उत्तराखंड
में दूर होगा बिजली संकट
तो
हरियाणा समेत पांच राज्यों को मिलेगा पानी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
आखिरकार
पिछले ढ़ाई दशक पहले अधर में लटक चुकी लखवाड़ बहुउद्देश्य परियोजना के अब पटरी पर
लौटने के आसार पुख्ता हो गये हैं। अगले सप्ताह राष्ट्रीय परियोजना के रूप में
घोषित हो चुकी इस जल विद्युत परियोजना को शुरू करने के मकसद से अंतिम निर्णय होने
की संभावना है। करीब 300 मेबावाट क्षमता वाली इस परियोजना से जहां उत्तराखंड में
बिजली का संकट खत्म होगा, वहीं हरियाणा, दिल्ली व यूपी समेत पांच अन्य राज्यो को
पेयजल व सिंचाई के लिए जल मिल सकेगा।

इसलिए महत्वपूर्ण है परियोजना
दरअसल
अविभाजित यूपी में इस परियोजना 1976 में मंजूरी दी गई थी, जिस पर सिंचाई विभाग ने
1987 में काम भी शुरू कर दिया था, लेकिन अभी करीब 30 फीसदी ही काम हुआ था कि वर्ष
1992 में धनाभाव के कारण इस परियोजना को रोक दिया गया था और उसी दौरान उत्तराखंड
पृथक राज्य के रूप में भी विभाजित हुआ। इसके बाद वर्ष 2008 में केंद्र सरकार की
यूपीए सरकार ने इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना तो घोषित कर उत्तराखंड जल
विद्युत निगम को सौंपा, लेकिन इस पर काम नहीं हो सका। केंद्र में 2014 में आई राजग
सरकार ने इस परियोजना को कई राज्यों के लिए महत्वपूर्ण मानते हुए आगे बढ़ाने का
खाका तैयार किया। इसका कारण है कि इस परियोजना के पूरा होने से छह राज्यों को मिलने वाले पानी से 33780 हेक्टेयर
कृषि भूमि की सिंचाई क्षमता का विस्तार होगा और करीब 78.83 मिलियन घन मीटर जल का इस्तेमाल
औद्योगिक कार्यो के लिए प्रस्तावित है। परियोजना से दिल्ली जैसे महानगर में भी
पेयजल की समस्या का समाधान संभव है।
हरियाणा को मिलेगा ज्यादा पानी
मंत्रालय
से मिली जानकारी के अनुसार पहले हुए समझौते के अनुसार इस परियोजना से उत्पादित
बिजली पर तो उत्तराखंड का ही हक रहेगा, लेकिन इस परियोजना से लखवाड़ बांध से पानी
की हिस्सेदारी हरियाणा, यूपी, हिमाचल, दिल्ली व राजस्थान को आपूर्ति की जाएगी,
जिसमें पेयजल व सिंचाई जल भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार हरियाणा को सबसे ज्यादा 47.82-150.75
मिलियन घन मीटर पानी की आपूर्ति होगी। जबकि उत्तराखंड और यूपी को 33.75-106.08
मिलियन घन मीटर, राजस्थान को 9.34-29.449, एमसीएम, दिल्ली को 6.04-19.04 एमसीएम
तथा हिमाचल को 3.15-9.93 एमसीएम पानी की औसतन आपूर्ति होने की उम्मीद है।
25Aug-2018
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें