रविवार, 6 जून 2021

साक्षात्कार: समाज हित में ही है साहित्य की सार्थकता

साक्षात्कार: ओ.पी. पाल ----- व्यक्तिगत परिचय--- नाम: डॉ. कमलेश मलिक--- जन्म: 3 अगस्त 1945--- गांव अकड़ोली, जिला हापुड़ (उत्तर प्रदेश)-- शिक्षा: एम.ए. हिंदी एवं संस्कृत, पीएचडी, विशारद (संगीत वादन)-- अनुभव:छोटू राम आर्य कॉलेज,सोनीपत में 26 वर्ष तक हिंदी-संस्कृत विभाग में प्रवक्ता व विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत।-- टीकाराम गर्ल्स कॉलेज सोनीपत में 13 वर्ष तक प्राचार्या के पद पर कार्यरत रह कर सेवानिवृत्त।-- ----------- साहित्य का तात्पर्य स-हित यानि सभी का हित अर्थात साहित्य का उपयोग समाज हित में होना चाहिए। ऐसा मानना हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2019 के लिए ‘श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान’ से सम्मानित महिला साहित्यकार एवं प्रख्यात रचनाकार डॉ. कमलेश मलिक का है। कि आज के इस आधुनिक युग में सोशल मीडिया के सहारे लेखक बनने और शोहरत हासिल करने के लिए युवा पीढ़ी को पुराने और नामचीन लेखकों को पढ़कर अध्ययन करना चाहिए, तभी वे समाज को दिशा देने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं और साहित्य की प्रासांगिकता को बरकरार रखने में योगदान दे सकते हैं। हालांकि इस इंटरनेट, सोशलमीडिया और अन्य संचार साधनों के बढ़ते इस्तेमाल के बावजूद साहित्य की महत्ता का कम नहीं किया जा सकता। आज की युवा पीढ़ी साहित्य और उसमें रचनाओं के प्रति प्रेरित करने को लेकर डॉ. कमलेश मलिक ने हरिभूमि संवाददाता से खास बातचीत करते हुए अपने अनुभवों को साझा किया। भारतीय संस्कृति एवं समाज को दिशा देने के लिए खासतौर से युवा पीढ़ी को उत्साहवर्धक रचनाएं, कहानियां, उपन्यास या कविता लिखने के लिए प्रेरित करने पर बल देते हुए डॉ. कमलेश मलिक ने कहा कि साहित्य समाज को दिशा देने का ऐसा माध्यम है जिसमें अपनी प्रतिभा का सकारात्मक कार्यो में उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने बेटियों के लिए भी इस प्रकार आत्मनिर्भर बनने पर बल दिया और समाज के लिए आगे आने का आव्हान किया। इसमें महिला साहित्यकार डा. कमलेश ने अपनी दोनों बेटियों पर गर्व और खुशी जाहिर करते हुए कहा कि भगवान ने वरदान के रूप में ऐसी प्रतिभाशाली बेटियों के रूप में खुशी दी है, जो उनसे भी बढ़कर ढेरों पुरस्कार और सम्मान हासिल कर उन्हें भी हौंसला दे रही है। मसलन एक बेटी मीमांसा मलिक हिंदी के न्यूज चैनल में एक सुप्रसिद्ध एंकरों में शुमार है, तो दूसरी बेटी मेघना मलिक रंगमंच तथा बॉलीवुड की सशक्त अभिनेत्री के रूप में सम्मान हासिल कर हौंसला बढ़ा रही है। इन्हीं प्रतिभाशाली दोनों बेटियों ने अपने पिता की अंतिम यात्रा में कंधा देकर बेटो की भूमिका निभाई। महिला साहित्यकार डा. कमलेश मलिक की प्राथमिक शिक्षा हाथरस के गुरूकुल में हुई और हापुड़ से स्कूली शिक्षा के बाद मेरठ के रघुनंदन कालेज से बीए और फिर हापुड़ के एएसएसवी कालेज से एमए हिंदी की डिग्री हासिल की। उसके बाद सोनीपत के अंग्रेजी प्राध्यापक आर एस मलिक से उनकी शादी हुई तो वहीं वे भी छोटूराम आर्य कालेज में हिंदी प्रध्यापिका नियुक्त हो गई और 26 साल तक हिंदी व संस्कृत