एक जमाना था जब लोग अपने घरों के बाहर लिखते थे-अतिथि देवो भव: फिर शुरू किया-शुभ लाभ और बाद में लिखा जाने लगा-यूं आर वेलकम अब शुरू हो गया-......से सावधान!
सोमवार, 30 नवंबर 2020
अब यात्री बसों में चंद सेकैंडों में बुझाई जा सकेगी आग
डीआरडीओ ने विकसित किया है व्यापक क्षमता वाल यंत्र
रक्षामंत्री व सड़क परिवहन मंत्री ने किया आग बुझाने वाले यंत्र का अवलोकन
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश में यात्री बसों में यदि आग लगेगी तो उसे चंद सेंकैंडो में बुझा दिया जाएगा। डीआरडीओ ने यात्री बसों में इस्तेमाल के लिए एफ़डीएसएस नामक ऐसे एक यंत्र को विकसित किया है। इस यंत्र का
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि यात्री बसों में इस्तेमाल हेतु डीआरडीओ द्वारा विकसित आग का पता लगाने और उसे बुझाने वाले यंत्र ‘एफ़डीएसएस’का रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यहां नई दिल्ली स्थित डीआरडीओ भवन में अवलोकन किया। इस मौके पर यात्री कम्पार्टमेंट में जल आधारित जबकि इंजन में लगने वाली आग पर ऐरोसॉल आधारित एफ़डीएसएस का प्रदर्शन किया गया। उन्हें विभिन्न अन्य कार्यक्रमों और प्रणालियों के बारे में भी जानकारी दी गई। मंत्रालय के अनुसार डीआरडीओ के दिल्ली स्थित अग्नि, विस्फोटक एवं पर्यावरण सुरक्षा केंद्र (सीएफईईएस) प्रयोगशाला द्वारा विकसित इस तकनीक की मदद से यात्री कम्पार्टमेंट में लगने वाली आग का महज़ 30 सेकेंड के भीतर पता लगाया जा सकता है और उसके 60 सेकेंड के भीतर उसे बुझाया जा सकता है। इससे जान और माल की बड़े पैमाने पर सुरक्षा की जा सकती है। यात्री कम्पार्टमेंट के लिए एफ़डीएसएस के अंतर्गत 80 लीटर पानी की क्षमता वाला टैंक होगा और 200 बार तक दबाव क्षमता वाला 6.8 किलोग्राम का नाइट्रोजन सिलेंडर बस में उपयुक्त स्थान पर लगाया जाएगा, जो 16 स्वचालित बिन्दुओं वाले ट्यूब से जुड़ा रहेगा। इंजन के लिए एफ़डीएसएस ऐरोसॉल उत्पादित करेगा जो सक्रिय होने के महज़ 5 सेकेंड के भीतर ही आग को बुझाने में सक्षम होगा। अग्नि, विस्फोटक एवं पर्यावरण सुरक्षा केंद (सीएफईईएस) प्रयोगशाला आग से जुड़े जोखिमों का आकलन और आग बुझाने के लिए विभिन्न तकनीक के संबंध में दक्षता रखता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एफ़डीएसएस के विकास को यात्री बसों में सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा कि आग लगने की घटनाओं पर डीआरडीओ का भी ध्यान गया है। उन्होंने कहा कि इस विकसित तकनीक को आगे ले जाना भी बेहद महत्वपूर्ण है। इस प्रयोगशाला ने युद्धक टैंक, जलपोतों और पनडुब्बियों के लिए भी अग्निशमन यंत्र विकसित किए हैं। यात्री बसों के लिए विकसित की गई तकनीक को भी रक्षा उद्देश्यों से बनाए जाने वाले यंत्र के स्तर का विकसित किया है। आग लगने की आशंका आमतौर पर सभी प्रकार के वाहनों में होती है, लेकिन स्कूल बसों और लंबी दूरी वाली स्लीपर यात्री बसों में आग की दुर्घटनाएं बड़े पैमाने पर जान और माल के नुकसान का कारण बनती हैं इसलिए इन्हें लेकर विशेष चिंताएं व्यक्त की जाती रही हैं। अब तक इंजन में लगने वाली आग को ही अग्नि सुरक्षा नियामक दायरे में लाया गया है। इस अवसर पर दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने डीआरडीओ के अध्यक्ष और डीडीआर एंड डी सचिव डॉ. जी सतीश रेड्डी ने इस प्रयास के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी।
10Nov-2020
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें