गुरुवार, 10 अगस्त 2017

कानूनी सुधार से सुधरेगी श्रमिकों की दशा



सरकार ने तीन साल में की वैधानिक पहलें
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने दावा किया है कि पिछले तीन सालों में श्रम कानूनों में सुधार करने की हुई वैधानिक पहलों के कारण देश में श्रमिकों की दशा में सुधार हो रहा है।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि देश में सभी क्षेत्रों के कर्मचारियों और श्रमिकों के हित में केंद्र सरकार ने कई श्रम कानूनों का एकीकरण करके उनकी सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने बोनस संबनधी, न्यूनतम मजदूरी तय करने वाले कानूनों में सुधार करने का दावा करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने पूरे देश में एक समान मजदूरी तय करने के लिए एक नए विधेयक के मसौदे को मंजूरी दी है, जिसमें राज्य के समन्वय से इसे लागू किया जाना है। उन्होंने कर्मचारियों के वेतन भुगतान को नकद और चेक द्वारा सीधे उनके खाते में भेजने की प्रक्रिया को अनिवार्य किया है, जिससे श्रमिकों के आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। श्रम कानूनों में सुधार के मुद्दे पर दत्तात्रेय ने कहा कि बाल श्रम पर पूर्णतया प्रतिबंध के लिए कानून को सख्ती से लागू किया गया है, वहीं प्रसूति प्रसुविधा  संशोधन कानून में परिवर्तन करके महिला कर्मचारियों को राहत दी गई है। 
कानून में तर्कसंगत शक्तियां
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार में कर्मचारी प्रतिकर कानून की शक्तियों को तर्क संगत किया गया है, तो वहीं इसी साल 21 फरवरी को विभिन्न श्रम कानूनों के तहत रजिस्टर रखने के लिए अनुपालन की सहजता नियम अधिसूचित करके नौ केंद्रीय श्रम कानूनों  और उनके नियमों के तहत 56 रजिस्टरों के स्थान पर पांच रजिस्टर कर दिये  हैं। छोडे दुकानदारों पर काम करने वाले श्रमिकों को भी राहत देने के लिए नियोजन एवं सेवा शर्तों का विनियमन किया गया है। इस कानून के तहत प्रतिष्ठान खोलने या बंद करने े समय पर बिना किसी पाबंदी के वर्ष में 365 दिन संचालित करने की स्वतंत्रता भी दी गई है। इसी प्रकार अन्य क्षेत्रों में भी श्रमिकों के हित में श्रम कानूनों में बेहतर सुधार किये गये हैं। इन कानूनी सुधारों से कामगारों के वेतन सुरक्षा, जॉब सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा एवं सरंक्षा के अलावा स्वास्थ्य एवं कामकाजी दशाओं में भी सुधार होने की गुंजाइश बढ़ी है।
10Aug-2017

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