विभाग में प्रवक्ता व विभाध्यक्ष के पद कार्य किया। इसके बाद उनकी नियुक्ति टीकाराम गर्ल्स कालेज सोनीपत में हुई, जहां 13 साल तक नौकरी करते हुए प्राचार्य पद से 2005 में सेवानिवृत हुई। वह अपने कार्यकाल में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण गतिविधियों में भी सक्रिय रही हैं। खासबात ये है नौकरी करते हुए बीच में ही उन्होंने एमए संस्कृत और पीएचडी भी की। सेवानिवृत्ति के बाद से डा. कमलेश स्वतंत्र लेखन करती आ रही है, जिनकी रचानाएं और कविताएं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में छपती रही हैं। इसके अलावा आकाशवाणी रोहतक से कहानी वार्ता एवं कवि गोष्ठियों में उनकी सहभागिता निभाती आ रही डा. कमलेश मलिक छह साल तक तक दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, मुरथल में वूमेन सेल की सदस्य रहीं। वह भगत फूलसिंह महिला विश्वविद्यालय खानपुर में 3 वर्ष तक एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मेंबर भी रही हैं। डा. मलिक अंतरराष्ट्रीय समाज सेवा संस्था इनरव्हील के विभिन्न पदों पर रहते हुए गरीब लड़कियों को शिक्षित करने एवं महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वे अदबी संगम एवं महिला काव्य मंच जैसी साहित्यिक संस्थाओं से जुड़े रहकर नारी लेखन को प्रोत्साहित कर रही हैं। ---प्रकाशित कृतियां---- साहित्य के क्षेत्र में डा. कमलेश के तीन कथा संग्रह और दो काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी प्रकाशित पुस्तक शंकर वेदांत एवं हरियाणा का संत साहित्य(आलोचना) के साथ उनके कहानी संग्रह ‘चक्रव्यूह’, ‘सिर्फ अपने लिए’, ‘एक मोर्चा और’ के अलावा कविता संग्रह ‘संवेदना के स्वर’ पुरस्कृत हो चुकी हैं। इसके अलावा भाव-कलश, स्त्री का आकाश, युगपुरुष नेहरू, लघुकथा वर्तिका, लघुकथा हरियाणा और संवाद जैसे अनेक संकलनों में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। जबकि कहानी संग्रह ‘सोलह परिवार’ काव्य संग्रह ‘शब्दों का सिलसिला’, बाल कविता ‘बाल-मन’ प्रकाशनाधीन हैं। ---पुरस्कार व सम्मान--- हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा अभिनंदन सम्मान योजना के तहत वर्ष 2019 की ‘श्रेष्ठ महिला रचनाकार’ का सम्मान पाने वाली डा. कमलेश मलिक को इससे पहले अकादमी उनके दोनों कथा संग्रहों पर वर्ष 2009 और 2018 में श्रेष्ठ कृति के पुरस्कार का सम्मान दे चुका है। साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 1984 की प्रतियोगित में उनकी कहानी ‘रिश्ता’ को प्रथम पुरस्कार और 2007 में कहानी ‘जीना सीख जाओगे’ को तृतीय पुरस्कार दिया जा चुका है। इसके अलावा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय साहित्यक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा उन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। ऐसे प्रमुख पुरस्कारों में श्रेष्ठ कृति पुरस्कार, एमिनेंट सिटीजन अवार्ड, लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, गुरु द्रोणाचार्य अवार्ड, साहित्य सेवा सम्मान, प्रज्ञा साहित्य सम्मान, साहित्य सम्मान, महिला काव्य सम्मान शामिल हैं। 31May-2021

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