केंद्र सरकार ने कानून को सख्ती से लागू
करने को जारी किये निर्देश
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में कोरोना संकट के कारण पूरे देश में लागू लॉकडाउन के बाद
आवश्यक सामानों की जमाखोरी और कालाबाजारी के साथ मुनाफाखोरी जैसी गतिविधियों में
आई तेजी देखी जा रही है। इस दिशा में नागरिकों तक पर्याप्त और उचित दामों में
आवश्यक वस्तुओं की पहुंच को सुनिश्चित करने की दिशा में केंद्र सरकार ने सभी
राज्यों के मुख्य सचिवों को देखते हुए आवश्यक वस्तु (ईसी) अधिनियम-955 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने और निगरानी करने के दिशानिर्देश जारी किये हैं, जिसमें
दोषी पाए जाने पर सात साल की सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है।
केंद्रीय गृहमंत्रालय के अनुसार बुधवार को
देश में आवश्यक वस्तुओं की सुचारू आपूर्ति की दिशा में केंद्रीय गृह
सचिव अजय कुमार भल्ला ने देश के सभी राज्यों और
केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर दिशा
निर्देश जारी किये हैं। राज्यों को दिये गये दिशा निर्देशों के मुताबिक राज्यों को
आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक वस्तु (ईसी)
अधिनियम 1955 के प्रावधानों
को सख्ती
से लागू करने को कहा गया है। मंत्रालय के अनुसार राज्यों से कहा गया है कि इस
कानून को सख्ती से लागू करने के साथ आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति को सुचारू बनाए
रखने की दिशा में स्टॉक सीमा का निर्धारण, मूल्यों की अधिकतम सीमा, उत्पादन में वृद्धि, विक्रेताओं के खातों का निरीक्षण और इसी प्रकार
की अन्य गतिविधियां जैसी निगरानी करना भी शामिल है।
दोषी को हो सकती है सात साल की सजा
मंत्रालय ने माना कि देश में लॉकडाउन की
स्थिति में विशेष रूप से श्रम आपूर्ति में कमी जैसे कई कारकों के कारण
उत्पादन में हानि की खबर है। ऐसी स्थिति में जमाखोरी और कालाबाजारी, मुनाफाखोरी और सट्टा व्यवसाय जैसी संभावनाओं
की वजह से
आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं। इसलिए
राज्यों को बड़े पैमाने पर जनता के लिए उचित मूल्य पर इन वस्तुओं की
उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए इस कानून का सख्ती
से अनुपालन कराना जरुरी है। ऐस कालाबाजारी या जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कानूनी
प्रावधानों के तहत सात साल तक की कैद या भारी जुर्माने को प्रावधान है।
राज्यों को कानूनी कार्रवाई का अधिकार
मंत्रालय के अनुसार राज्य
और केंद्र शासित प्रदेश कालाबाजारी और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के
रखरखाव निवारण अधिनियम-1980 के तहत अपराधियों
को हिरासत में लेने पर भी विचार कर सकते हैं। इससे पूर्व भी
गृह
मंत्रालय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत अपने आदेशों में खाद्य पदार्थों, दवाओं और चिकित्सा उपकरणों जैसे आवश्यक सामानों
के संबंध में निर्माण या उत्पादन,
परिवहन
और अन्य संबंधित आपूर्ति-श्रृंखला गतिविधियों की अनुमति दे चुका है। वहीं केंद्र सरकार का उपभोक्ता मामले,
खाद्य
और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय 30 जून तक केंद्र सरकार की पूर्व सहमति जैसी आवश्यकता
में भी छूट देते हुए ईसी अधिनियम,
1955 के तहत राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश देने के लिए अधिकृत कर रहा है।
क्या है कानूनी प्रावधान
भारतीय संसद द्वारा आवश्यक वस्तु
अधिनियम-1955 को 1955 में पारित किया गया था। इसमें सरकार
की देख-रेख में इस कानून के तहत 'आवश्यक वस्तुओं' की बिक्री, उत्पादन,
आपूर्ति
आदि को आम जनता के हित के लिए नियंत्रित किया जाता है। इस कानून के तहत केंद्र सरकार
के पास अधिकार होता है कि वह राज्यों को स्टॉक लिमिट तय करने और जमाखोरों पर नकेल कसने
के लिए कहे ताकि चीजों की आपूर्ति प्रभावित न हो और दाम भी ज्यादा ना बढ़े। जब कोई
वस्तु सरकार द्वारा 'आवश्यक वस्तु' घोषित की जाती है, तो सरकार के पास एक अधिकार आ जाता है। उसके
मुताबिक वे पैकेज्ड वस्तुओं का अधिकतम खुदरा मूल्य तय कर सकती है। यदि कोई
दुकानदार उस मूल्य से अधिक दाम पर चीजों को बेचता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होती है।
ये आवश्यक वस्तु की श्रेणी में
शामिल
आवश्यक वस्तुओं में पेट्रोलियम
(पेट्रोल, डीजल, नेफ्था और सोल्वेंट्स आदि), खाना (बीज, वनस्पति,
दाल, गन्ना, गुड़, चीनी, चावल और गेहूं आदि), टेक्सटाइल्स, जरूरी ड्रग्स,
फर्टिलाइजर्स
शामिल है। सरकार द्वारा इस सूची में समय-समय पर बदलाव होता रहता है। हाल ही में कोरोना संकट के कारण सरकार ने मास्क और सैनिटाइजर को भी सूची में शामिल किया था।
09Apr-2020
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