत्येक सांसद को अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास के कामों को करवाने का दायित्व सौंपा गया है। इसके अंतर्गत प्रत्येक सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्र में 5 करोड़ प्रति वर्ष के कार्यों की लागत राशि का सुझाव भेज सकता है। एमपीलैड की शुरुआत नरसिंह राव शासन के दौरान 1993-1994 में की गई थी। उस समय सांसदों को अपने क्षेत्र के विकास के लिए एक करोड़ रुपये सालाना जारी किए जाते थे, जिसे कुछ साल बाद बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये और फिर 2011-12 में मनमोहन सिंह की सरकार में पांच करोड़ रुपये प्रतिवर्ष कर दिया गया। इस योजना को लागू करने का उद्देश्य था कि स्थानीय लोगों को जरूरी सुविधाएं प्रदान करने के लिए सांसद विकास के कार्यों जैसे पानी, शिक्षा, स्वास्थय, स्वच्छता और सड़कों का काम करने के लिए सिफारिशें कर सकें। इसके अलावा बाढ़, भूकंप और अकाल जैसी प्राकृतिक आपादाओं से पीड़ित क्षेत्रों में काम करने के लिए भी सिफारिशें की जा सकती है। 

 सांसदों के खाते में नहीं जाता पैसा 

इस योजना से उद्देश्य और दिशानिर्देशों से स्पष्ट है कि सांसद अपने क्षेत्र के विकास से जुड़े कार्यों पीने के पानी, शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता के साथ सड़कों के निर्माण की सिफारिश कर सकते हैं। इसका बिल्कुल यह मतलब नहीं हुआ कि यह पैसा सांसदों के खाते में जाता है और वह अपने हिसाब से खर्च करते हैं। सरकार के स्तर पर उनकी सिफारिश स्वीकार की जाती है और सरकार प्रशासनिक अमला उसे क्रियान्वित करता है। दिशानिर्देशों में संशोधन सतत प्रक्रिया 

समय–समय पर इस योजना के दिशा–निर्देशों में संशोधन भी किए जाते रहे हैं। हालांकि, इस योजना के जरिए सांसदों पर घोटालों के आरोप लगाकर इस योजना को बंद करने की मांगें भी उठती रहती हैं। एमपीलैड के सरकारी वेबसाइट पर मासिक प्रगति रिपोर्ट और अपने कामों का ब्यौ रा अपलोड करने के मामले में हरियाणा, छत्तीीसगढ़, मिजोरम, पंजाब, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, गुजरात और ओडिशा का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा। वहीं प्रतिशत के हिसाब से एमपीलैड योजना को सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने के मामले में लक्ष्यस द्वीप, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, केरल, महाराष्ट्रथ और तमिलनाडु सबसे आगे रहे। 

  29Aug-2022

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