सोमवार, 8 अगस्त 2022

मंडे स्पेशल: सावधान! पानी के नाम पर 'जहर' पी रहे हैं हम

प्रदेशभर में फ्लोराइडयुक्त भूजल ने बढ़ाया खतरनाक बीमारियों का खतरा 
कैंसर से किडनी तक की बीमारियों मंडराया संकट
ओ.पी. पाल.रोहतक। देश के आधे से ज्यादा हिस्से में भूजल की स्थिति इतनी भयावह है कि पानी कहीं तक भी पीने के लायक नहीं है। हरियाणा के हालात तो बद से बदतर है, जहां लगभग समूचे राज्य के भूजल में कैंसर से किड़नी और फ्लोरोसिस जैसी लाइलाज बीमारी देने वाला फ्लोराइड जैसा खतरनाक जहर घुला हुआ है। मसलन हम पानी के नाम पर एक प्रकार से जहर पीने को मजबूर है। प्रदेश के सभी जिलों के भूजल में फ्लोराइड तो 16 जिलों में आर्सेनिकयुक्त भूजल भी खतरनाक बीमारी को निमंत्रण दे रहा है। यही नहीं राज्य के 18 जिलों में यूरेनियम, 19 जिलों में लौह, 17 जिलों में शीशा, 8 जिलों में कैडमियम तथा तीन जिलों में क्रोमियम जैसे विषैले तत्वों की सांद्रता निर्धारित मानकता से कहीं ज्यादा पाई गई है। वहीं नौ जिलों के भूजल में खारापन पाया गया है। हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि प्रदेश के जिलों की 195 ब्लाकों के 4.88 लाख लोग फ्लोराइड जैसे विषैले तत्व से के मिश्रण वाला पानी पी रहे हैं। जबकि प्रदेश के उन 85 ब्लाकों अत्यधिक खतरनाक मोड़ के रूप में पहचाना गया है। केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह एक अगस्त को देशभर के भूजल में संदूषित तत्वों का जो ब्यौरा संसद में पेश किया है, वह बेहद भयावह है। इन आंकड़ों के मुताबिक देश की 80 फीसदी से ज्यादा आबादी को जमीन से पानी मिलता है, जो खतरनाक और विषेले तत्वों की निर्धारित मानक से अधिक मात्रा के कारण किसी जहर से कम नहीं है। यदि हरियाणा राज्य की बात करें तो सबसे खतरनाक फ्लोराइड और आर्सेनिक जैसे कैमिकल लगभग समूचे प्रदेश के भूजल में घुला हुआ है, जो मानव की सेहत के लिए किसी संकट से कम नहीं है। यानी हम जो भूजल पी रहे हैं, सही मायने में वह हमारे शरीर के लिए किसी 'जहर' से कम नहीं है, पानी पीने के नाम पर अनजाने में हमारे शरीर में जा रहा है। उधर हरियाणा सरकार द्वारा तेजी गिरते भूजल स्तर को सुधारने के लिए अटल भूजल योजना चलाई जा रही है, जिसके लिए जिन 85 ब्लाकों को रेड जोन में शामिल किया गया है उन्हीं 85 ब्लाकों का भूजल सबसे ज्यादा जहरीला हो रहा है। जल संकट के मुहाने पर खड़े 141 ब्लाकों में से 12 ब्लाकों के संदूषित भूजल की स्थिति नाजुक, 13 ब्लाकों की अर्द्ध नाजुक है। इनमें से 31 ब्लाक ऐसे हैं जिन्हें सुरक्षित माना जा रहा है।
इन 85 ब्लाकों में अत्याधिक संकट 
प्रदेश के सभी जिलों के संदूषित भूजल की रिपोर्ट पर गौर की जाए तो अंबाला के छह ब्लाकों में से तीन ब्लाक खतरनाक और दो नाजुक तथा एक कम नाजुक माना गया है। भिवानी के सात में चार ब्लाक पर जहरीले भूजल का संकट है। चरखी दादरी के चार ब्लाकों में दो में ज्यादा जहरीले पानीयुक्त पाये गये हैं। फरीदाबाद के तीन ब्लाकों के पानी पर बड़ा संकट है, तो फतेहाबाद के सात में से छह ब्लाक खतरे में हैं। गुरुग्राम के चारों ब्लाक का भूजल पीने लायक नहीं है। इसी प्रकार हिसार नौ ब्लाक के भूजल में कैमिकल घुला है, जिनमें से सात ब्लाक का भूजल पर संदूषण का खतरा है। झज्जर जिले के बादली को छोडकर छह ब्लाकों को सुरक्षित किया जा रहा है। जींद के आठ में से छह ब्लाक संदूषित भूजल से प्रभावित हैं। कैथल,करनाल और कुरुक्षेत्र जिलो के के सभी सात-सात ब्लाकों के भूजल खतरनाक विषैले तत्वों की चपेट में हैं। महेन्द्रगढ़ जिले आठ में से पांच ब्लाकों का भूजल जहरीला होता जा रहा है, तो वहीं पलवल के छह में से पांच ब्लाकों के भूजल पर खतरा है। पंचकूला के तीन में से एक ब्लाक का भूजल नाजुक स्थिति में है, लेकिन पानीपत के पांच ब्लाक और रेवाडी के सात मेकं से छह ब्लाकों का भूजल अत्यधिक खतरानाक मोड़ पर है। सिरसा के सात में छह, सोनीपत के आठ में पांच तथा यमुनानगर के सभी सात ब्लाकों के भूजल में खतरनाक विषैले तत्व घुले हैं। केवल रोहतक ही एक ऐसा जिला है, जिसके संदूषित भूजल की चपेट वाले पांचों ब्लाक सुरक्षित श्रेणी में शामिल हैं। 
प्रदेश पर मंडराया फ्लोराइड का खतरा 
प्रदेश के सभी जिलों के भूजल में सबसे खतरनाक फ्लोराइड जैसा विषैला तत्व घुला है, जो गिरते भूजल स्तर के साथ खतरनाम बीमारियों के संकट को देखते हुए बड़ी चुनौती माना जा रहा है। जबकि प्रदेश के जिलों अंबाला, भिवानी, फतेहाबाद, फरीदाबाद, हिसार, झज्जर, जींद, करनाल, महेन्द्रगढ़, पलवल, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत, यमुनानगर और चरखी दादरी के भूजल में आर्सेनिक घुला हुआ है। पंचकूला और चरखी दादरी और मेवात को छोड़कर बाकी 19 जिलों में लौह, मेवात, कैथल, पंचकूला और यमुनानगर को छोड़कर 18 जिलों के भूजल में यूरेनियम जैसा कैमिकल घुला है। इसके अलावा 17 जिलों में शीशा, 8 जिलों में कैडमियम तथा तीन जिलों में क्रोमियम जैसे विषैले तत्वों की सांद्रता पाई गई है। 
इन जिलों का पानी हुआ खारा 
प्रदेश के 18 जिलों के भूजल में खारापन बढ़ता जा रहा है। ऐसे जिलों में अंबाला, भिवानी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुरुग्राम, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, करनाल, महेन्द्रगढ़, पलवल, पानीपत, रेवाड़ी, रोहतक, सिरसा, सोनीपत और मेवात शामिल है। 
सर्वे और निगरानी का प्रावधान 
केंद्रीय जल बार्ड के दिशानिर्देशों के अनुसार हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण और संबन्धित विभाग और एजेंसियां भूजल स्तर को सुधारने और भूजल में संदूषण की समस्या के लिए पानी की शुद्धता के लिए सर्वे और भूजल के नमूने लेने के साथ निगरानी की जाती है। जल की गुणवत्ता परीक्षण के लिए पानी के लिए जाने वाले नमूनों का परीक्षण करने के लिए प्रदेश में 44 प्रयोगशालाएं क्रियाशील हैं। वहीं जल की निगरानी के लिए प्रदेश में 529 केंद्र स्थापित किये गये हैं। 
सहेत के लिए खतरा है संदूषित जल 
विश्व स्वास्थ्य संगठन और विशेषज्ञों के मुताबिक पेयजल या खाने में लंबे समय तक आर्सेनिक की मौजूदगी से कैंसर और त्वचा को नुकसान पहुंचने का खतरा है, जो रोग हृदय रोग और मधुमेह से भी जुड़ा है। गर्भावस्था में या बचपन में इसके संपर्क में आने से भी काफी बुरा प्रभाव पड़ सकता है। जबकि वाटर क्वालिटी एसोसिएशन के अनुसार यूरेनियम वाला पानी पीने से किडनी डैमेज हो सकती है और इससे कैंसर बनने का खतरा भी है। पीने के पानी में कैडमियम होने से किडनी, लंग्स और हड्डियों को नुकसान हो सकता है। इसी प्रकार क्रोमियम की वजह से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से जुड़ी समस्याएं, पेट का अल्सर, त्वचा का अल्सर, एलर्जी जैसी बीमारी के साथ किडनी और लीवर डैमेज होने का संकट बन सकता है।
 ----- 
वर्जन
लाइलाज है फ्लोरोसिस रोग 
भूजल में तय मानक से ज्यादा फ्लोराइड होने से फ्लोरोसिस रोग की संभावना है, जिसका कोई प्रभावी इलाज भी नहीं है। इससे पहले तो पीड़ित के दांत खराब होते हैं, धीरे-धीरे हड्डियां टेढ़ी होने लगती हैं। एक लीटर पीने के पानी में एक मिलीग्राम से ज्यादा फ्लोराइड नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा गर्दन, पीठ, कंधे व घुटनों के जोड़ों व हड्डियों को प्रभावित करता है। कैंसर, स्मरण शक्तिकमजोर होना, गुर्दे की बीमारी व बांझपन जैसी समस्या भी इससे हो सकती है। फ्लोराइड की अधिक मात्रा से गर्भवती महिलाओं में गर्भपात व नवजात शिशुओं में विकार होने की सम्भावना बढ़ जाती है। 
-डा. रमेश चन्द्र, ईएनटी सर्जन, रोहतक। 
08Aug-2022

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें