शनिवार, 6 अगस्त 2022

तीन दशक के भीतर पूरे विश्व में होगी जैविक खेती: स्वामी रामदेव

अब जल्द होगा दुनिया की मेडिसन साइंस का शीर्षासन पतंजलि में शुरु हुआ पारंपरिक भारतीय चिकित्सा के आधुनिकीकरण पर मंथन 
ओ.पी. पाल.हरिद्वार। योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि पतंजलि में कृषि के क्षेत्र में जिस प्रकार का अनुसंधान हो रहा है, उसके बाद आने वाले 25-30 साल में भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व जैविक खेती की तरफ लौटेगी। वहीं उन्होंने सभी रागों का समाधान आयुर्वेद में होने का दावा करते हुए कहा कि अब वह दिन भी दूर नहीं जब मेडिसन साइंस का शीर्षासन होने वाला है। यह बात उन्होंने यहां पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में पारंपरिक भारतीय चिकित्सा के आधुनिकीकरण विषय पर आयोजित चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कही। उन्होने कहा कि जैविक खेती आज वैश्विक मांग बनती जा रही है। उर्वरकों और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से धरती कुपोषित होगी तो इंसान का कुपोषित और विभिन्न बिमारियों से ग्रस्त होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि धरती की उर्वरता बनाए रखने और उसे कुपोषण से बचाने के लिए पतंजलि में जैविक खेती को लेकर शोध किए जा रहे हैं। यहां 300 से ज्यादा तकनीकी वैज्ञानिक और विशेषज्ञ सेवा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले 25-30 सालों में पूरी दुनिया जैविक खेती को अपनाएगी। उन्होंने कहा कि पतंजलि में केवल योग और दवाई या इलाज ही नहीं होता, बल्कि यहां शिक्षा चिकित्सा और मानव कल्याण तथा प्रकृति को जीवंत करने पर पर भी बड़े पैमाने पर काम हो रहा है, जिससे भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया विकृति से प्रकृति, संस्कृति और सनातन की ओर लौटेगी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में पूरा विश्व भारत के पीछे चलने में गौरव महसूस करेगा। बाबा रामदेव ने कहा कि दो-तीन बीमारियों को छोड़कर धरती के सभी रोगों का इलाज आयुर्वेद में है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में सबसे ज्यादा आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण पतंजलि में हो रहा है और यही पतंजलि सनातन संस्कृति का उद्घोष है। उन्होंने कहा कि पतंजलि में 3,000 मरीज हमेशा भर्ती रहते हैं। यह संख्या एम्स से दो गुना से ज्यादा है। पतंजलि में लीवर के अब तक हजारों मरीज ठीक हुए हैं। हमारी आगे की योजना लीवर फेल्योर वाले रोगियों को ठीक करने की है। उन्होंने कहा कि इसी गति से आयुर्वेद आगे बढ़ता रहा तो आने वाले दिनों में एलोपैथी के हिस्से में केवल सर्जरी बच जाएगी। योग गुरू ने इस बात पर नाराजगी जताई कि एलोपैथी में शरीर के एक अंग का ही इलाज होता है, जिसका दुष्प्रभाव दूसरे अंगों पर पड़ता है, जबकि आयुर्वेद में ऐसा नहीं है। कार्यक्रम के दौरान बाबा रामदेव ने कहा कि योग और आयुर्वेद असाध्य बीमारी के इलाज में कारगर है। मार्डन मेडिकल साइंस शैशव काल में है। इसका शीर्षासन होने वाला है। आज दुनिया में सबसे ज्यादा आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण पतंजलि में हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमने जमीन पर काम किया है तभी मुकाम पाया है। 
हृदय रोगियों को निशुल्क ईलाज की योजना 
रामदेव ने बताया कि पतंजलि की आयुवेद पर चल रहे शौध के तहत हृदय और लीवर रोगियों को आने वाले समय में निशुल्क ठीक करने की योजना है। उन्होनेआचार्य बालकृष्ण के आयुवेद पर किये जा रहे काम के बारे में कहा कि जो हजारों लाखों लोग जीवन भर कार्य नहीं कर पाये हैं, वह कार्य आचार्य बालकृष्ण ने अपने जीवन की अर्द्ध यात्रा में ही कर दिखाया है। आज दुनिया में सबसे ज्यादा आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण पतंजलि में हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमने जमीन पर काम किया है तभी मुकाम पाया है। 
हजारों किसानों को प्रशिक्षण 
पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि में जैविक खेती को लेकर 40 हजार से ज्यादा किसानों ने प्रशिक्षण लिया है और हजारों किसान जैविक खेती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 18 राज्यों में पतंजलि की मदद से जैविक खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षित किया है। इससे किसानों की कृषि लागत कम हुई है और मुनाफा बढ़ा है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देना होगा। आचार्य ने कहा कि पतंजलि का नया स्वरूप नव हरित क्रांति है। 
वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया का विमोचन 
सम्मेलन में आचार्य बालकृष्ण द्वारा लिखित वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया का विमोचन हुआ। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत बालकृष्ण द्वारा रचित 80 पुस्तकों का एक अगस्त से 3 अगस्त के बीच विमोचन होगा। 4 अगस्त को आचार्य के 50वें जन्मदिवस पर सभी पुस्तकों का लोकार्पण एक साथ होगा। इस मौके पर नीति आयोग के सदस्य रमेश चन्द्रा, प्रो महावीर अग्रवाल, कृषि विशेषज्ञ देवेन्द्र शर्मा, प्रो ए के भटनागर आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। 
02Aug-2022

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