भारतीय संस्कृति में किसी ने सही कहा है कि संस्कार
विरासत मे नहीं मिलते? मसलन ‘कोई बड़ा हो या छोटा, दोनों के आपसी सम्मान से
ही समाज की डोर मजबूत होती है। शायद राष्ट्रपति अभिभाषणा के धन्यवाद प्रस्ताव पर
चर्चा के जवाब में पीएम मोदी ने मशहूर शायर दाग़ देहलवी का
लिखा शेर ‘ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे
हैं, साफ़ छुपते भी नहीं
सामने आते भी नहीं’ पढ़कर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पीएम के प्रति
डंडावार के अमर्यादित बोल का जवाब सूर्य नमस्कार के संदेश के साथ दिया। दरअसल
दिल्ली चुनाव में प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता ने छह महीने में पीएम मोदी को
युवाओं द्वारा डंडा मारने जैसे बयान से अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया था। वैसे
भी कांग्रेस के सत्ताहीन होने के पीएम के पद पर आए नरेन्द्र मोदी की कांग्रेस
युवराज लगातार आलोचनाओं की छड़ी लगाए हुए हैं। पीएम मोदी के खिलाफ अमर्यादित
टिप्पणियों के लिए सोशल मीडिया पर राहुल गांधी को नसीहत दी जा रही है, यहां तक लिखा जा रहा है कि जनाब.. अगर पद का सम्मान
भूल भी गए, तो कम से कम अपने से बड़ी उम्र के व्यक्ति की उम्र
का ही लिहाज करके थोड़ी सभ्य भाषा का इस्तेमाल कर लेते बाबा..! या फिर सिखाने और रटाने वालों ने इतना भी नहीं सिखाया? युवराज में पश्चिमी सभ्यता का असर है
भारतीय संस्कार होते, तो देश के प्रधानमंत्री के लिए इस प्रकार
की अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर मानसिक दिवालियापन का
प्रदर्शन न करते। सोशल मीडिया पर ट्रोल होते कांग्रेस नेता पर टिप्पणी करने वालों ऐसा तांता लगा हुआ है
जिसमें यहां तक टिप्पणियां सामने आई कि कांग्रेस को सत्ता जाने का गम बर्दाश्त
नहीं है, तभी तो ऐसे में ऐसे में बड़ों का सम्मान तथा संस्कार जैसी बातें बेमानी हैं। सियासी गलियारों में हो रही चर्चा में तो
यहां तक कहा जा रहा है कि इस बदलते युग
में अब भारत
में खत्म हो रही अहिंसा वादी सोच के बाबजूद पीएम मोदी ने जिस
शायरी में जवाब दिया है, वह उनका बड़प्पन है, वरना अब अहिंसा का भारत
नही, जो एक थप्पड़ खाने के बाद दूसरा गाल आगे करे और अब तो थप्पड़ मारने वाले के हाथ तोड़ने वाला भारत है।
अमर्यादित बोल
संसद में पस्त विपक्ष
दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार की दृष्टि से वोटबैंक की
राजनीति करते हुए विपक्षी दल संसद का बजट सत्र शुरू होने से पहले ही संशोधित
नागरिकता कानून के विरोध में मोदी सरकार पर इस कद्र आक्रमक थे कि सत्र के पहले दो
दिन सीएए पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा बरपाकर संसद की कार्यवाही को बाधित करने करने का
प्रयास किया, लेकिन दोनों सदनों में इस मुद्दे पर विरोध को नजरअंदाज करती सरकार के
सामने विपक्ष खुद ही बिखरता नजर आया और इन दलों को राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद
प्रस्ताव पर भी सीएए के विरोध में दिये गये बयानों के बीच ही जैसे जैसे विपक्षी
दलों की सीएए को लेकर प्रायोजित आंदोलनों की परते खुलने लगी, चाहे वह शाहीनबाग का
धरना ही क्यों न हो, उसके लिए सरकार ने जिस प्रकार से विपक्ष पर पलटवार करके नसीहत
देते हुए विपक्षी दलों खासकर अगुवाई करने वाली कांग्रेस को जिस प्रकार का संविधान
के बारे में पाठ पठाया उससे विपक्ष खुद ही बेदम और पस्ता होता नजर आया और सदन की
कार्यवाही वापस पटरी पर आती नजर आई।
09Feb-2020
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