शनिवार, 25 अगस्त 2018

पटरी पर लौटने को तैयार लखवाड़ बहुउद्देश्य परियोजना!

उत्तराखंड, हरियाणा व दिल्ली समेत छह राज्यों में बन सकती है सहमति 
उत्तराखंड में दूर होगा बिजली संकट
तो हरियाणा समेत पांच राज्यों को मिलेगा पानी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
आखिरकार पिछले ढ़ाई दशक पहले अधर में लटक चुकी लखवाड़ बहुउद्देश्य परियोजना के अब पटरी पर लौटने के आसार पुख्ता हो गये हैं। अगले सप्ताह राष्ट्रीय परियोजना के रूप में घोषित हो चुकी इस जल विद्युत परियोजना को शुरू करने के मकसद से अंतिम निर्णय होने की संभावना है। करीब 300 मेबावाट क्षमता वाली इस परियोजना से जहां उत्तराखंड में बिजली का संकट खत्म होगा, वहीं हरियाणा, दिल्ली व यूपी समेत पांच अन्य राज्यो को पेयजल व सिंचाई के लिए जल मिल सकेगा।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों ने हरिभूमि को इस राष्ट्रीय परियोजना के बारे में जानकारी दी है कि जल्द ही इस परियोजना को तेजी के साथ आगे बढ़ाया जाएगा। करीब चार हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना को दिसंबर 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य है, जिसमें जल संबन्धी परियोजनाओं पर 90 फीसदी केंद्र तथा बाकी 10 फीसदी हिस्सा इस परियोजना के दायरे में आने वाले छह राज्य वहन करेंगे। मंत्रालय के सूत्रों की माने तो अगले सप्ताह इस अधूरी परियोजना को शुरू करने के लिए अंतिम निर्णय के लिए उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली व राजस्थान के संबन्धित मंत्रियों और अधिकारियों के साथ केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी बैठक करेंगे। ऐसी भी संभावना है कि इन राज्यों के साथ हितों के टकराव को दूर रखने की दिशा में समझौतों पर भी हस्ताक्षर हो सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि इस परियोजना को पूरा करने की दिशा में गडकरी ने इन राज्यों के साथ इसी साल फरवरी में भी बैठक करके खाका तैयार किया था। दरअसल यह परियोजना यमुना नदी पर लोहारी गांव में स्थापित होनी है जिसका संचालन उत्तराखंड जल विद्युत निगम करेगा।
इसलिए महत्वपूर्ण है परियोजना
दरअसल अविभाजित यूपी में इस परियोजना 1976 में मंजूरी दी गई थी, जिस पर सिंचाई विभाग ने 1987 में काम भी शुरू कर दिया था, लेकिन अभी करीब 30 फीसदी ही काम हुआ था कि वर्ष 1992 में धनाभाव के कारण इस परियोजना को रोक दिया गया था और उसी दौरान उत्तराखंड पृथक राज्य के रूप में भी विभाजित हुआ। इसके बाद वर्ष 2008 में केंद्र सरकार की यूपीए सरकार ने इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना तो घोषित कर उत्तराखंड जल विद्युत निगम को सौंपा, लेकिन इस पर काम नहीं हो सका। केंद्र में 2014 में आई राजग सरकार ने इस परियोजना को कई राज्यों के लिए महत्वपूर्ण मानते हुए आगे बढ़ाने का खाका तैयार किया। इसका कारण है कि इस परियोजना के पूरा होने से  छह राज्यों को मिलने वाले पानी से 33780 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई क्षमता का विस्तार होगा और करीब 78.83 मिलियन घन मीटर जल का इस्तेमाल औद्योगिक कार्यो के लिए प्रस्तावित है। परियोजना से दिल्ली जैसे महानगर में भी पेयजल की समस्या का समाधान संभव है।
हरियाणा को मिलेगा ज्यादा पानी
मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार पहले हुए समझौते के अनुसार इस परियोजना से उत्पादित बिजली पर तो उत्तराखंड का ही हक रहेगा, लेकिन इस परियोजना से लखवाड़ बांध से पानी की हिस्सेदारी हरियाणा, यूपी, हिमाचल, दिल्ली व राजस्थान को आपूर्ति की जाएगी, जिसमें पेयजल व सिंचाई जल भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार हरियाणा को सबसे ज्यादा 47.82-150.75 मिलियन घन मीटर पानी की आपूर्ति होगी। जबकि उत्तराखंड और यूपी को 33.75-106.08 मिलियन घन मीटर, राजस्थान को 9.34-29.449, एमसीएम, दिल्ली को 6.04-19.04 एमसीएम तथा हिमाचल को 3.15-9.93 एमसीएम पानी की औसतन आपूर्ति होने की उम्मीद है।
25Aug-2018

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