शनिवार, 6 अगस्त 2022

आयुर्वेद चिकित्सा में दुनिया को रोगमुक्त करने की क्षमता: रामदेव

मूल जड़ों से जुड़े रहना बेहद जरुरी: बालकृष्ण 
ओ.पी. पाल.हरिद्वार। 
 योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि भारत को सनातन और परंपरागत वैदिक परंपरा विरासत में मिली है, जिसमें प्राचीनकाल कीआयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से कैंसर से ही नहीं बल्कि सभी रोगो से दुनिया को निरोगी बनाने का काम किया जा रहा है। यही नहीं देश में आंतरिक, राजनैतिक, सेक्युलर, बौद्धिक और मानिसक आतंकवाद की जड़ों को योग और व्यायाम से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाध्पिति स्वामी रामदेव जी ने यह बात पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति पर आयोजित चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद विज्ञान सम्मेलन के तीसरे दिन कही। उन्होने वैज्ञानिकों एवं प्रतिभागियों काे संबोधित करते हुए कहा कि आयुर्वेद सबसे प्राचीन विज्ञान है। ऋषियों द्वारा प्रतिपादित इस ज्ञान की उपेक्षा करना तथा इसे कमतर आंकना अज्ञानता है। उन्होने कहा कि इंसान के दो जन्म होते हैं एक जब वह मां की कोख से लेता है और दूसरा जन्म आयुर्वेद से मिलता है। उन्होने कहा कि पतंजलि ने साक्ष्य आधरित अनुसंधन को दुनिया के प्रमुख शोध् पत्रिका में प्रकाशित करवाकर इसे दूर करने का प्रयास किया है। उन्होंने आयुर्वेद को एंटी.एजिंगए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने तथा शुद्धिकरण हेतु सर्वाधिक उपयोगी पद्धति बताते हुए कहा कि आधुनिक चिकित्सा वैज्ञानिकों के प्रयास की आयुर्वेद को आगे लाने के लिए सराहना की एवं चिकित्सकों को देवदूत की संज्ञा दी। उन्होंने जीवन में अविचलित रहने के लिए हमेशा अपनी संस्कृति के साथ जुडे़ रहने की सलाह दी। योगगुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि ने छोटे छोटे उपाय करके आयुर्वेद को नया आयाम देने का काम किया है। ऋषि मुनियों कह इस चिकित्सा पद्धति के प्रति सकारात्मक सोच और विचार होने चाहिए। आयुर्वेद से ही पतंजलि ने हजारो ऐसे डायबिटिज के रोगियों को ठीक करके उस धारण को खत्म किया है कि ऐसे रोगी जिंदगी भर दवाई खाते हैं। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पूरा विश्व आज भारत की ओर देख रहा है, जहां आयुर्वेद पर बड़े पैमाने पर शोध चल रहा है। हमारी वैदिक सनातनी परंपरा को सरकार ने भी स्वीकार किया और अलग से आयुष मंत्रालय बनाया। इसलिए हमें संस्कारों के साथ अपनी मूल जड़ो से जुडे रहने की जरुरत है। 
सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना 
सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रुप में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने सर्वप्रथम आचार्य बालकृष्ण को जीवन के 50 वसन्त पूर्ण करने पर हार्दिक बधई दी एवं पतंजलि में विराट स्तर पर चल रहे आयुर्वेदअनुसंधन कार्यों की सराहना की। उपस्थित प्रतिभागियों को उन्होंने आयुष मंत्रालय एवं पतंजलि योगपीठ द्वारा यहां एक सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना के बारे में भी जानकारी दी। हाल ही में किये गये एक शोध निष्कर्ष की जानकारी देते हुए बताया कि भारत में कोरोना काल के दौरान 89 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने अपनी स्वास्थ्य रक्षा के लिए आयुष की विभिन्न विधओं का प्रयोग किया। एम्स भोपाल के अध्यक्ष प्रोण् वाई. के. गुप्ता जी ने हेल्थ केयर की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पतंजलि में अनुसंधन पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करेगा। एम्स ऋषकेश के निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने बताया कि साक्ष्यआधरित चिकित्सा के क्षेत्र में पतंजलि ने एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेन्शन एण्ड रिसर्च आईसीएमआर की निदेशक प्रो. शालिनी सिंह ने कैंसर नियंत्राण हेतु समग्र उपागम की चर्चा करते हुए बताया कि कैंसर के उत्पन्न होने में नौ प्रतिशत अहितकारी भोजन का योगदान होता है। इसी श्रृखला में एम्स दिल्ली के प्रो. के.के.दीपक ने योग व ध्यान का मस्तिष्किीय तरंगों पर पड़ने वाले प्रभावों को साझा किया। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. शेखर कश्यप ने कुछ केस स्टडी के आधर पर अपने अनुभव साझा किये एवं गीता का उदाहरण देते हुए युक्त आहार.विहार लेने की सलाह दी। ड्रग डिस्कवरी डिविजन पतंजलि अनुसंधन संस्थान के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.अनुराग वाष्र्णेय ने कोविड.19 से सम्बन्ध्ति अनुसंधन पर विस्तार से प्रकाश डाला। हर्बल रिसर्च डिविजन के प्रमुख डा. वेदप्रिया जी ने प्रतिभागियों को बताया कि विश्व भेषज संहिता का निर्माण आचार्य बालकृष्ण के निर्देशन में सात सौ वैज्ञानिकों के समूह द्वारा किया गया एक बड़ा प्रयास है, जिसकी पूरी दुनिया ऋणी रहेगी। इस संहिता में 50 हजार मेडिशनल प्लान्ट का वर्णन किया गया है। पतंजलि अनुसंधन के डाॅ. ऋषभदेव ने लिवर सम्बन्ध्ति बीमारियों के निदान में पतंजलि द्वारा निर्मित दिव्य सर्वकल्प क्वाथ एवं लिवोग्रिट को बहुत उपयोगी बताया। 
आज रामदेव के हजारों अनुयायी करेंगे रक्तदान 
आचार्य बालकृष्ण के 50वें जन्मदिन के मौके पर कल गुरुवार को स्वामी रामदेव के हजारों अनुयायी रक्तदान करेंगे। वहीं अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद विज्ञान सम्मsलन मे विशेष कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के साथ कई मंत्री शिरकत करेंगे। इस मौके पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आचार्य बालकृष्ण द्वारा रचित 80 पुस्तकों के लिखित ग्रंथ वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया का लोकार्पण भी किया जाएगा। 
योगायु रिसर्च का विमोचन 
इस मौके पर आयुर्वेद पर एक महत्वूपर्ण शोध पत्रिका योगायु के प्रथम अंक का विमोचन करते हुए उन्होंने वैज्ञानिकों के अखण्ड.प्रचण्ड पुरुषार्थ से तैयार किये गये विश्व.भेषज संहिता के 51 खण्ड सहित कुल 80 अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के ग्रन्थों की संक्षिप्त जानकारी प्रदान की। 
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भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन 
पतंजलि अनुसंधन संस्थान एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयास से चल रहे अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाध्पिति स्वामी रामदेव घोषणा करते हुए कहा की जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब देश के प्रधांनमत्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक बहुत बडा ऐतिहासिक कार्य करते हुए आज भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन कर दिया है। कि उन्हाेंने कहा 1835 मे जो मैकाले पाप करके गया था उसको साफ करने का कार्य पंतजलि भारतीय शिक्षा बोर्ड के माघ्यम से करने जा रहा है। अब भारत मे भारत के बच्चो का मानस भारतीयता के अनुसार तैयार किया जायेगा। इस पुण्य कार्य के लिये प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी जी और गृहमंत्री अमित शाह के साथ केद्रीय शिक्षा मंत्री धमेन्द्र प्रधान, उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिह रावत जी का अभार व्यक्त किया।
04Aug-2022

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