शनिवार, 6 अगस्त 2022

उत्तराखंड में जल्द शुरु होगा नेचुरोपैथी डाक्टरों का पंजीकरण

देशभर में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को मिलेगा 
बढ़ावा 
जड़ी बूटी दिवस के रुप में मना पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण का जन्मिदवस 
ओ.पी. पाल.हरिद्वार। 
 उत्तराखंड में अब प्राकृतिक और आयुर्वेद चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने नेचुरोपैथी डाक्टरों के पंजीकरण करने का ऐलान किया है। इसके लिए पतंजलि के सहयोग से प्रदेश में नेचुरोपैथी खाेले जाएंगे। यह घोषणा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पतंजलि में पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति पर चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद विज्ञान सम्मेलन के समापन समारोह में की है। पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति पर आयोजित चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद विज्ञान सम्मेलन के तहत गुरुवार को पतंजलि योगपीठ फेज 2 में पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण के 50वें जन्मदिन को जड़ी-बूटी दिवस के रूप में मनाया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि उनकी सरकार ने राज्य में नेचुरोपैथी यानी प्राकृतिक चिकित्सा के डॉक्टरों का पंजीकरण करने का निर्णय लिया है। उन्होंने पतंजलि से उम्मीद की है वह उत्तराखंड में विश्व स्तरीय नेचुरोपैथी अस्पताल खोलने में सरकार की मदद करेगा। उन्होंने कहा कि स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और बीमार व्यक्ति को रोग मुक्त करना आयुर्वेद का मूल उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद महज एक चिकित्सा पद्धति ही नहीं,है बल्कि यह भरतीय संस्कृति में एक समग्र मानव दर्शन के रूप में वर्णित किया जा सकता है। भारतीय संस्कृति में यह एक ऐसी विरासत है, जिसके संपूर्ण विश्व का कल्याण सुनिश्चित किया जा सकता है। 
कोरोना काल में आयुर्वेद कारगर 
कोरोना काल में आयुर्वेद के सिद्धांतों के तहत भारत की इस प्राचीन चिकित्सा पद्धति को दुनिया ने किस प्रकार से स्वीकार किया है, यह सर्वविदित है। आयुर्वेद जितना प्राचीन है, उतना ही वैज्ञानिक भी है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद जीवन का एक समग्र विज्ञान है और आज दुनिया भर में इसकी स्वीकार्यता बढ़ने लगी है। धामी ने कहा कि आयुर्वेद केवल किसी रोगी के उपचार तक सीमित नहीं, बल्कि भारतीय दर्शन में इसे जीवन के मूल ज्ञान के रूप में स्वीकारा जाता है। इसलिए इसे पंचम वेद की संज्ञा भी दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यही कारण है कि इसका वर्चस्व दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। उन्होने पिछले दिनों एक वैश्विक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आयुर्वेद के महत्व पर दिये कथन का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि प्लांट से लेकर आप की प्लेट तक शारीरिक मजबूती से लेकर मानसिक कल्याण तक आयुर्वेद अत्यधिक प्रभावी है। 
जड़ी-बूटी की खेती को प्रोत्साहन 
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से ही आज आयुर्वेद की ज्ञान संपदा को एक नई ऊर्जा और गति मिल रही है। इसी कारण आज उत्तराखंड समेत देश में भारत सरकार द्वारा 75 हजार हेक्टेयर भूमि पर जड़ी-बूटी की खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। पतंजलि में आयुर्वेद को लेकर हो रहे अनंसंधान के साथ ही उत्तराखंड में जड़ी-बूटी के व्यावसायिक उत्पादन बढ़ाने प्रयास हो रहे हैं। सरकार का प्रयास है कि उत्तराखंड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग और आयुर्वेद के सबसे बड़े केंद्र के रूप में विकसित किया जाए।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आचार्य बालकृष्ण के जन्म उत्सव पर नेचुरोपैथी डाक्टरों के पंजीकरण की घोषणा की। कहा कि वह उम्मीद करते हैं कि पतंजलि उत्तराखंड में विश्वस्तरीय नेचुरोपैथी अस्पताल खोलने में सरकार की मदद करे। उन्होंने कहा पतंजलि में जैविक खेती और आयुर्वेद के क्षेत्र में अनुंसंधान करके जिस प्रकार से आचार्य बालकृष्ण ने जडी बूटियों के औषधीय गुणों की पहचान करके ग्रंथ लिखे हैं उनके इस योगदान को युगो तक याद रखा जाएगा। पतंजलि ने साक्ष्य के साथ आयुर्वेद को विश्व कल्याण के लिए प्रमाणित किया है। 
