सोमवार, 29 अगस्त 2022

साक्षात्कार: सामाजिक मार्गदर्शक के रूप में साहित्य सबसे आगे: अंजु दुआ

लेख, कविता, समीक्षा, कहानी, लघुकथा, व्यंग्य आदि पर तेज की कलम की धार 
व्यक्तिगत परिचय 
नाम: डॉ. अंजु दुआ जैमिनी 
जन्म: 8 जून 1969 
जन्म स्थान: सोनीपत (हरियाणा) 
शिक्षा: पीएचडी (हिंदी), एमए (हिंदी), (पत्रकारिता), (मानवाधिकार) बी.कॉम, एम.ए. (हिन्दी जनसंचार) और स्नातकोत्तर-पाठ्यक्रम (कम्प्यूटर, मानवाधिकार) किया और संप्रति पी-एच.डी. के लिए शोधरत हैं। 
संप्रत्ति: पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, आयकर विभाग, अध्यक्ष, नई दिशाएं हेल्पलाइन 
--ओ.पी. पाल 
साहित्य के क्षेत्र में साहित्यकार, लेखक, कवि अलग अलग विधाओं के जरिए सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दे को लेकर अपनी रचना संसार का विस्तार करते आ रहे हैं। ऐसे ही साहित्कारों में शुमार महिला साहित्यकार एवं कवित्री डॉ. अंजु दुआ जैमिनी एक ऐसी महिला साहित्यकार, लेखिका व कवयित्री हैं, जो समाजिक विसंगतियों को दूर करने के मकसद से साहित्य सृजन में जुटी हैँ। खासतौर से उनकी अनावरत चल रही कलम स्त्री संघर्ष के साथ ही वंचित वर्ग, शोषित पुरुष वर्ग पर भी समाज को नया आयाम देने वाली रचनाओं से भी सराबोर है। जबकि अध्यात्म, देशप्रेम, प्रेम, मनोविज्ञान पर भी उनकी रचनाएं समाज की विचारधारओं को सकारात्मकता का अमृत देने से कम नहीं है। आयकर विभाग में प्रशासनिक अधिकारी रही डॉ. अंजु दुआ जैमिनी ने हरिभूमि संवाददाता के साथ हुई बातचीत के दौरान अपने साहित्यिक सफर को लेकर कई ऐसे अनुछुए पहलुओं को उजाकर किये, जिसमें वास्तव में साहित्य सृजन किसी तलवार की धार पर चलने से कम नहीं है। 
रियाणा के सोनीपत जिले में 8 जून 1969 को एक व्यापारी परिवार में जन्मी डॉ. अंजु दुआ जैमिनी को पिता मनुदेव और माता राजकुमारी के मार्गदर्शन में बहुत कुछ सीखने को मिला। वहीं जाने-माने मरहूम साहित्यकार डॉक्टर बेताब अलीपुरी से प्रभावित भांजी अंजु का साहित्य के क्षेत्र में रुझान हुआ। जब यही वजह रही कि जब वह चौदह वर्ष की थी, तो उनकी रुचि कविता लिखने की ओर बढ़ी। इसी दौरान उनकी प्रथम कविता 'आगमन की कल्पना' और प्रथम कहानी 'रिसते पाषाण' थी। यह कहानी तीन वर्ष पूर्व 'माधुरी' पत्रिका में भी प्रकाशित हुई। अपने परिवार के सहयोग से ही वे समाज के लिए कुछ कर पा रही हैं। हालांकि तो उन्हें धर्मवीर भारती, मुंशी प्रेम चंद तथा अज्ञेय जैसे बहुत से महान साहित्यकारों काफी कुछ सीखने को मिला है। विवाह के बाद ससुराल फरीदाबाद पहुंची अंजु दुआ को साहित्य सृजन के लिए पति संजय दुआ के प्रोत्साहन से भी बहुत बल मिला। मसलन फरीदाबाद में अपने परिवार की जिम्मेदारियां निभाने के साथ अंजु साहित्य सेवा में लगातार जुटी हुई हैं। अंजु दुआ का कहना है कि साहित्य सृजन की राहों में पग पग पर बाधाएं आना स्वाभाविक है और संघर्ष के बाद पात्रों को जीना और उनकी पीड़ा अपने भीतर उतारने के बाद ही किसी रचना का जन्म होता है। साहित्य सृजन के साथ सामाजिक गतिविधियों में भी आगे रहकर महिलाओं को शिक्षा के महत्व से अवगत करा रही हैं। अंजु दुआ ‘नई दिशाएं हेल्पलाइन’ की संस्थापक एवं अध्यक्ष के साथ ही ‘उर्दू दोस्त’ की महासचिव और ‘पहचान नारी अभिव्यक्ति मंच’ की संस्थापक एवं उपाध्यक्ष भी हैं। उनके साहित्य पर एमफिल एवं पीएचडी छात्रों द्वारा शोधकार्य भी किये हैं। 
साहित्य सदा से मार्गदर्शक के रूप में पंक्ति में सबसे आगे खड़ा था और आज भी खड़ा है। आज के इस आधुनिक युग में बेहिसाब साहित्य सृजन हो रहा है। साहित्य के पाठकों में कमी का कारण लागों का साहित्येतर मनोरंजन के साधनों की ओर आकर्षित होना है। मोबाइल क्रांति के कारण युवा पीढ़ी के पास आज कई विकल्प हैं, जिनमें वह स्वयं को डुबोए रखते हैं और आज युवा साहित्य सृजन की ओर कम उन्मुख हैं। नतीजन समाज का नैतिक पतन हो रहा है और ऐसे में इंसानियत को बचाने की क्षमता साहित्य में ही है। युवाओं में तनाव, अवसाद, हिंसा, लालच, द्वेष के रूप में विकसित होती विकृत मानसिकता के बढ़ते कदमों को रोकने की दिशा में उन्हें साहित्य से जोड़ना जरुरी है। युवाओं के लिए प्रत्येक स्कूल में प्रति सप्ताह लाइब्रेरी पीरियड का होना अनिवार्य करना होगा और हिंदी साहित्य की पुस्तकें पुस्तकालय में होनी चाहिए। कॉलेज में भी समय समय पर कार्यशालाएँ आयोजित करके हिंदी साहित्य के विषय में चर्चा होनी चाहिए। खासतौर से हिंदी के समकालीन लेखकों की कृतियों का पढा जाना जरूरी है। दूसरी ओर लेखन में गिरावट के बावजूद कुछ अच्छे साहित्यकार आज भी सद्साहित्य का सृजन करने में जुटे हैं। सद्साहित्य सदा से अनुकरणीय है और समाज के लिए स्वस्थ वातावरण के निर्माण में समर्थ है। जरूरत है कि साहित्यकारों को उचित सम्मान दिया जाए आखिर वे ध्रुव तारे के समान समाज को रोशनी देते हैं। 
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प्रकाशित पुस्तकें 
प्रसिद्ध महिला साहित्यकार एवं प्रख्यात लेखिका डॉ अंजु दुआ जैमिनी ने कविता, कहानी, लघुकथा और व्यंग्य के साथ समीक्षा के लिए अपनी कलम चलाते हुए अब तक 29 पुस्तकें लिखी है। इनके प्रकाशन के अलावा प्रकाशित पुस्तकों में पांच सम्पादित पुस्तकें भी हैं। उनके आठ कहानी संग्रह में सीली दीवार, इस द्वार से उस द्वार, सुलगती जिंदगी के धुएँ, क्या गुनाह किया, कंक्रीट की फसल, ‘कस्तूरी गंध’ और प्रेम संबंधों की कहानिया डूबते सूरज से सम्मान के अलावा काव्यसंग्रह में सदियों तक शायद, दर्द की स्याही, अंजुरी भर-भर नामक पुस्तकें सुर्खियों में हैँ। वहीं बालकाव्य संग्रह में मिट्टू की मिट्ठी, स्त्री-विमर्श में ‘हक गढ़ती औरत’ व ‘मोर्चे पर स्त्री’। इसके अतिरिक्त प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कविता, समीक्षा, कहानी, लघुकथा, व्यंग्य आदि लिखने पर उनकी कलम की धार तेज है। स्त्री निबंध संग्रह भी खासा पसंद किया है। इसी का दूसरा हिस्सा हक गढ़ती औरत के माध्यम से भी अंजु ने समाज को दिशा दी है। अंजु ने ‘दोस्त’ और ‘पहचान’ जैसी पत्रिकाओं का संपादन संभाला हुआ है। डॉ. अंजु दुआ जैमिनी का हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रह ‘हैंगओवर, कटिंग-चाय का’ जीवन के विभिन्न पहलुओं का हैंगओवर दर्शाता है।
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पुरस्कार/सम्मान 
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा डा. अंजु दुआ जैमिनी को वर्ष 2021 के लिए श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान से पुरस्कृत किया गया है। इससे पहले वे भारत सरकार का राष्ट्रीय भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार, हरियाणा साहित्य अकादमी से दो पुस्तकें 'मोर्चे पर स्त्री' (निबंध), कंक्रीट की फसल (कहानी संग्रह) पुरस्कृत हो चुकी हैं। यही नहीं उन्हें हरियाणा उर्दू अकादमी का कृति सम्मान और मुंशी गुमानी लाल सम्मान, साहित्यकार संसद समस्तीपुर द्वारा यशपाल स्मृति राष्ट्रीय शिखर सम्मान, अंबिका प्रसाद दिव्य अलंकरण सम्मान, सरस्वती सम्मान, राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान, भारती रत्न, साहित्यरत्न सम्मान, अमृता प्रीतम सम्मान; साहित्यांचल भारतीरत्न, महादेवी वर्मा सम्मान एवं अंतर्राष्ट्रीय कवि शिरोमणि सम्मान, राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान, शब्द-माधुरी और शब्द-भारती सम्मान मिला है। पिछले दिनों अम्बाला में लाइफ चैंजर्स अवार्ड, ऊंची उड़ान द्वारा वुमन अचीवर्स एक्सीलेंस अवार्ड भी मिला। जबकि जैमिनी अकादमी द्वारा सुषमा स्वराज स्मृति सम्मान से नवाजा गया। इंग्लैड में भी वे पुरस्कार हासिल कर चुकी हैं। इसके अलावा दर्जनों अन्य संस्थाओं से उन्हें सम्मानित किया गया है। अंजु दुआ का नाम 21वीं सदी की चुनिंदा 111 महिलाओं में भी शामिल है। 
संपर्क: 839 सेक्टर-21 सी. पार्ट-2 फरीदाबाद-121001 (हरियाणा) 
29Aug-2022

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