आयुर्वेद लिखेगा अलग इतिहास 
पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण को जन्मदिन की बधाई देते हुए उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कि उन्होंने 50 हजार जड़ी-बूटियों को नाम देकर वनस्पति को जो सम्मान दिया है वो काम दुनिया में आजतक कोई नहीं कर पाया। उनके नाम को हमेशा इतिहास में याद रखा जाएगा। वहीं औषधीय जड़ी बूटियों के अनुसंधान उनका 75 वैल्यूम में मिश्रण की सुगंध हजारों साल तक मिलती रहेगी। यही नहीं भारत की संस्कृति, सभ्यता, वैदिक ज्ञान, आयुर्वेदिक और योग को दुनिया में शीर्षता मिलेगी। एक तरह से पतंजलि से अवतरित इन क्षेत्रों का इतिहास लिखेगी और विश्व गुरु, आत्मनिर्भर भारत और भारतीय संस्कृति के भारत सेपतंजलि पूरे विश्व को बदलने का काम करेगा। इसका कारण साफ है कि भारत की पहचान पारांपरिक संपदाओं के कारण है, जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता। 
औषधियों का पेंटेट कराने की तैयारी 
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर 75 अनुसंधानात्मक पुस्तकों के माध्यम से लोगों की सेवा, देश और दुनिया के लोगों को निरोगी बनाने के लिए भारत-रोगमुक्त विश्व मिशन के साथ अनुसंधान के द्वारा भारतीय संस्कृति परम्परा को स्थापित करने का महति प्रयास है। आचार्य ने कहा कि वर्ल्ड हर्बल इन्साइक्लोपीडिया के कुल 109 वॉल्यूम तैयार किए जाने हैं जिनमें पूरी दुनिया की जड़ी-बूटी आश्रित चिकित्सा पद्धति में औषधी के रूप में पूरी दुनिया में प्रयोग होने वाले पेड़-पौधों को शामिल किया जाना है। आज 51 वॉल्यूम का लोकार्पण किया गया है। शेष 58 वॉल्यूम हमारा आगामी वर्ष का लक्ष्य है। उन्होंने नई 51 औषधियों के विषय में कहा कि आज इन 51 औषधियों का जनमानस तक विधिवत पहुँचाने का लाइसेंस, प्रोसेस, पेटेंट पूर्ण होने के बाद इनका लोकार्पण किया जा रहा है। 
पतंजलि को भारतीय शिक्षा बोर्ड की कमान 
केंद्र सरकार द्वारा गठित भरतीय शिक्षा बोर्ड की कमान पतंजलि को मिलने पर पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन कर ऐतिहासिक कार्य किया। साल 1835 में जो मैकाले रके गया था, उसको साफ करने का कार्य पंतजलि भारतीय शिक्षा बोर्ड के माध्यम से करेगा। अब भारत में बच्चों का मानस भारतीयता के अनुसार तैयार किया जाएगा। नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा में भारतीय संस्कृति का समावेश नजर आएगा। पतंजलि अनुसंधान संस्थान ने अपने साक्ष्य-आधारित अनुसंधान को दुनिया के प्रमुख शोध पत्रिका में प्रकाशित करवाकर इसे दूर करने का प्रयास किया है। उन्होंने आयुर्वेद को रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और शुद्धिकरण के लिए सर्वाधिक उपयोगी पद्धति बताया है। 
इन्होंने भी भी रखे अपने विचार 
इस कार्यक्रम को कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत, प्रेमचंद अग्रवाल, सुबोध उनियाल के अलावा महामण्डलेश्वर अर्जुन पुरी जी महाराज, बड़ा अखाड़ा के महंत दामोदर दास जी, उदासीन अखाड़ा के कमलदास जी महाराज, आचार्य बालकृष्ण के जीवन पर विमोचित पुस्तक की लेखिका सोमा सोमा नायर आदि ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण के आयुर्वेद अनुसंधान पर लिखे गये 75 ग्रंथो के वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम में डॉ. अनुराग वार्ष्णेय के नेतृत्व में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया जिसमें पूज्य स्वामी जी, श्रद्धेय आचार्य जी व केबिनेट मंत्री धनसिंह रावत के साथ करीब 700 युनिट ब्लड एकत्र किया गया। इसके अतिरिक्त निःशुल्क नेत्र जाँच शिविर में करीब 630 लोगों की नेत्र जाँच कर निःशुल्क चश्मों का वितरण भी किया गया। 
05Aug-2022

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